खुदा की रहमतों के लिए भूखे-प्यासे रखकर इबादत
Azamgarh News - निजामाबाद में रमजान का महीना शुरू होते ही दुकानों में रौनक आ गई है। लोग रमजान की खरीदारी और ईद की तैयारियों में लगे हैं। रमजान इस्लाम में रहमतों और नेकियों का महीना है, जहाँ रोजेदार अल्लाह के लिए संयम...

निजामाबाद, हिन्दुस्तान संवाद। कस्बे में रमजान का महीना शुरू होते ही दुकानें सज गई हैं। लोग रमजान की खरीदारी के साथ ही ईद की भी तैयारियों में जुट गए हैं। इबादत का महीना रमजान मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए खास होता है। मौलाना एहतेशाम ने बताया कि इस्लाम धर्म में माहे रमजान को रहमतों और नेकियों का महीना कहा गया है। सभी लोग रूहानी उम्मीदों के साथ इस महीने का इस्तकबाल करते हैं। रमजान सब्र का महीना है और सब्र का फल जन्नत है। इसका मतलब यह है कि रोजेदार जब इस महीने में सिर्फ अल्लाह के लिए अल्लाह के हुक्म से और अल्लाह की खुशी के लिए अपनी पसंद की तमाम चीजें छोड़कर अपनी ख्वाहिशात को रोककर सब्र करता है, तो अल्लाह पाक ऐसी कुर्बानी देने वाले बंदों को जन्नत की राहतें और लज्जतें अता फरमाएगा। यह महीना हमदर्दी का है। इस महीने में हर रोजेदार को भूखे की भूख और प्यासे की प्यास का एहसास होता है। रोजे से आदमी में इंसानियत के प्रति हमदर्दी और गमख्वारी का जज्बा पैदा होता है। उन्होंने बताया कि मुसलमान हर साल पूरे एक महीने तक नफ्स और जिस्म की तरबीयत हासिल करते हैं और बर्दाश्त की आदत डालते हैं। रमजान के मुबारक महीने में वक्त की पाबंदी की बेमिसाल तरबीयत हासिल होती है। इस महीने में नेकी, हमदर्दी, सहयोग और भाईचारे का एहसास अता होता है। गरीब और अमीर को एक-दूसरे के एहसास और जज्बात को समझने का मौका मिलता है।
रमजान का कुरआन मजीद से गहरा संबंध
सरायमीर। मोहम्मद उमर असलम इस्लाही ने बताया कि रमजान में कुरआन नाजिल हुआ इससे रमजान की अहमियत बढ़ गई। हम लोगों को रमजान और कुरआन के ताल्लुक को समझना चाहिए। अललाह तआला ने फरमाया है। वह रमजान का महीना है। जिसमें कुरआन उतारा गया। कुरआन लोगों की हिदायत का सर चश्मा है और इसमें हिदायत के सारे रास्ते और तरीके बता दिए गए हैं।
मुकद्दस रमजान
इफ्तार (06 मार्च) गुरुवार
सुन्नी शिया
6.04 बजे शाम 6.14 बजे शाम
सहरी (07 मार्च) शुक्रवार
सुन्नी शिया
4.53 बजे प्रात: 4.50 बजे प्रात:
(समय में क्षेत्रवार परिवर्तन संभव है)
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