बोले बस्ती : हेल्थ एटीएम खुद ‘बीमार पुराने ढर्रे पर हो रही जांच
Basti News - बस्ती जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए लगाए गए हेल्थ एटीएम अब बेकार हो गए हैं। इन मशीनों में तकनीकी और सामग्री की कमी के कारण मरीजों को जांच के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। अधिकारियों के दावों...

Basti News : ग्रामीण इलाकों की रीढ़ सीएचसी और पीएचसी पर लगी हेल्थ एटीएम खुद बीमार हो गई हैं। शासन की मंशा थी कि एटीएम से विभिन्न प्रकार की जांचों की सुविधा में आसानी और समय से रिपोर्ट उपलब्ध हो। लेकिन यह हेल्थ एटीएम सही तरीके से अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकी हैं। इसको लेकर दावे चाहे जो भी हों पर उसकी जमीनी हकीकत काफी अलग है। कुछ जगह तकनीशियन मौके पर नहीं रहते हैं तो कहीं जांच में प्रयुक्त होने वाला रीजेन्ट मौजूद ही नहीं हैं। हेल्थ एटीएम सुविधा की जानकारी मिलने पर मरीज दूरदराज से अपनी जांच के साथ बेहतर इलाज की उम्मीद लिए आते हैं।
इसके लिए सुधार का प्रयास भी कई बार हुए, लेकिन सूरत नहीं बदली। अधिकारी ‘आल-इज-वेल कह रहे हैं लेकिन, मरीज उसे नकार रहे हैं। हेल्थ एटीएम अधूरे इंतजामों से बेमानी साबित हो रहे हैं। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में मरीजों व तीमारदारों ने अपनी समस्याएं साझा कीं। बस्ती जिले में 14 सीएचसी और 39 पीएचसी संचालित हैं। इसमें से आठ ही स्वास्थ्य इकाइयों पर हेल्थ एटीएम की सुविधा उपलब्ध हो सकी है। शेष ईकाइयां वंचित रह गई हैं। लेकिन, जहां एटीएम की सुविधाएं दी गईं, वहां भी दुश्वारियां इतनी कि मशीन चल भी नहीं पा रही हैं। लिहाजा, पुराने ढर्रे पर ही ब्लड जांच की सुविधा दी जा रही है। ग्रामीण परिवेश में स्थापित सीएचसी व पीएचसी पर मौजूद हेल्थ एटीएम आधुनिकता का सपना दिखाते हैं। इससे मरीजों को आधुनिक मशीन से जांच होने और उसकी जल्द रिपोर्ट मिलने की अपेक्षा रहती है। मरीजों की यह अपेक्षाएं जमीन पर पूरी होती नहीं दिख रही है। इसका कारण हेल्थ एटीएम को लेकर अव्यवस्थाओं का होना है। इन अव्यवस्थाओं के चलते ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की सोच हेल्थ एटीएम को लेकर टूटती नजर आ रही है। हालत यह है मरीजों को इलाज में मदद करने वाले हेल्थ एटीएम खुद बीमार हो गए है। उनका इलाज करने वाला कोई नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने और आधुनिक तकनीक से जोड़ने के उद्देश्य से शासन की ओर से सीएचसी-पीएचसी में हेल्थ एटीएम लगवाए गए थे। इन मशीनों के माध्यम से मरीजों को विभिन्न जांच की सुविधा मिलने का दावा किया गया था, लेकिन जमीनी हकीकत इस दावे से कोसों दूर नजर आ रही है। अजय यादव कहते हैं कि लाखों रुपये खर्च कर सीएचसी और पीएचसी पर लगे हेल्थ एटीएम रख-रखाव और सामग्रियों के अभाव में अब शो-पीस बन गए हैं। हेल्थ एटीएम में ब्लड प्रेशर, शुगर, हीमोग्लोबिन, कोलेस्ट्रॉल, ऑक्सीजन लेवल, बॉडी वेट, बॉडी मास इंडेक्स, मेटाबॉलिक एज, बॉडी फैट, डिहाइड्रेशन, पल्स रेट समेत दर्जनों प्रकार की जांचें होती हैं। अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि मशीन तो कंपनियों ने लगवा दीं, लेकिन जांच करने के लिए प्रयोग होने वाले संसाधन उपलब्ध कराने की व्यवस्था नहीं की गई है। किसी में केमिकल नहीं है तो कहीं स्ट्रिप के अभाव में मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है। हेल्थ एटीएम में खून की लगभग 48 प्रकार जांचें की जा सकती हैं। खून की जांच के लिए हेल्थ एटीएम में स्ट्रिप, केमिकल आदि प्रयोग होते हैं। जिससे कई प्रकार की जांचें मिनटों में पूरी हो जाती हैं। सल्टौआ ब्लॉक क्षेत्र में सीएचसी के अलावा पीएचसी पर हेल्थ एटीएम लगा हुआ है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से सीएचसी व पीएचसी पर तमाम जांचों के लिए रीजेंट नहीं होने के कारण मरीजों की जांच नही हो पा रही है। इसी तरह कुदरहा सीएचसी में लगे हेल्थ एटीएम में भी चंद जांचें छोड़कर अधिकतम जांचें रीजेंट नहीं होने के कारण नहीं हो पा रही है। सीएचसी विक्रमजोत, सीएचसी अमरौली शुमाली, पीएचसी सल्टौआ, सीएचसी रुधौली, पीएचसी कुदरहा और सीएचसी कप्तानगंज में मशीन खराब है इससे जांच ठप हैं। हर्रैया और कुदरहा में ही जांच हो रही हैं, लेकिन रिपोर्ट को लेकर मरीज-तीमारदार संतुष्ट नहीं हैं। कंपनी की लापरवाही से अव्यवस्था की शिकार एटीएम कंपनी की लापरवाही से हेल्थ एटीएम बीमार पड़ गई हैं। इंटरनेट तो रीजेंट तो कभी बिजली नहीं होने से हेल्थ एटीएम शो-पीस बनी हुई हैं। सीएचसी और पीएचसी पर लगी हेल्थ एटीएम ग्रामीणों के लिए छलावा साबित हो रही हैं। लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी हेल्थ एटीएम का ना तो रख-रखाव किया जा रहा है और ना ही कोई प्रशिक्षित तकनीशियन ही नियुक्त हुई है। तैनात तकनीशियन को आधी-अधूरी जानकारी देकर जबरदस्ती हेल्थ एटीएम को चलवाने के कारण दो-चार महीने चलने के बाद हेल्थ एटीएम खुद बीमार हो गई हैं। हेल्थ एटीएम लगाने वाली कंपनी द्वारा सभी को एक मोबाइल नंबर देकर बताया गया कि दिक्कत होने पर तत्काल इस पर संपर्क करें, परंतु वह नंबर लगता ही नहीं है। छह जगहों पर हेल्थ एटीएम खराब : आठ जगहों पर हेल्थ एटीएम लगाया गया था। कई महीनें चलने के बाद लगभग डेढ़ वर्ष से छह जगहों पर उसका संचालन नहीं हो रहा है। कई हेल्थ एटीएम तो आधी अधूरी जानकारी के चलते गलत रिपोर्ट देने लगी हैं। इसी के साथ ही हेल्थ एटीएम प्रशासन द्वारा भेजी गई परंतु तकनीशियन की पोस्टिंग ही नहीं की गई। इस वजह से लगभग डेढ़ वर्ष से केंद्र पर पड़ी पड़ी हेल्थ एटीएम धूल फांक रही हैं जबकि आमजन को सुगमता के साथ सभी जांचें एक हेल्थ एटीएम से होने के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में शामिल हैं। सभी मशीनों के संचालन में प्रशिक्षित तकनीशियन की कमी के साथ-साथ जिम्मेदार अधिकारियों की भी लापरवाही पड़ताल में सामने आ रही है। जिसकी कीमत क्षेत्रीय जनता को प्राइवेट जांच केंद्रों पर जाकर चुकानी पड़ रही है। लोगों ने कहा कि छह सीएससी और दो पीएचसी पर संचालित हेल्थ एटीएम जब खुद बीमार हैं तो अन्य केंद्रों की तो बात ही कुछ और है। जिले में यहां लगी हैं हेल्थ एटीएम सीएचसी कप्तानगंज, सीएचसी रुधौली, सीएचसी अमरौली शुमाली, सीएचसी विक्रमजोत, सीएचसी हर्रैया, सीएचसी कुदरहा, पीएचसी सल्टौआ और पीएचसी कुदरहा में हेल्थ एटीएम है। हर्रैया में मशीन क्रियाशील है। शेष जगहों पर ठप है। क्या है हेल्थ एटीएम हेल्थ एटीएम एक ऐसी व्यवस्था है जो बैंक एटीएम की तरह दिखती है, लेकिन यह स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं प्रदान करती है। यह मशीन मरीजों को उनकी स्वास्थ्य स्थिति की जांच करने और कुछ बीमारियों की पहचान करने में मदद करती है। यह उपकरण विभिन्न बीमारियों की जांच के लिए पैथोलॉजिकल टेस्ट कर सकती है, जैसे कि डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, मलेरिया आदि। हेल्थ एटीएम से मुफ्त में दवाइयां भी प्राप्त की जा सकती हैं। हेल्थ एटीएम मरीजों को डॉक्टरों से दूर से बातचीत करने में भी मदद करती है। कैसे काम करती है हेल्थ एटीएम हेल्थ एटीएम को निजी, वॉक-इन-मेडिकल कियोस्क के रूप में होता है। इस कियोस्क में चिकित्सा उपकरण लगे होते हैं। तकनीशियन की मदद से मरीज बेसिक कॉर्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, पल्मोनरी टेस्टिंग, गाइनोकोलॉजी, बेसिक लैबोरेटॉरी टेस्टिंग करा सकते हैं। हेल्थ एटीएम से कम समय में जांच संभव है और रिपोर्ट भी बहुत कम वक्त में मिल जाती है। इन बीमारियों की हो सकती है जांच हेल्थ एटीएम के जरिए शरीर की स्क्रीनिंग हो सकती है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर, शुगर, वजन, लंबाई, शरीर का तापमान, शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा, बॉडी मास इंडेक्स, मेटाबॉलिक एज, बॉडीफैट, डिहाइड्रेशन, पल्स रेट आदि की जांच संभव है। तीन महीने से वाई-फाई के अभाव में बंद हेल्थ एटीएम बस्ती, निज संवाददाता। सीएचसी विक्रमजोत में डेढ़ साल पहले लाखों की हेल्थ एटीएम लगी। तीन माह से मशीन वाईफाई के अभाव में बंद पड़ी हैं। 18 लाख की लागत की एटीएम हेल्थ पैथालॉजी रूम में एक किनारे रखी है। किट भी समाप्त हो गई है। इससे लोग बाहर जांच को विवश हैं। एलटी विक्रम ने बताया कि हेल्थ एटीएम के लिए वाईफाई सिस्टम लगाया गया है लेकिन एक्टिव नहीं किया गया। दूसरी समस्या इसको चलाने के लिए प्रशिक्षित टेक्निशियन तैनात नहीं है। वहीं इसको रखने के लिए एक रूम की अलग व्यवस्था होनी चाहिए जो अस्पताल में नहीं है। सीएचसी प्रभारी डॉ. आसिफ फारूकी ने बताया कि वाइफाई को एक्टिव करने तथा सुव्यवस्थित करने के लिए संबंधित आपरेटर को पत्र लिखा गया है। शिकायतें - हेल्थ एटीएम को चलाने वाले स्टाफ की कमी है। - अक्सर रीजेन्ट मौजूद नहीं रहता है, इससे जांच प्रभावित होती है। - अधिकारी हेल्थ एटीएम चलाने को लेकर रुचि नहीं लेते हैं। - दूरदराज से आने वाले मरीजों को बिना जांच लौटना पड़ता है। - कई बार मरीज निजी लैब से जांच कराने के लिए मजबूर होते हैं। सुझाव - हेल्थ एटीएम चलाने के लिए पर्याप्त स्टाफ की मौजूदगी होनी चाहिए। - रीजेन्ट की उपलब्धता प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित कराई जाए। - सीएचसी व पीएचसी पर मौजूद हेल्थ एटीएम की हमेशा मॉनीटरिंग होती रहे। - हेल्थ एटीएम के संचालन को लेकर कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाए। - एटीएम के संचालन को लेकर स्थानीय विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित हो। हमारी भी सुनें हेल्थ एटीएम में जो जांच होती है यदि शुरू हो जाए तो काफी राहत मिल जाएगी। अव्यवस्था के कारण ब्लड जांच से लोग वंचित हो रहे। जिम्मेदार नहीं सुनते हैं। शहाबुद्दीन अस्पताल में लोगों को ब्लड जांच तत्काल हो सके ओर रिपोर्ट लेकर डॉक्टर को दिखा सके इसके लिए लगी हेल्थ एटीएम निष्क्रिय है। इसको लेकर जिम्मेदार लापरवाही बरत रहे हैं। चंद्रदेव पीएचसी के जिम्मेदारों की लापरवाही से ब्लड जांच नहीं हो पाती है। बाहर ही जाकर जांच कराने की मजबूरी है। हेल्थ एटीएम का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। बिंदू सुदूर से आकर भी पीएचसी पर ब्लड जांच की संपूर्ण सुविधा नहीं मिल पाती है। उम्मीद थी कि हेल्थ एटीएम से आटोमेटिक जांच हो जाएगी, लेकिन यहां देखा तो कियास्क कमरे में बंद है। फूलमती पीएचसी में ब्लड जांच नहीं होने से संकट है। एलटी की ओर से बताया जाता है कि हेल्थ एटीएम खराब है। इसलिए ब्लड जांच बाहर से रुपये खर्च करके करानी पड़ रही है। राम भुआल सल्टौआ अस्पताल में ब्लड की जांच ठप होने से मरीजों को परेशानी हो रही है। बाहर जांच कराने के लिए मजबूर हैं। हेल्थ एटीएम सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है। राम उजागिर सीएचसी पर लगी हेल्थ एटीएम सिर्फ दिखावटी है। रसायन, टेक्निशियन और इंटरनेट के अभाव में खराब मशीन से वाहवाही लूटी जा रही है। घनश्याम सिंह सुदूर से आने के बाद भी ब्लड जांच मशीन से नहीं हो पाती है। जिम्मेदार इतने लापरवाह हैं कि कुछ बताने को तैयार भी नहीं है। जांच हो रही, सिर्फ यही आश्वासन मिल रहा है। मो. इस्माइल सीएचसी पर लगा हेल्थ एटीएम फार्मासिस्ट के कमरे में बंद रहता है। पूछने पर पता चला कि किट खत्म है तो वाइफाई नहीं है। सस्ती और तुरंत जांच में सहूलियत नहीं मिल रही है। नन्हे तिवारी हेल्थ एटीएम अस्पताल में है लेकिन कब चली कब खराब हो गई पता नहीं चलता है। प्रशिक्षित कर्मचारियों के अभाव के चलते सुविधाओ से जरूरतमंद महरूम हैं। निलेश सिंह सीएचसी बनने के बाद भी जांच की सुविधा नहीं है। यह कैसा अस्पताल है, जहां एलटी, इंटरनेट, रसायन तक नहीं है। कियास्क सिर्फ गिनाने के लिए आया है। मनीराम दो-दो अस्पताल के चक्कर में मरीज पिस रहे है, लेकिन ब्लड जांच की सुविधा दोनों अस्पतालों में नहीं है। इससे मरीज को काफी लंबा इंतजार और बाहर जाकर जांच करानी पड़ रही है। रामचंद्र सीएचसी कुदरहा में हेल्थ एटीएम ऑन नहीं थी, फिर भी जांच के लिए स्ट्रिप से ब्लड निकाल लिया गया और भेज दिया। क्या जांच हुई, यह नहीं बताया गया। पुनीता दो वर्ष पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कप्तानगंज में हेल्थ एटीएम लगी थी उम्मीद जगी थी कि मरीजों को इसका लाभ मिलेगा लेकिन यह मशीन हाथी का दांत साबित हो रही है। डॉ. सुभाष पांडेय लाखों की हेल्थ एटीएम सिर्फ दिखावे के लिए काम आ रही है। ब्लड जांच के लिए लोगों को बाहर जाना पड़ रहा है। कियास्क में जरूरी उपकरण नहीं है, इससे जांच ठप पड़ी है। नजीर अहमद हेल्थ एटीएम तो कप्तानगंज में लगी है लेकिन उस पर जांच नहीं होती है। अगर हेल्थ एटीएम संचालित हो जाए तो मरीजों को इसका लाभ मिलेगा। नवल किशोर सिंह बोले जिम्मेदार हेल्थ एटीएम के प्रयोग में आने वाले रीजेन्ट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। कभी किसी रीजेन्ट की कमी हो सकती है, लेकिन तत्काल उसकी उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाती है। पैथालॉजी में जांच के लिए अत्याधुनिक मशीनें हैं। कोशिश रहती है कि मरीजों को जांच के लिए कभी भी दिक्कत का सामना न करना पड़े। जो मशीनें खराब हैं वह जल्द ही ठीक कराई जाएगी। संबंधित एजेंसी को पत्र भेजा जाएगा। - डॉ. राजीव निगम, सीएमओ, बस्ती।
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