रोडवेज के कलर में सड़कों पर दौड़ रहीं निजी बसें
Azamgarh News - आजमगढ़ में निजी बस संचालक यात्रियों के साथ धोखा कर रहे हैं। रोडवेज बसों के रंग और नाम का अनुकरण करते हुए निजी बसें चलायी जा रही हैं, जिससे निगम को भारी नुकसान हो रहा है। परिवहन निगम ने अवैध बसों के...

आजमगढ़, संवाददाता। निजी बस संचालक रोडवेज बसों के नाम यात्रियों के साथ छलावा कर रहे हैं। आजमगढ़ से वाराणसी, गोरखपुर, मऊ, जौनपुर आदि रूटों पर हुबहू रोडवेज बसों के कलर की निजी बसें संचालित की जा रही हैं। इन बसों के अवैध परिचालन से निगम को लाखों रुपये का चूना लग रहा है। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम और निगम से अनुबंधित अधिकांश बसों का आगे का रंग केसरिया है। निगम की बसों के आगे और अगल-बगल उत्तर प्रदेश परिवहन और अनुबंधित बसों पर उत्तर प्रदेश परिवहन से अनुबंधित के साथ ही अनुबंध की तिथि भी लिखी होती है। ठीक इसी तर्ज पर वाराणसी, गोरखपुर, मऊ, जौनपुर आदि रूटों पर निजी बसें भी संचालित की जा रही हैं। इन बसों का रंग भी केसरिया है। उन पर उत्तर प्रदेश प.स. लिखा हुआ है। विभिन्न मार्गों पर संचालित इस तरह की निजी बसें आजमगढ़ बस स्टेशन के अगल-बगल से सवारियां बैठाकर चल रही हैं। इन अनाधिकृत बसों को यात्री झटके में निगम की बस समझकर सवार हो जाते हैं। रास्ते में भी यात्री इन बसों को निगम की बस समझकर धोखा खा जाते हैं। लोगों को जानकारी तब होती है जब बस में बैठने के बाद वे टिकट की मांग करते हैं। तब पता चलता है कि यह निजी बस है।
बस स्टैंड से एक किमी की परिधि में प्राइवेट बस अड्डा
परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक के अनुसार, राष्ट्रीयकृत मार्गों पर अनाधिकृत रूप से संचालित निजी बसों को प्रतिबंधित किए जाने एवं प्राइवेट बस अड्डा परिवहन निगम के बस स्टैंड से कम से कम एक किमी की दूरी पर स्थापित कराए जाने का शासन से निर्देश हैं। इसके बावजूद एक किमी की परिधि के अंदर नगर के नरौली पुल के पास प्राइवेट बस अड्डा बना दिया गया है। अनाधिकृति रूप से बने इस प्राइवेट बस अड्डे से निजी बसों के साथ ही डग्गामार वाहन विभिन्न रूटों पर संचालित हैं। परिवहन निगम के आरएम ने कई बार आरटीओ, एआरटीओ से लेकर प्रशासन को पत्र भेजकर अवगत कराया। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। एक-दो दिन कुछ बसों का चालान कर जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं।
परिवहन निगम के रंगों में नहीं चल सकतीं निजी बसें
परिवहन निगम के कलर में निजी बसों को नहीं चलाया जा सकता। क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज वाजपेयी ने बताया कि निगम का मोनोग्राम लगाने, और उत्तर प्रदेश प.स. लिखकर सड़कों पर प्राइवेट बसों का परिचलन पूरी तरह से अवैध है। कोई भी निजी बस निगम के रंग में उसका मोनोग्राम लगाकर नहीं चल सकती है। कंपनियों से जो बसें आती हैं, वे सफेद रंग में होती हैं। बाद में निगम उसे अपने रंग में रंगवाता है। यहीं शर्त अनुबंधित बसों के लिए भी है। निगम के रंग में रंगवाने के बाद ही अनुबंध किया जाता है।
कोट -
परिवहन निगम के रंग में निजी बसें कंपनी से ही निकल रही हैं। कुछ बस आपरेटर अपनी बसों पर उत्तर प्रदेश परमिट संख्या लिख दिए हैं। यह नहीं होना चाहिए। संभागीय परिवहन कार्यालय की ओर से इस तरह की अवैध रूप से संचालित बसों और डग्गामार वाहनों के खिलाफ हमेशा अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है।
अतुल कुमार यादव, एआरटीओ परिवर्तन
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