बांदा में बैंकों में सेवाएं बंद होने से आधार बनवाने और संशोधन को भटक रहे लोग
मुख्य डाकघर में आधार बनवाने और संशोधन कराने के लिए लंबी कतारें लग रही हैं। सुबह चार बजे से लोग लाइन में खड़े होते हैं, लेकिन केवल 30 लोगों को ही टोकन मिलता है। सर्वर की समस्या के कारण सीमित संख्या में...
शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, नौकरी सभी जगह आधार अनिवार्य है। यदि आधार बनवाने में नाम, पता, जन्मतिथि आदि में गलती रह जाती है तो संशोधन कराना होता है। संशोधन और आधार बनवाने के लिए बैंक के साथ डाकघरों को अधिकृत किया गया है। जनपद में स्थिति यह है कि मुख्य डाकघर छोड़ कहीं भी आधार बनवाने और संशोधन की सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इससे मुख्य डाकघर के बाहर सुबह चार बजे से ही लाइन लग जाती है। टोकन सिर्फ 30 को ही दिया जाता है। इससे बाकी लोगों को बैरंग लौटना पड़ता है। बस अड्डा रोड स्थित प्रधान डाकघर के बाहर सुबह चार बजे से लोगों की लाइन लग जाती है। कोई आधार कार्ड में संशोधन तो कोई नया अधारकार्ड बनवाने के लिए खड़ा रहता है। इनमें महिलाओं के साथ ही बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल रहते हैं। यह स्थिति करीब एक माह से है। हर दिन दो सौ से अधिक लोगों की लाइन लगती है। पर लाइन में खड़े सिर्फ 30 लोगों को ही टोकन दिया जाता है। इससे लाइन में खड़े बाकी लोगों को बैरंग लौटना पड़ता है। टोकन न मिलने पर से नाराज सुबह से लाइन में खड़े बिसंडा के रजनीश, पैलानी के शिवबहादुर, चिल्ला के अमरेश और शिवा, महोखर की सुनीता, तिंदवारी से रमाकांत आदि ने बताया कि सारा जरूर कार्य छोड़कर जल्दी पहुंचे। उम्मीद थी कि टोकन मिल जाएगा। पर सिर्फ 30 लोगों को ही टोकन देने की शर्त के चलते बैरंग लौटना पड़ रहा है। प्रशासन को इस गंभीर समस्या को लेकर ध्यान देना चाहिए। बैंकों में सुविधाएं होने के बाद भी वहां से लौटा दिया जाता है।
कभी सर्वर डाउन होने से 30 में ही बीत जाता दिन
प्रधानडाक घर के आधार सेंटर में तैनात कर्मचारी ने बताया कि आधार अपडेट करने में सबसे अधिक सर्वर की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस वजह से 30 लोगों को ही टोकन दिया जाता है। बमुश्किल पूरा दिन लगने पर 30 लोगों का ही काम हो पाता है।
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