Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़BSP Chief Mayawati Welcomes Supreme Court Decision saying caste discrimination in prisons unfair unconstitutional

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मायावती ने किया स्वागत, कहा- जेलों में रुके जातिगत भेदभाव

सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में जेल में जाति के आधार पर काम का बंटवारा करने और जाति आधारित भेदभाव बढ़ाने वाले नियमों पर चिंता जताते हुए राज्यों के जेल मैनुअलों के भेदभाव वाले प्रविधान रद कर दिए। इस पर मायावती ने खुशी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।

Srishti Kunj लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊFri, 4 Oct 2024 10:33 AM
share Share

सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में जेल में जाति के आधार पर काम का बंटवारा करने और जाति आधारित भेदभाव बढ़ाने वाले नियमों पर चिंता जताते हुए राज्यों के जेल मैनुअलों के भेदभाव वाले प्रविधान रद कर दिए। कोर्ट ने भेदभाव वाले नियमों को संविधान के अनुच्छेद 14, 15,17,21 और 23 का उल्लंघन बताया है। इस पर मायावती ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। मायावती ने जेलों में जातिगत भेदभाव पर रोक जरूरी बताया। सुप्रीम कोर्ट के व्यवस्था में बदलाव करने पर मायावती ने खुशी जाहिर की है।

मायावती ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि देश की जेलों में भी क्रूर जातिवादी भेदभाव के तहत कैदियों से जातियों के आधार पर उनमें काम का बंटवारा कराने को अनुचित व असंवैधानिक करार देकर इस व्यवस्था में ज़रूरी बदलाव करने का माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भरपूर स्वागत। परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के जातिविहीन मानवतावादी व धर्मपिरपेक्ष संविधान वाले देश में इस प्रकार की जातिवादी व्यवस्था का जारी रहना यह साबित करता है कि सरकारों का रवैया संवैधानिक न होकर लगातार जातिवादी है। अतः मजलूमों के लिए अब सत्ता प्राप्त करना ज़रूरी।

गौरतलब हो कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि राज्यों के जेल मैनुअल में जहां भी आदतन अपराधी (हैबिचुअल अफेन्डर) का संदर्भ होगा वह संदर्भ राज्य के कानूनों में आदतन अपराधी की दी गई परिभाषा के अनुसार होगा और अगर राज्य के जेल मैनुअल में जाति के आधार पर आदतन अपराधी का संदर्भ है तो वह असंवैधानिक होगा।

ये भी पढ़ें:अमेठी में दलित परिवार की हत्या पर मायावती का गुस्सा फूटा, पुलिस के खिलाफ कार्रवा

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने जेल मैनुअल के प्रविधानों और नियमों को कोर्ट के आदेश के मुताबिक, तीन महीने में पुनरीक्षित करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए मॉडल प्रिजन मैनुअल 2016 और मॉडल प्रिजन एंड करेक्शनल सर्विस एक्ट 2023 में तीन महीने के भीतर जरूरी सुधार करे जैसा कि फैसले में इंगित किया गया है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें