रोजगार सेवक: मनरेगा मजदूरों को दे रहे रोजगार, खुद को एक साल से नहीं मिल रही पगार
Bareily News - रोजगार सेवक ग्रामीण विकास की रीढ़ हैं, लेकिन एक साल से मानदेय नहीं मिलने से इनकी जिंदगी बदरंग होती जा रही है। इन्हें प्रमोशन और ट्रांसफर की कोई सुविधा नहीं है। 7788 रुपये के मानदेय से परिवार चलाना...
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रोजगार सेवक ग्रामीण विकास की रीढ़ माने जाते हैं। मनरेगा के जरिए गांव को चमकाने की जिम्मेदारी इन पर होती है। ये न सिर्फ श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराते हैं बल्कि अपने जॉब चार्ट से इतर ग्रामीण विकास से जुड़े तमाम सर्वे भी करते हैं। इसके बावजूद रोजगार सेवकों की जिंदगी बदरंग होती जा रही है। हालात यह है कि इन्हें एक साल से मानदेय नहीं मिला है। अपने हित की आवाज उठाते ही ग्राम प्रधान और अधिकारियों की नाराजगी का शिकार होना पड़ता है। रोजगार सेवकों को न प्रमोशन की सुविधा और न ट्रांसफर नीति का लाभ दिया जाता है। 7788 रुपये के मानदेय से परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। ग्रामीण विकास को रफ्तार देने के लिए अप्रैल 2008 में रोजगार सेवकों की नियुक्ति की गई थी। गांव के श्रमिकों को गांव में ही रोजगार मुहैया कराने की जिम्मेदारी रोजगार सेवकों को दी गई। रोजगार सेवक ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत पक्की सड़कों का निर्माण, इंटरलाकिंग, नालियों का निर्माण, कच्ची चकरोड, तालाब की खोदाई, अमृत सरोवर का निर्माण, पौधरोपण, खड़ंजा, अन्नपूर्णा स्टोर और गोशालाओं समेत कई कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को अंजाम तक पहुंचाते हैं।
बरेली 1188 ग्राम पंचायतों में 776 रोजगार सेवकों की तैनाती है। कुछ रोजगार सेवकों पर एक से अधिक ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी भी है। मनरेगा मजदूरों का मस्टररोल तैयार कर पूरा ब्यौरा ऑनलाइन फीड करते हैं। ताकि मजदूरों की मजदूरी का भुगतान बैंक खातों में भेजा जा सके। उनके सामने ग्राम प्रधान और अधिकारियों के साथ तालमेल बनाने की बड़ी चुनौती है। मानदेय के भुगतान को लेकर रोजगार सेवक ग्राम पंचायत से लेकर ब्लॉक और जिला मुख्यालय तक चक्कर काटते रहते हैं। ज्यादातर रोजगार सेवकों को एक-एक साल से मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है। उन्हें ईपीएफ कटने के बाद 7788 रुपये मानदेय के तौर पर दिए जाते हैं। इससे रोजगार सेवकों को परिवार पालना मुश्किल हो गया है।
रोजगार सेवकों के नहीं होते ट्रांसफर
रोजगार सेवक काफी समय से ट्रांसफर की सुविधा देने की मांग कर रहे हैं। महिला रोजगार सेवकों को ट्रांसफर की ज्यादा जरूरत है। जिस ग्राम में नियुक्ति हुई वहीं तैनात हैं। इतना ही नहीं अवकाश के लिए कोई प्रावधान नहीं है।
फसलों से लेकर आवास तक का करते हैं सर्वे
रोजगार सेवक मनरेगा की जम्मिेदारी के साथ-साथ दूसरे विभागों के सर्वे भी करते हैं। जो सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रोजगार सेवक एग्री स्टैक सर्वे के जरिए किसान की फसलों का सर्वे करते हैं। ऑनलाइन डिटेल फीड करते हैं। किसी गाटा संख्या में कौन सी फसल है इसका पूरा ब्यौरा दर्ज करते हैं। गांव-गांव गरीबों का चयन करने के लिए जीरो पॉवर्टी सर्वे भी रोजगार सेवकों ने किया। इसके अलावा राशन कार्ड, आवास और पेंशन समेत तमाम सर्वे रोजगार सेवकों के जरिए कराए जाते हैं। इतना ही नहीं आर्थिक गणना में भी अहम भूमिका रोजगार सेवक निभाते हैं।
नर्विाचन में रोजगार सेवकों की खास भूमिका
नर्विाचन में रोजगार सेवकों की खास भूमिका रहती है। ज्यादातार रोजगार सेवक को बीएलओ बनाया गया है। मतदाता सूची को अपडेट करने की जम्मिेदारी रोजगार सेवकों की है। घर-घर जाकर मतदाता सूची से लोगों को मिलान करते हैं। चुनाव के दौरान मतदान कार्मिक की भूमिका भी निभाते हैं।
मानदेय के चक्कर में चकरघन्निी बने
रोजगार सवकों को समय पर मानदेय का भुगतान न होना सबसे बड़ी समस्या है। रोजगार सेवक संघ के पदाधिकारियों को मुताबिक बरेली के करीब 700 रोजगार सेवकों को एक-एक साल से मानदेय नहीं मिला है। मानदेय के भुगतान को लेकर कई बार मांग भी उठा चुके हैं। प्रदर्शन कर चुके है। बजट की कल्लित बताकर अधिकारी पल्ला झाड़ लेते हैं। ग्राम प्रधान की मनमानी को लेकर अक्सर रोजगार सेवकों की तकरार रहती है। ग्राम प्रधान से विवाद की वजह से रोजगार सवकों को मानदेय अक्सर फंसता है। ब्लॉक और जिला मुख्यालय के अधिकारी बगैर ग्राम प्रधान की रिपोर्ट के मानदेय की फाइल को आगे नहीं बढ़ाते हैं। रोजगार सेवक को हटाने का अधिकार भी ग्राम प्रधान को होता है। ग्राम प्रधान अपने पसंद की तैनाती कराने की वजह से कई बार पुराने रोजगार सेवकों को हटाने का प्रस्ताव पास कर देते हैं।
शिकायतें:
1. रोजगार सेवकों को एक-एक साल से नहीं हुआ है मानदेय का भुगतान
2. रोजगार सेवकों से जॉब चार्ट के अलावा लिए जाते हैं दूसरे काम
3. पूरा ईपीएफ रोजगार सेवक के मानदेय से ही जमा किया जा रहा है
4. रोजगार सवकों को ट्रांसफर नीति का लाभ नहीं मिलता, दूसरी ग्राम पंचायत में नहीं जा सकते
5. रोजगार सेवकों की नियुक्ति प्रधान के हाथ में है। विवाद होते ही हटा दिए जाते हैं
6. रोजगार सेवकों को मानदेय का भुगतान प्रशासनिक मद से किया जाता है
सुझाव:
1. रोजगार सेवकों के रुके हुए मानदेय का भुगतान जल्दी किया जाए
2. रोजगार सेवकों से दूसरे विभागों के काम लेने पर रोक लगाई जाए
3. रोजगार सेवक के खाते में जमा होने वाले ईपीएफ का 50 फीसदी हस्सिा शासन दे
4. रोजगार सेवकों को ट्रांसफर दूसरी ग्राम पंचायत में करने की सुविधा दी जाए
5. रोजगार सेवकों को हटाने का अधिकार ग्राम प्रधानों को नहीं होना चाहिए
6. रोजगार सेवकों के मानदेय के भुगतान के लिए अलग से बजट की व्यवस्था हो
हमारी सुनिए:
ग्राम रोजगार सेवक संघ के जिलाध्यक्ष गंगादीन कश्यप ने कहा कि समान काम समान वेतन की नीति का लाभ मिलना चाहिए। मानदेय के भुगतान के लिए पृथक बजट की व्यवस्था होनी चाहिए। एक-एक साल से मानदेय नहीं मिला है। मानदेय में वृद्धि तुरंत हो। रोजगार सेवक परिवार का पालन पोषण नहीं कर पा रहे हैं।
ग्राम रोजगार सेवक संघ के जिला महामंत्री आरके गंगवार ने कहा कि रोजगार सेवक की स्थिति बहुत खराब हो गई है। रोजगार सवकों को एचआर पॉलिसी का लाभ मिलना चाहिए। ईएसआई की सुविधा देनी चाहिए। ट्रांसफर पॉलिसी का लाभ भी रोजगार सेवकों को मिलना चाहिए। प्रधानों का दखल बंद होना चाहिए।
रोजगार सेवकों की बात:
हमारा मानदेय बहुत कम है। सर्फि 7788 रुपए मिलते हैं। अल्प मानदेय में परिवार नहीं चल सकता। जिला स्तर पर मानदेय रोका जाता है। मानदेय बढ़ने के साथ हर महीने मिलना चाहिए।- राजकुमार
हमें प्रशासनिक मद से मानदेय दिया जाता है। प्रशासनिक मद का फार्मूला बहुत गलत है। दूसरे विभागों की तरह मानदेय के लिए अलग से बजट होना चाहिए। ताकि समय से मानदेय मिल सके।- मुलायम सिंह यादव
दूसरी ग्राम पंचायतों में हमारे ट्रांसफर नहीं किए जाते हैं। रोजगार सेवकों को ट्रांसफर की सुविधा मिलनी चाहिए। कई बार ट्रांसफर नीति लागू कराने की मांग कर चुके हैं।- सूरजपाल वर्मा
समान काम समान वेतन की पॉलिसी का लाभ रोजगार सेवकों को मिलना चाहिए। अपने काम के साथ दूसरे विभागों के कार्य भी हमसे कराए जाते हैं। इसके बाद भी अल्प मानदेय दिया जाता है।- ओमकार सिंह राठौर
रोजगार सेवक की अकास्मिक मृत्यु पर परिवार को दूसरे व्यक्ति को समायोजित किया जाना चाहिए। मृतक आश्रित कोटे का लाभ रोजगार सेवक के परिवार को नहीं दिया जा रहा।-रामनिवास
रोजगार सेवक के मानदेय से ईपीएफ की पूरी रकम काट ली जाती है। जबकि 50 फीसदी राशि का भुगतान शासन के जरिए किया जाना चाहिए। हमारे 2212 रुपए ईपीएफ के नाम पर काटे जाते हैं।- कांता प्रसाद
रोजगार सेवक को राज्य कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए। राज्य कर्मचारियों के समान ही वेतन और भत्तों का भुगतान होना चाहिए।- रवद्रिं राना
रोजगार सेवकों को ट्रांसफर की सुविधा मिलनी चाहिए। ट्रांसफर को लेकर काफी समय से मांग की जा रही है। ग्राम प्रधानों का दखल भी बंद होना चाहिए।- सरिता यादव
सरकार की योजनाओं का लाभ रोजगार सेवकों को मिलना चाहिए। रोजगार सेवक जीरो पॉवर्टी में आते हैं। आयुष्मान कार्ड और आवास की सुविधा भी मिलनी चाहिए।- ममता
ग्राम पंचायतों में मनरेगा के काम में प्रधानों को दखल बहुत अधिक रहता है। प्रधान मनमानी करते हैं। प्रधानों को दखल कम होना चाहिए। ग्राम प्रधान रोजगार सेवकों को हड़काते हैं।- सत्यपाल
रोजगार सेवकों को एचआर पॉलिसी का लाभ मिलना चाहिए। रोजगार सेवक को सेवा समाप्ति के नियम कड़े होने चाहिए। ग्राम प्रधान की मनमानी बंद हो।- रामबाबू
रोजगार सेवक की अचानक मौत पर उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी का लाभ मिलना चाहिए। इसके अलावा बीमा समेत दूसरी योजनाओं का लाभ भी दिया जाए।- कुंवरसेन गंगवार
जॉब चार्ट में जो काम हैं सर्फि वही कराए जाने चाहिए। जॉब चार्ट के अलावा तमाम विभागों के काम रोजगार सेवकों से कराए जाते हैं। उनका मेहनताना भी नहीं दिया जाता।- महेंद्र पाल
सबसे अधिक दक्कित समय पर मानदेय के भुगतान न होने से है। एक-एक साल तक मानदेय का इंतजार करना पड़ता है। अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।- अनूप गंगवार
रोजगार सेवक जिस पद पर भर्ती होता है उसी से रिटायर हो जाता है। रोजगार सेवकों को भी प्रमोशन की सुविधा का लाभ दिया जाना चाहिए।- ओमाधार सिंह
ईएसआई की सुविधा रोजगार सेवकों को मिलनी चाहिए। रोजगार सेवक और उनका परिवार भी बीमार होता है। मंहगा इलाज रोजगार सेवक की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ देता है।- विनोद मौर्य
ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के दौरान अगर विवाद हो जाए तो सरकारी तंत्र का सहयोग नहीं मिलता। रोजगार सेवक को दोषी मान लिया जाता है। ये प्रथा बंद होनी चाहिए।- राय सिंह
ज्यादातर ग्राम प्रधान रोजगार सेवकों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। उनको सेवा समाप्त कराने की धमकी देते हैं। मनचाहे काम कराने के लिए दवाब बनाते हैं। इस्रपर रोक लगनी चाहिए।- सुरेंद्र कुमार
रोजगार सेवकों को प्रमोशन का लाभ मिलना चाहिए। पूरी नौकरी एक ही पद पर बीत जाती है। रोजगार सेवकों के लिए भी ट्रांसफर नीति होनी चाहिए।- सुमन
मानदेय के भुगतान को लेकर ग्राम पंचायत से लेकर जिला मुख्यालय तक चक्कर काटने पड़ते हैं। रोजगार सेवकों का एक-एक साल के मानदेय का भुगतान अटका है।- अभिषेक शर्मा
रोजगार सेवकों को काम करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। ग्राम प्रधान और ब्लॉक के अधिकारी रोजगार सेवक के काम में दखल देते हैं। इसपर पाबंदी लगनी चाहिए।- देवकी नंदन
रोजगार सेवक गरीबों की श्रेणी में हैं। इनको गरीबों की बनाई गई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जाना चाहिए। आयुष्मान और आवास योजना का लाभ मिले।- अनिल कुमार
शासन से मानदेय के भुगतान के लिए प्रशासनिक मद आता है। अधिकारी हमारे मानदेय के भुगतान की बजाय अपनी गाड़ियों का डीजल और दूसरे मद पर खर्च कर देते हैं।- प्रवीन कुमार
ईपीएफ हर महीने जमा नहीं होना चाहिए। जबकि हमारा ईपीएफ एक-एक दो-दो साल का लंबित चल रहा है। इसमें सुधार होना चाहिए। - दिनेश पाल
ग्राम पंचायतों में रोजगार सेवकों को वत्तिीय अधिकार प्राप्त नहीं हैं। जिसकी वजह से प्रधान मनमानी कराते हैं। हमारे ऊपर दवाब बनाते हैं।- गोवर्धन सिंह
पर्यावरण संरक्षण के लिए रोजगार सेवक सजग भूमिका निभाते हैं। हरियाली बढ़ाने में सबसे बड़ा रोजगार सेवकों को है। इसके बावजूद रोजगार सेवकों को नजर अंदाज किया जाता है।- रवद्रिं सिंह
प्रधानों को बहुत अधिक हस्ताक्षेप होता है। इसको रोका जाना जरूरी है। रोजगार सेवक ग्राम प्रधानों के दवाब में काम कर रहे हैं।- मुकेश मौर्य
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