शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की मांग, समय पर हो एरियर का भुगतान
Bareily News - शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें अपनी समस्याओं के निस्तारण में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। एसीपी, वेतन बिल और प्रमोशन के मामलों में देरी और स्थानीय अधिकारियों द्वारा अनदेखी की...
किसी भी शैक्षिक संस्थान के संचालन में जितनी अहम भूमिका शिक्षकों की होती है, उतनी ही शिक्षणेत्तर कर्मियों की भी रहती है। यह दूसरी बात है कि इन कर्मचारियों के साथ हमेशा ही सौतेला व्यवहार किया जाता है। स्थानीय स्तर पर यह कर्मचारी एसीपी (एश्योर्ड कॅरियर प्रोग्रेशन) प्रकरणों के निस्तारण, एरियर भुगतान, वेतन बिल, प्रमोशन जैसे मुद्दों को लेकर जूझ रहे हैं। एक के बाद एक अधिकारी और पटल सहायक बदलते रहे मगर इन लोगों की किस्मत नहीं बदली है। बरेली जिले में माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत 78 एडेड स्कूलों का संचालन हो रहा है। इनमें तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में लगभग 500 शिक्षणेत्तर कर्मचारी काम कर रहे हैं। किसी जमाने में इनकी संख्या 700 से 800 के बीच होती थी। धीरे-धीरे कर कर्मचारी सेवानिवृत्त होते गए। शासन स्तर पर आखिरी बार वर्ष 2007-08 में ही पूर्णकालिक कर्मचारियों की भर्ती हुई थी। उसके बाद से भर्ती ही नहीं हुई। पिछले वर्ष आउटसोर्सिंग के आधार पर कुछ कर्मी रखे गए हैं। पूर्णकालिक कर्मचारियों की संख्या घटने से इन लोगों के ऊपर काम का बोझ भी लगातार बढ़ता जा रहा है। यह लोग अपने काम का पूरी जिम्मेदारी के साथ निर्वाह भी करते हैं। उसके बाद भी स्थानीय स्तर पर इन लोगों की समस्याओं के निस्तारण में खासे अड़ेंगे लगाए जाते हैं। कर्मचारी डीआईओएस कार्यालय के बाबुओं से खासे त्रस्त हैं। हिन्दुस्तान से बातचीत करते हुए शिक्षणेत्तर कर्मी कहते हैं, हम लोगों ने हर काम को पूरी जिम्मेदारी से निभाया है। कम छुट्टी और कम वेतनमान होने के बाद भी कभी किसी काम को मना नहीं किया। उसके बाद भी हम लोगों के ऊपर न तो किसी अधिकारी और न ही किसी पटल सहायक की नजरें इनायत हुईं। अपनी जायज मांगों को लेकर भी हम लोगों को लगातार धरना-प्रदर्शन करना होता है। कर्मचारी आरोप लगाते हुए कहते हैं, हम लोगों की फाइलें लंबे समय तक पटल पर लंबित रहते हैं। उनके निस्तारण के लिए नियम-विरुद्ध प्रस्ताव, दस्तावेज आदि मांगें जाते हैं। कागज की कमी पूरी करने के नाम पर खूब दौड़ाया जाता है। हालांकि उससे भी बुरी बात यह है कि कमी पूरी होने के बाद भी जब तक पटल सहायकों की अपेक्षा पूरी नहीं कर दो, तब तक कोई भी फाइल पास नहीं हो सकती है।
100 से ज्यादा एरियर बिल लंबित
कर्मचारी कहते हैं, डीआईओएस कार्यालय में इस समय हम लोगों के 100 से ज्यादा एरियर के बिल लंबित हैं। जबकि इनमें किसी भी तरह की कोई कमी नहीं है। उसके बाद भी पटल सहायक बिल दबाए बैठे हैं। जब तक उनकी इच्छा-अपेक्षा को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक बिल पास नहीं होगा।
एसीपी में जबरन की जाती है देरी
कर्मचारियों ने बताया कि हम लोगों को अपनी सेवा काल के 10वें, 16वें और 26वें वर्ष के बाद एसीपी (एश्योर्ड कॅरियर प्रोग्रेशन) का लाभ मिलता है। दरअसल सभी जगह प्रमोशन के लिए पद खाली नहीं होते हैं। ऐसे में एसीपी का लाभ देकर वेतन बढ़ा दिया जाता है। बरेली में एसीपी की बैठक कभी भी समय पर नहीं होती है। यदि बैठक हो भी जाए तो प्रकरणों के निस्तारण में जबर्दस्त हीलाहवाली दिखाई जाती है। इस बार भी बैठक हुए करीब एक हफ्ता बीत चुका है। उसके बाद भी लिस्ट जारी नहीं हुई है।
वेतन बिल में भी फंसाते हैं पेंच
कर्मचारियों का कहना है कि सरकार पेपर लेस वर्किंग पर जोर दे रही है। इस बात को जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के पटल सहायक मानने को राजी नहीं हैं। हम लोगों के वेतन बिल में भी पेंच फंसाया जाता है। हर महीने वेतन जारी करने से पहले तीन -चार प्रमाण पत्र मांगे जाते हैं। आखिर जब पहले ही सारा रिकार्ड मौजूद है तो बार-बार प्रमाण पत्र मांगने की क्या जरुरत है। इसके पीछे की मंशा सिर्फ हम लोगों को परेशान करना है।
दफ्तरी पद पर नहीं हो रहा प्रमोशन
हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान कर्मचारियों ने बताया कि चतुर्थ श्रेणी में माली, खल्लासी, लैब परिचायक, दफ्तरी, सफाई कर्मी आदि पद आते हैं। परिचारक का दफ्तरी पर पर प्रमोशन हो जाता है। शासन का स्पष्ट आदेश है कि दफ्तरी पद पर प्रमोशन पर कोई रोक नहीं है। इस प्रमोशन से कर्मचारी को वित्तीय लाभ नहीं मिलता है। सिर्फ एक प्रतिष्ठित पदनाम मिल जाता है। कुछ काम में बदलाव हो जाता है। उसके बाद भी हमारे जिले में प्रमोशन नहीं किए जा रहे हैं। जबकि पद और कर्मचारी दोनों उपलब्ध हैं।
पंचायत के स्कूल में भी प्रमोशन नहीं
बरेली में जिला पंचायत के अधीन 11 स्कूल चलते हैं। इनमें बाबू के पद पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का प्रमोशन हो सकता है। कर्मचारी बताते हैं, रिछा, सेंथल, रम्पुरिया आदि में एकल पद पर प्रमोशन हो सकता है। कर्मचारी प्रमोशन के लिए लंबे समय से गुहार लगा रहे हैं। इसमें कोई शासनदेश की भी बाधा नहीं है। उसके बाद भी अधिकारी हमारी मांग को लंबे समय से अनसुना कर रहे हैं।
सुनिए हमारी बात
समय पर मिले एसीपी का लाभ
शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष आलोक चौहान संघर्षी कहते हैं, कर्मचारियों का एसीपी पर पूरा हक है। उसका लाभ उसे समय पर मिलना चाहिए। एसीपी को लेकर इस बार जनवरी में 14 बिंदुओं की सूचना भी मांगी गई है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। पहले ही तय प्रोफॉर्मा पर प्रस्ताव बनकर गया है। उस पर प्रबंधक और प्रधानाचार्य दोनों के हस्ताक्षर हैं। उसके बाद भी नए पत्राजात मांगकर हम लोगों का शोषण किया जा रहा है।
एसीपी-वेतन निर्धारण हों एक साथ
शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ के जिला महामंत्री हरीशंकर कहते हैं, एसीपी स्वीकृति के साथ वेतन निर्धारण के बाद तत्काल संबंधित कर्मचारियों को पत्र रिसीव कराया जाए। पहले यही व्यवस्था लागू थी। अब दो-दो बार कर्मचारियों को दौड़ लगानी होती है। उसके अनावश्यक शोषण भी बढ़ता है। कर्मियों को वेतन निर्धारण के लिए अलग से प्रकरण दुबारा डीआईओएस कार्यालय में नहीं भेजना पड़े तो समय से एसीपी का लाभ भी मिलना शुरू हो जाएगा।
नोटिस बोर्ड पर लगें एसीपी के स्वीकृति पत्र
शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष संजीब कुमार पाल कहते हैं, जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से जैसे ही कर्मचारियों का एरियर स्वीकृत हो, वैसे ही उसके स्वीकृति पत्र को कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर दिया जाए। साथ ही उसे विभागीय व्हाट्सअप ग्रुप पर भी पोस्ट किया जाए। ताकि संबंधित कर्मचारी समय से अपने एरियर का भुगतान प्राप्त कर सके। नहीं तो पटल सहायक कर्मचारी का शोषण किए बिना एरियर नहीं देते हैं।
प्रमोशन की व्यवस्था तत्काल हो बहाल
शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ के मीडिया प्रभारी सतीश यादव कहते हैं, शासन स्तर से दफ्तरी और क्लर्क के पद किसी भी तरह की रोक नहीं है। जिले में पद भी खाली हैं। और, इन पदों के सापेक्ष प्रमोशन के लिए कर्मचारी भी हैं। उसके बाद भी सिर्फ अपनी हठधर्मिता के चलते स्थानीय अधिकारियों ने प्रमोशन पर अघोषित रोक लगाई है। इस रोक को तत्काल हटाया जाए और सभी पात्र लोगों का प्रमोशन कर उन्हें होली के त्यौहार का तोहफा दिया जाए।
एरियर के नाम पर बंद हो शोषण
शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ के मंडलीय मंत्री आफाक अहमद ने आरोप लगाया कि हम कर्मचारियों का सबसे बड़ा शोषण एरियर के नाम पर होता है। दरअसल एसीपी और वेतन निर्धारण के प्रकरण इसी लिए लटकाए जाते हैं कि कर्मचारियों का एरियर बने। एरियर बनते ही कमीशनबाजी का खेल शुरू हो जाता है। एरियर से जुड़ी फाइलों का निस्तारण करने वाले बाबुओं पर यदि कार्रवाई हो तो हम लोगों का शोषण और कमीशनबाजी तत्काल बंद हो जाएगी।
मानव संपदा पोर्टल पर नहीं करते अपडेट
शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ के जिला उपाध्यक्ष मोहम्मद फैसल ने बताया, गुरु नानक खालसा इंटर कॉलेज में कार्यरत कमलजीत सिंह का परिचारक से कनिष्ठ सहायक के पद पर प्रमोशन हुआ था। प्रमोशन के अनुमोदन के बाद उन्होंने 17 दिसंबर 2013 को कार्यभार ग्रहण कर लिया। अभी तक उनके पदनाम का डाटा मानव संपदा पोर्टल पर अपडेट नहीं किया गया है। हम लोगों की छुट्टी भी अपडेट नहीं हैं। इस कारण छुट्टी मिलने में भी दिक्कत होती है।
हमारी भी सुनो बात
पटल सहायक को संतुष्ट किए बिना एरियर का पैसा जारी नहीं होता है। यदि उनको नाराज कर दिया तो कोई न कोई कमी करते हुए बिल आगे भेजा जाता है। उससे मामला फंस जाता है। -संतोष कुमार अवस्थी, कर्मचारी
गुलाबराय इंटर कॉलेज, एमबी, खालसा, एसवी आदि में दफ्तरी के पद खाली पड़े हैं। शासन स्तर से कोई रोक भी नहीं है। उसके बाद भी हम लोगों के प्रमोशन नहीं किए जा रहे हैं।-लालाराम, संगठन मंत्री
कर्मचारियों की 300-300 ईएल हो चुकी हैं मगर इनको मानव संपदा पोर्टल पर अपडेट नहीं किया जा रहा है। जब अपडेशन नहीं होगा तो समय पर छुट्टी कैसे मिल पाएगी। -हरीश कुमार वाल्मीकि, उपाध्यक्ष
वेतन जारी करने से पहले फिजूल के प्रमाण पत्र मांगे जाते हैं। जबकि शासन से ऐसे कागज मांगने का कोई आदेश नहीं है। कागजों के चक्कर में वेतन समय से नहीं आ पाता है। -राजेश चंद्र पाठक, कर्मचारी
जो लोग अधिकारियों-कर्मचारियों की नाजायज मांगों को मान लेते हैं। उनके काम आसानी से हो जाते हैं। बाकी के लोग तो बस डीआईओएस कार्यालय के चक्कर काटते रहते।-विनय शर्मा, कर्मचारी
डीआईओएस कार्यालय में एरियर, एसीपी, वेतन बिल आदि से जुड़े पटलों को बदलने की जरुरत है। यदि यह काम हो जाए तो कर्मचारियों की आधी से ज्यादा दिक्कतें खत्म हो जाएंगी। -रमेश कुमार, संगठन मंत्री
अधिकारी हमारा ज्ञापन लेने के बाद रख लेते हैं। कई मामले वर्षों से लंबित पड़े हैं। यदि अधिकारी हम लोगों के प्रति थोड़ी सहानुभूति दिखाएं तो हमारी मुश्किलें कम हो जाएं।-राजकुमार शर्मा
एसीपी की मीटिंग के करीब एक हफ्ता बाद भी सूची जारी नहीं हुई है। आखिर इस देरी की वजह क्या है। हम लोगों से किसी काम में देरी हो तो तुरंत कार्रवाई कर दी जाती है।-अनिल कुमार रस्तोगी
छोटी-छोटी बातों पर हम कर्मचारियों का वेतन रोक दिया जाता है। बाद में उसे जारी करने के नाम पर शोषण किया जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिए। हमारी समस्याओं का निस्तारण हो। -सुरजीत सिंह
हम माध्यमिक शिक्षा विभाग के एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। मगर, विभाग हमारी भूमिका को सिर्फ काम लेने तक ही समझता है। जब हमारी समस्याओं के निस्तारण की बात आती है तो भुला दिया जाता।-वीरपाल
विभाग को सबसे पहले एसीपी के सभी प्रकरण निपटाने चाहिए। एरियर के 100 से ज्यादा मामले लंबित हैं। उनका भी तत्काल निस्तारण कर पैसा जारी कर देना चाहिए। इससे हमें राहत मिलेगी। -अशोक कुमार
समस्या:
- एपीसी की बैठक कभी भी समय पर नहीं की जाती है। बैठक होने के बाद भी समय पर लाभ पाने वाले कर्मचारियों की सूची जारी नहीं होती है।
- एपीसी की बैठक के बाद वेतन निर्धारण के लिए दुबारा से पूरी प्रक्रिया कराई जाती है। इससे कर्मचारियों का वृहद स्तर पर शोषण किया जाता है।
- शासन स्तर से दफ्तरी और बाबू के पद पर प्रमोशन की कोई रोक नहीं है। उसके बाद भी शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के प्रमोशन नहीं किए जा रहे हैं।
- मानव संपदा पोर्टल पर हमारी छुट्टियों को अपडेट नहीं किया गया है। इसके चलते छुट्टी नहीं मिल पाती हैं। प्रमोशन के बाद पद भी अपडेट नहीं हैं।
- एरियर के कम से कम 100 मामले लंबित चल रहे हैं। कर्मचारी चक्कर-चक्कर काटकर थक गए। पटल सहायक हम लोगों के शोषण में लगे हैं।
समाधान:
- शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के एसीपी प्रकरणों में नियम विरुद्ध मांगे जा रहे प्रबंध समिति के प्रस्ताव को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए।
- प्रति माह वेतन बिल के साथ अनावश्यक रूप से मांगे जा रहे प्रमाण पत्रों को बंद किया जाएगा। इससे पेपर लेस वर्किंग को बढ़ावा मिलेगा।
- जिले के कई कर्मचारियों का रुका हुआ वेतन स्वीकृति के बाद भी जारी नहीं हुआ है। इन कर्मचारियों का वेतन तत्काल प्रभाव से जारी हो।
- जिला परिषद के प्रबंधन में चलने वाले स्कूलों में रिक्त एकल लिपिक पदों अर्ह कर्मियों के प्रमोशन का आदेश जल्दी से जल्द जारी किया जाए।
- स्कूलों में परिचारक संवर्ग के अंतर्गत रिक्त दफ्तरी पदों पर शिक्षा निदेशक माध्यमिक के जारी निर्देशों के क्रम में पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू की जाए।
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