हिन्दी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग कर दें हिन्दी को सम्मान
हिन्दी विश्व पटल पर अपनी चमक बिखेर रही है। हिन्दी दिवस पर साहित्यकारों और प्रोफेसरों ने इसे दैनिक जीवन में अधिक उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हिन्दी भारतीय संस्कृति का प्रतीक है और इसके...
हिन्दी विश्व पटल पर चमक रही है। हिन्दी की चमक यूं ही बरकरार रहे इसे लेकर प्रयास भी हो रहे हैं। हिन्दी दिवस पर जिले के साहित्यकारों और हिन्दी के प्रोफेसर से हिन्दी को लेकर बात की गई तो उन्होंने अपनी दिनचर्या में हिन्दी का अधिक प्रयोग करने पर बल दिया। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया कुछ इस तरह से दी----- हिन्दी आज सारे विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रही है। विदेशी कम्पनियां व्यवसायिक लाभ के लिए हिन्दी का प्रयोग कर रहे हैं। आज के मानसिक तनाव को देखते हुए विश्व में योग एवं ध्यान को अपनाया जा रहा है। भारत की सदियों पुरानी युक्ति वसुधेव कुटुम्बकम एक बार पुन: चरितार्थ हो रही है। - प्रोफेसर शशि प्रभा, विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग वर्धमान कालेज।
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हर वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाये जाने का उपक्रम बीते लम्बे समय से चला आ रहा है। इस दिन हिन्दी भाषा को लेकर बडे़ आयोजन कर केवल एक परम्परा का निर्वाह कर बाकी पूरे वर्ष हिन्दी को उसके हाल पर छोड़ दिया जाता है। हमें चाहिए कि किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह को छोड़कर हिन्दी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग कर हिन्दी को सम्मान दे। ताकि हमारे देश की पहचान, हमारी मातृभाषा हिन्दी को गौरवमयी स्थान प्राप्त हो।- रमेश माहेश्वरी राजहंस, साहित्यकार।
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हिंदी के उत्थान के लिए अभी काफी काम किए जाने की आवश्यकता है। सरकार के विभिन्न विभागों में हिंदी में काम करने को प्रेरित करने वाले स्लोगन लगे देखे जा सकते हैं परंतु अभी ये स्लोगन धरातल पर उतरते दिखायी नहीं देते हैं। अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने वाले बच्चे जब कार्यालयों में काम करते है तो हिन्दी का प्रयोग नहीं करते। - इन्द्रदेव भारती, साहित्यार।
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हिंदी विश्व पटल पर चमक रही है। हिंदी भारतीयों की आत्मा में रची-बसी है। विश्व पटल पर भी हिंदी को काफी लोकप्रियता मिली है। हिन्दी के प्रचार प्रसार की बात करें तो पिछले सालों में नई क्रांन्ति आई है। हालांकि अभी हमें इसके उत्थान के लिए काफी प्रयास करने की आवश्यकता है। वास्तव में हिंदी के सम्पूर्ण उत्थान के लिए उसे रोजगार की भाषा बनाना अति आवश्यक है। - रश्मि अग्रवाल, साहित्यकार
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हिंदी को उचित स्थान दिलाने के लिए यूं तो सरकार काफी प्रयास कर रही है लेकिन भारत में ही हिंदी से अछूते राज्यों में इसकी पहचान नहीं मिल पा रही है। हिंदी को उचित स्थान दिलाने की दिशा में अभी बहुत कुछ काम किया जाना जरूरी है। अपने बच्चों को अंग्रेजी के साथ साथ हिन्दी का ज्ञान और इसके प्रयोग पर ध्यान दिया जाना चाहिए।- निशा अग्रवाल, साहित्यकार
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हम हिंदी को उतना सम्मान,अपनापन नहीं दे पा रहे हैं। स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करने के मंतव्य से अंग्रेजी को अधिक महत्व देते हैं और हिन्दी की उपेक्षा करते हैं। हिंदी की यही उपेक्षा हमें बार-बार हिंदी दिवस मनाने के लिए विवश करती है। यदि हमने हिंदी को मन से अपना लिया तो हमें हिंदी दिवस मनाने की आवश्यकता ही नहीं होगी।-डा. पूनम चौहान, प्राचार्या एसबीडी डिग्री कालेज
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हिन्दी विश्व पटल पर चमक रही है। हमें हिन्दी का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। बच्चों को भी ऐसी शिक्षा दें कि उनका रूझान हिन्दी के प्रति बढे़। हिन्दी भाषा का अपना अलग ही जलवा है। स्कूल कालेजों में भी हिन्दी पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। -डा. अनिल शर्मा, साहित्यकार।
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