बोल्डर, बोटा, सिलेंडर के बाद पटरी पर लोहे का खंभा, ट्रेन पलटने की कोशिश बार-बार यूपी में क्यों?
यूपी में एक महीने के अंदर ट्रेनों को पलटने की चार बड़ी कोशिश की गई है। एक कोशिश सफल भी हो गई जबकि तीन को सतर्कता के कारण विफल कर दिया गया है। सवाल यह उठ रहा है कि ट्रेनों को पलटने की कोशिश बार-बार यूपी में ही क्यों हो रही है।
यूपी में एक महीने के अंदर ट्रेनों को पलटने की चार बड़ी कोशिश की गई है। एक कोशिश सफल भी हो गई जबकि तीन को सतर्कता के कारण विफल कर दिया गया है। जिस एक कोशिश में अराजकतत्वों को सफलता मिली उसमें हालांकि कोई जनहानि नहीं हुई। कानपुर में 16 अगस्त को हुई यह कोशिश ट्रैक पर बड़ा बोल्डर रखकर की गई थी। इससे साबरमती एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। इसके बाद कानपुर में ही झांसी रूट पर 9 सितंबर को कालिंदी एक्सप्रेस को पलटने की कोशिश हुई। ट्रैक पर सिलेंडर के साथ ही पेट्रोल और ज्वलनशील पदार्थ मिले थे।
तीन दिन पहले 16 सितंबर को गाजीपुर में स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस को लकड़ी का बोटा रखकर पलटने की साजिश रची गई। अब बुधवार की रात रामपुर में दून एक्सप्रेस को लोहे के खंभे से डिरेल करने की कोशिश हुई है। सवाल यह उठ रहा है कि ट्रेनों को पलटने की कोशिश बार-बार यूपी में ही क्यों हो रही है। रेलवे पुलिस के साथ ही यूपी पुलिस भी इन घटनाओं के बाद से अलर्ट मोड पर है। यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने रेलवे पुलिस और जिलों की पुलिस कप्तानों के साथ इसे लेकर बैठक भी की और अलर्ट रहने के साथ ही ट्रैक के किनारे रहने वालों का सत्यापन करने का निर्देश दिया है।
साबरमती एक्सप्रेस के बाद कालिंदी के साथ हुई घटना के बाद एनआईए भी जांच में जुटी हुई है। कई जिलों से इसके तार जुड़ने के बाद छापेमारी और पूछताछ का दौर चल रहा है। हालांकि अभी तक पुलिस को कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है।
बुधवार की रात ही मथुरा में कोयला लदी मालगाड़ी भी डिरेल हुई जिससे दिल्ली रूट बाधित हो गया और तीन दर्जन ट्रेनों को डायवर्ट करने के साथ ही कई ट्रेनों को कैंसिल भी करना पड़ा है। अगर दस मिनट बाद मालगाड़ी डिरेल होती तो हादसा बेहद भीषण हो सकता था। जिस रूट पर मालगाड़ी पलटी उसी पर दूसरे ट्रैक से मेवाड़ एक्सप्रेस भी आ रही थी। अगर मेवाड़ के गुजरते समय मालगाड़ी डिरेल होती तो दोनों गाड़ियां चपेट में आती है बड़ा हादसा हो सकता था। मालगाड़ी के डिरेल होने के पीछे का कारण भी अभी तक नहीं पता चल सका है।
जिस समय मालगाड़ी हादसा हुआ उस समय निजामुद्दीन से उदयपुर जाने वाली 12963 छाता स्टेशन पहुंचने वाली थी। छाता पर इसका ठहराव नहीं है। यह सीधे मथुरा जंक्शन पर रुकती है। छाता के बाद आझई और फिर वृंदावन रोड से ट्रेन गुजरती है। छाता से दौड़ती हुई वृंदावन रोड को क्रॉस करने में अमूमन एक सुपरफास्ट ट्रेन को करीब 10 मिनट लगते हैं और मालगाड़ी वृंदावन रोड-आझई के बीच थी। इस तरह इस ट्रेन को क्रॉस करने में मेवाड़ को आठ-नौ मिनट लगते और उस समय अगर यह हादसा होता तो मेवाड़ भी हादसे का शिकार हो सकती थी।
हादसे की जानकारी होने पर मेवाड़ एक्सप्रेस को छाता स्टेशन पर रोक दिया गया और वहीं से वापस लौटाकर बदले रूट से मेवाड़ को पलवल, निजामुद्दीन, गाजियाबाद, मितावल, बयाना होते हुए उदयपुर के लिए रवाना किया गया। लगातार हो रही साजिश से अधिकारी भी चिंतित हैं। रेलकर्मियों को अलर्ट पर रखा गया है। पेट्रोलिंग बढ़ाने और लोको पायलट को भी सतर्कता के निर्देश दिए गए हैं।