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भूरा रंग, पतला शरीर और 65 सेमी की लंबाई, यूपी में दिखा दुर्लभ प्रजाति का सांप, कितना जहरीला है ग्रीन वाइन?

  • दुधवा टाइगर रिजर्व में बायोलॉजिस्टों की टीम ने एक दुर्लभ प्रजाति के सांप को खोजा है। इसकी रिपोर्ट सौंपने के बाद दुधवा के रिकार्ड में एक और सर्प प्रजाति दर्ज की गई।

Dinesh Rathour लाइव हिन्दुस्तान, लखीमपुर खीरी, (पलियाकलां)Fri, 4 Oct 2024 03:31 PM
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दुधवा टाइगर रिजर्व में बायोलॉजिस्टों की टीम ने एक दुर्लभ प्रजाति के सांप को खोजा है। इसकी रिपोर्ट सौंपने के बाद दुधवा के रिकार्ड में एक और सर्प प्रजाति दर्ज की गई। दुधवा टाइगर रिजर्व के उप निदेशक डॉ. रंगाराजू टी ने बताया कि बायोलॉजिस्टों की टीम ने बांकेताल में दक्षिण सोनारीपुर रेंज के अंदर एक महत्वपूर्ण शोध सर्वेक्षण किया। इस सर्वेक्षण के दौरान टीम में एएमयू के शोध छात्र अक्सा जसीम और सैयद बासित मियां व फील्ड बायोलॉजिस्ट विपिन कपूर सैनी ने एक अनोखे सांप को देखा और उसे अपने कैमरे में कैद कर लिया।

 कैमरे में कैद सांप ग्रीन वाइन स्नेक के रूप में पहचाना गया, जो दुधवा में इस प्रजाति का पहला दर्ज अवलोकन था। पूरे उत्तर प्रदेश राज्य में इस प्रजाति के किसी भी प्रकार के दस्तावेजीकरण का कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं है। दुर्लभ सांप की कुल लंबाई लगभग 65 सेमी होनी बताई गई है। दुर्लभ भूरे रंग के रूप में, एक पतला, लम्बा शरीर हहै। इस रंग के कारण सांप शाखाओं और सूखे पत्तों के साथ सहजता से घुलमिल जाता है। इस सांप की मौजूदगी व तस्वीरों के बारे में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया से संपर्क किया गया। 

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के रोहित रवि ने तस्वीरों की जांच की और विभिन्न शोध पत्रों की समीक्षा की। फील्ड डायरेक्टर ललित कुमार वर्मा ने इस खोज की सराहना की और अहेतुल्ला प्रसीना के संरक्षण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रजाति हल्की विषैली है, दुधवा के वन पारिस्थितिकी तंत्र के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एकत्र किए गए डेटा भविष्य की संरक्षण रणनीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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