बोले बलरामपुर-स्वास्थ्य केन्द्रों पर दूर हो चिकित्सकों की कमी तो बने बात
Balrampur News - समस्या बलरामपुर, संवाददाता। भारत नेपाल सीमावर्ती एवं अल्प संख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में बनाए गए छह

समस्या बलरामपुर, संवाददाता। भारत नेपाल सीमावर्ती एवं अल्प संख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में बनाए गए छह प्राथमिक एवं तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। मैन पॉवर की कमी के कारण इनका संचालन सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। जबकि विभिन्न योजनाओं के तहत काफी समय पूर्व करोड़ों की लागत से इन प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है। स्वास्थ्य केन्द्रों को संसाधनों से भी लैस कर दिया गया है। चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ न होने से इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। अगर इन सभी स्वास्थ्य केन्द्रों का संचालन शुरू हो जाए तो करीब छह से सात लाख लोगों को सरकारी चिकित्सीय सुविधा का लाभ मिल सकेगा।
भारत नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र रजवापुर में बार्डर एरिया डब्लप्मेंट के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण कराया गया है। इसी तरह से नन्दमहरा व मदरहवा में मुख्यमंत्री के घोषणा के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण कराया गया है। राज्य सेक्टर से इमिलिया कोड़र में व एमएसडीपी योजना के तहत अल्पसंख्यक विभाग ने बनकटवा कलॉ व मनकौरा भगवानपुर मेंं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बनवाया है। एमएसडीपी योजना के तहत जो प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाए गए हैं, वहां अभी आवास नहीं बनाया गया है। आवास के लिए बजट न होने की बात कही जा रही है। इसी तरह से सात करोड़ की लागत से राज्य सेक्टर से हर्रैया सतघरवा में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण कराया गया है। काफी पहले इस स्वास्थ्य केन्द्र की शुरुआत तो कागजों में कर दी गई, लेकिन आज तक इस स्वास्थ्य केन्द्र को अपना एक अधीक्षक तक नहीं नसीब हुआ है। उधारी के डॉक्टरों से यहां पर काम चलाया जा रहा है। सीएचसी में अत्याधुनिक उपकरण भी लगाए गए हैं। चिकित्सक व मैन पॉवर की कमी के कारण इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह से एमएसडीपी योजना के तहत रेहरा बाजार और महदेइया में तीन करोड़ 74 लाख की लागत से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण कराया गया है। इन दोनों सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी आवासीय सुविधा न होने के कारण है कि यहां पर कोई चिकित्सक व स्टाफ जाना नहीं चाहता है। जर्जर पीएचसी में चल रही रेहरा बाजार की सीएचसी रेहरा बाजार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का संचालन यहां के जर्जर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के भवन में किया जा रहा है। रेहरा बाजार स्वास्थ्य केन्द्र भवन की हालत यह है कि इसमें ड्यूटी करना भी चिकित्सक व अन्य स्टाफ के लिए भारी पड़ रहा है। बारिश में जहां भवन छत टपकने लगती हैं वहीं मरीजों के लिए शौचालय एवं रैन बसेरे तक की व्यवस्था नहीं है। जर्जर विद्युत तारों से आपूर्ति की जा रही है। जिससे कभी भी कोई हादसा हो सकता है। अब जब नए सीएचसी का भवन बनकर तैयार हो गया है तो इसे शिफ्ट करने में इतना विलंब क्यों किया जा रहा है। रेहरा बाजार एवं महदेइया दोनों सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अल्प संख्यक बाहुल्य क्षेत्र में एमएसडीपी योजना के तहत बनाया गया है। स्वास्थ्य केन्द्र शुरू न होने से मरीजों को उठानी पड़ रही परेशानी नवीन स्वास्थ्य केन्द्रों का संचालन न होने और सुविधाओं के अभाव में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मरीज और तीमारदारों को इलाज के लिए लम्बी दूरी तय करनी पड़ती है। जानकारों की मानें तो छह प्राथमिक एवं तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों का संचालन सुचारु रूप से शुरू होने से करीब सात लाख लोगों को इसका फायदा मिलेगा। लोगों को अपने क्षेत्र में इलाज की सुविधा मिलेगी। बेवजह भागदौड़ से भी लोगों को फुरसत मिलेगा। लोगों का कहना है कि स्थानीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को प्रयास करके इन सभी स्वास्थ्य केन्द्रों का संचालन शीघ्र शुरू कराना चाहिए, जिससे इसका लाभ लोगों को मिल सके।
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