Hindi NewsUttar-pradesh NewsChandauli NewsEssential Winter Care for Livestock Tips to Prevent Illness and Ensure Health

पशुओं को ठंड से बचाव के साथ ताजा पानी पिलाएं

Chandauli News - नियामताबाद में पशु चिकित्साधिकारी डॉ. वाईके यादव ने सर्दियों में पशुओं की देखभाल के लिए आवश्यक उपायों पर जोर दिया। ठंडी हवा, धुंध और कोहरे से बचाने के लिए उचित प्रबंध करना चाहिए, जैसे कि पशुशाला को...

Newswrap हिन्दुस्तान, चंदौलीWed, 15 Jan 2025 02:17 AM
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नियामताबाद, हिन्दुस्तान संवाद। सर्दियों में पशुओं को ठंड से बचाव को देखभाल के लिए समुचित उपाय अपनाया जाना आवश्यक है। पूर्ण उत्पादन प्राप्त करने के लिए सर्दियों में पशुओं को ठंड से बचाने के साथ ही ताजा पानी पिलाएं। प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी डॉ वाईके यादव ने कहा कि इस समय पशुओं की देखभाल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि पशु को ठंडी हवा, धुंध और कोहरा से बचाव का समुचित प्रबंध न हो तो पशु बीमार पड़ जाते हैं। इससे उनके उत्पादन क्षमता में तो गिरावट आती ही है साथ ही साथ पशु न्यूमोनिया जैसे रोगों के कारण पशु की मृत्यु भी हो सकती है। पशुपालकों को चाहिए कि वे अपने पशुओं का सर्दी के मौसम में विशेष ध्यान रखें। साथ ही उन्हें सर्दी से बचाने के लिए पशुशाला के दरवाजे खिड़कियां व अन्य खुले स्थान पर रात के समय बोरी, तिरपाल व टाट को टांगना चाहिए जिससे पशुओं को सीधी ठंडी हवा से बचाया जा सके। रात के समय में पशुशाला के फर्श पर पराली या भूसा को बिछाएं जिससे फर्श से सीधी ठंड पशुओं को न लगे। पशुशाला का फर्श ढलान युक्त होना चाहिए जिससे पशुओं का मूत्र बहकर निकल जाए ताकि बिछावन सूखा बना रहे। कहा कि पशुओं को दिन के समय धूप में छोड़ें इससे पशुशाला का फर्श सूख जाएगा। साथ ही पशु को गर्माहट भी मिलेगी। पशु को ताजा व स्वच्छ पानी ही पिलाएं जो अधिक ठंडा न हो। नवजात बच्चों व बीमार पशुओं को रात के समय किसी बोरी या तिरपाल से ढक दें तथा सुबह धूप निकलने पर हटा दें। पशुओं को हरे चारे विशेषकर वरसीम के साथ तूड़ी अथवा भूसा मिलाकर खिलाएं। रात के समय में पशुओं को सूखा चारा आहार के रूप में उपलब्ध कराएं। पशुओं को उनकी आवश्यकता के अनुसार संतुलित आहार खिलाना चाहिए। उन्हें हरा चारा उपलब्ध कराएं तथा 25 से 50 ग्राम खनिज मिश्रण एवं नमक भी चारे के साथ अवश्य देना चाहिए। पशुओं को समय-समय पर रोग निरोधक टीके लगवाएं। बीमार पशुओं को स्वस्थ, पशुओं से अलग रखें तथा, नजदीकी कुशल पशु चिकित्सक से इलाज कराएं। पशुओं को आंतरिक जीवाणुओं से बचाने के लिए समय- समय पर पशु चिकत्सिक की सलाह पर कृमि नाशक दवा देनी चाहिए। वही मच्छर, मक्खी, जुएं, किलनी अर्थात कलीली आदि की रोकथाम के लिए पशुशाला की सफाई के साथ-साथ पशु चिकित्सक के परामर्श पर बाहय परजीवी नाशक औषधियों, एंटीसेप्टिक, एंटीमाइक्रोबॉयल दवाइयों एवं डिसइनफेक्टेंट का छिड़काव करें। यदि पशुपालक इन उपायों का प्रयोग करेंगे तो पशुओं को ठंड से नश्चिति रूप से बचाया जा सकता है।

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