बाल रामायण लिखकर सनातन की सेवा, स्कूली बच्चों को मुफ्त में बांटी जा रही किताब, 120 पेज में 64 फोटो
- बरेली के दीपंकर गुप्त ने 120 पेज की बाल रामायण लिखी है जिसे वो स्कूलों में बच्चों को मुफ्त में बांटते हैं। उनका कहना है कि बच्चों को सनातन धर्म की सीख देने के लिए वो ऐसा कर रहे हैं।
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महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण और गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस की कथा को छोटे बच्चों की समझ में आसानी से आने के लिए लेखक दीपंकर गुप्त ने बाल रामायण लिख दी है। बाल रामायण में चित्रों का भरपूर इस्तेमाल हुआ है ताकि बच्चे पढ़ने के साथ ही देखकर भी समझ सकें कि भगवान राम की पौराणिक कहानी क्या है। दीपंकर गुप्त बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। अभियान के तहत दीपंकर स्कूलों में जाते हैं और वहां बच्चों को बाल रामायण की प्रति निशुल्क देते हैं। इसके अलावा वो बच्चों के बीच में सनातन संस्कृति ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन भी करते हैं।
बदायूं रोड पर रहने वाले दीपंकर ने बच्चों को राम नाम से जोड़ने के लिए बाल रामायण तैयार की है। उन्होंने कोरोना के दौरान बाल रामायण लिखना शुरू किया था। 120 पेज की इस रामायण में 64 चित्रों का प्रयोग किया गया है। उनका कहना है कि बच्चों को शब्दों से ज्यादा फोटो आकर्षित करते हैं, इसलिए उन्होंने चित्रों को तरजीह दी। अब इस रामायण के जरिये वो बच्चों को सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति से जोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों में जाकर बच्चों को यह पुस्तक वो मुफ्त में देते हैं और उन्हें इसका अध्ययन करने के लिए प्रेरित करते हैं। दीपंकर बरेली के 114 स्कूलों के हजारों छात्रों को बाल रामायण की प्रति दे चुके हैं।
सनातन संस्कृति ज्ञान प्रतियोगिता का करते हैं आयोजन
दीपंकर गुप्त स्कूलों में बाल रामायण बांटने के अलावा सनातन संस्कृति ज्ञान प्रतियोगिता करवाते हैं। इस माध्यम से वो नई पीढ़ी को धर्म के प्रति जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं। दीपंकर कहते हैं कि वास्तव में सनातन संस्कृति की स्थिति आज अत्यंत चिंतनीय है। उसका मूल कारण है कि हमने बच्चों को अपनी संस्कृति से अपरिचित रखा है। बाल रामायण बच्चों में भारतीय संस्कारों की अलख जगाने में निश्चित रूप से भूमिका निभाने में सक्षम है।