मायावती की राह पर चंद्रशेखर, बसपा की तर्ज पर अब आसपा भी करेगी ये काम; पार्टी ने बनाया प्लान
- आसपा अब सूबे में BSP की तर्ज पर ही भाईचारा और बूथ कमेटियों का गठन करने जा रही है। पार्टी का दलित-मुस्लिम गठजोड़ और गुर्जर सम्मेलन करना भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कभी अपनी सोशल इंजीनियरिंग की राजनीति के बूते सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने वाली BSP की राजनीतिक चमक अब फीकी पड़ती जा रही है।
Chandrashekhar Azad Politics: बसपा के गढ़ रहे वेस्ट यूपी में अपनी दमदार आमद दर्ज कराने के बाद आजाद समाज पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद अब पूरी तरह से सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर चल पड़े हैं। जी हां, आसपा अब सूबे में बसपा की तर्ज पर ही भाईचारा व बूथ कमेटियों का गठन करने जा रही है। पार्टी का दलित-मुस्लिम गठजोड़ और गुर्जर सम्मेलन करना भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कभी अपनी सोशल इंजीनियरिंग की राजनीति के बूते सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने वाली बसपा की राजनीतिक चमक अब फीकी पड़ती जा रही है। इसी का लाभ लेने की जुगत में आसपा प्रमुख चंद्रशेखर लगे है और इसके लिये वह कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते। दलित-मुस्लिम गठजोड के साथ जातीय सम्मेलन आयोजित करने और अब भाईचारा कमेटियां बनाने के पीछे भी यहीं सोची-समझी राजनीति है।
चंद्रशेखर आजाद भी मायावती की तरह धरातल से उठे नेता है। सार्वजनिक मंचों से भले ही वह बसपा सुप्रीमो मायावती को बुआजी कहते थकते न हो, लेकिन अंदरखाने वह अपनी जमीन मजबूत करने में जुटे हैं और पिछले लोकसभा चुनाव और उपचुनाव के परिणाम इसका जीता जागता उदाहरण है। चंद्रशेखर बसपा के खोते जनाधार में अपने लिये न सिर्फ मौके तलाश रहे, बल्कि बूथ और भाईचारा कमेटियों के माध्यम से उस खाली जगह को भरने में भी दिन रात एक किये हैं। उप चुनाव में दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर भरोसा करना उनके लिये मुफीद साबित होता दिखा है तो वहीं मीरापुर में गुर्जर सम्मेलन से उन्हें भविष्य में नई राजनीति खड़ी करने का मंच मुहैया करवा दिया है।
बता दें कि बसपा ने पूर्व में भाईचारा बनाओ' के जरिए पिछड़ों, अतिपिछड़ों को साधने का काम कर सत्ता की सीढ़ी का रास्ता चुना था। अब चंद्रशेखर भी उसी मिलते जुलते फार्मूले पर काम कर रहे हैं। हिन्दुस्तान से बातचीत में चंद्रशेखर ने उपचुनाव के बाद अब आगामी चुनाव को लेकर अपनी नई रणनीति को साझा किया है।
हर किसी को समान शिक्षा को लेकर मुहिम छेड़ेगी आसपा
समाज के बच्चों को शिक्षित करने से राजनीति की शुरुआत करने वाले चंद्रशेखर अब पूरे देश में सभी के लिये समान शिक्षा की मुहिम छेड़ने जा रहे हैं। उसी को आगे बढ़ाते हुए आसपा अब एक नया आंदोलन शुरू करने की तैयारी में है। जिसमें वह मांग उठाएंगे कि कलेक्टर से लेकर नेता-अभिनेता के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने चाहिए। यह आंदोलन आसपा की ओर से पूरे देश में चलाया जाएगा। इस आंदोलन में जनता की अन्य समस्याओं को भी शामिल किया जाएगा।