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गेहूं की अच्छी पैदावार में खरपतवार प्रबंधन आवश्यक : डॉ. एलसी वर्मा

Azamgarh News - आजमगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने गेहूं की फसल की अच्छी पैदावार के लिए खरपतवारों और कीड़ों से बचाने के लिए रासायनिक दवाओं के समय पर प्रयोग की सलाह दी है। बुआई के 25 से 30 दिन बाद खरपतवारों...

Newswrap हिन्दुस्तान, आजमगढ़Mon, 13 Jan 2025 03:04 PM
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आजमगढ़, संवाददाता। कृषि वज्ञिान केंद्र लेदौरा के वरष्ठि वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. एलसी. वर्मा ने बताया कि गेहूं की फसल में अच्छी पैदावार लेने के लिए प्रतियोगी खरपतवारों के लिए सुरक्षित शाकनाशी एवं कीड़ों से बचाने के लिए रासायनिक दवाओं का समय—समय पर प्रयोग करके अधिक से अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। वैज्ञानिक डा. एमपी गौतम ने कहा कि बुआई के उपरांत 25 से 30 दिन की अवस्था पर प्रतियोगी खरपतवारों को नियंत्रण करना आवश्यक प्रक्रिया है। गेहूं की फसल में सकरी पत्ती वाले खरपतवार गेहूं सा एवं जंगली जई उगते हैं। जबकि चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार बथुआ, कृष्ण नील, सेनजी, हिरनखुरी,जंगली मटर, प्याजी, सत्यानाशी, चटरी मटरी, अकरा अकरी आदि भी उगते हैं। उन्होने कहा कि सकरी पत्ती वाले खरपतवार गेहूंसा, जंगली जई के नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरान 75 फिसदी घुलनशील रवे 33 ग्राम (2.5 यूनिट) प्रति हेक्टेयर को पांच सौ से छह सौ लीटर पानी अथवा क्लोडिनाफॉप प्रोपिजिल 15 फीसदी घुलनशील चूर्ण चार सौ ग्राम दवा प्रति हेक्टेयर की दर से पांच सौ से छह सौ लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 25 से 30 दिन बाद पहली सिंचाई के उपरांत फ्लैट फेन नाजिल युक्त स्प्रे से छिड़काव करना चाहिए। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारओं के नियंत्रण के अंतर्गत मेटसल्फ्यूरान 20 ग्राम प्रति हैक्टेयर अथवा कार्फेंट्रजान ईथाइल 40 फीसदी डीएफ 50 ग्राम प्रति हेक्टेयर को पांच सौ से छह सौ लीटर पानी में घोल बनाकर बुवाई के 25 से 30 दिन बाद छिड़काव करना चाहिए।

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