ठंड ने मनरेगा मजदूरों को किया बेहाल, नहीं मिल रहा रोजगार
Azamgarh News - आजमगढ़, संवाददाता। कड़ाके की ठंड से जहां जनजीवन अस्त व्यस्त रहा, वहीं कामकाज पर
आजमगढ़, संवाददाता। कड़ाके की ठंड से जहां जनजीवन अस्त व्यस्त रहा, वहीं कामकाज पर भी असर पड़ा है। खासतौर से मनरेगा में कार्य करने वाले श्रमिक इस ठंड में 15 प्रतिशत कम हो गए हैं। इससे गांवों में विकास कार्यों की रफ्तार धीमी पड़ गई हैं। कुछ गांवों में तो श्रमिक न आने के कारण कार्य बंद हैं।
जिले के 1811 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत नाली निर्माण, खड़ंजा, आरसीसी, चकरोड, माइनरों की सफाई, पोखरे की खुदाई आदि कार्य कराया जाता हैं। शासन की योजना के अनुसार श्रमिकों को गांवों से हो रहे पलायन को रोकने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को गांवों में ही रोजगार देने के लिए मनरेगा योजना लागू किया गया हैं। इसमें कार्य करने वाले मनरेगा श्रमिकों को प्रतिदिन 237 रुपये मजदूरी दी जा रही है। जिले में 2024-25 वित्तिय वर्ष में मनरेगा के तहत 48 हजार परिवारों को सौ दिन का रोजगार देने का लक्ष्य शासन स्तर से निर्धारित किया गया है। लक्ष्य के सापेक्ष 20 जनवरी तक 14 हजार 432 परिवारों को अभी तक सौ दिन का रोजगार दिया जा चुका है। जबकि 27 हजार 904 परिवारों को 81 से 89 दिन का रोजगार उपलब्ध करा दिया गया है। वहीं उपायुक्त श्रम रोजगार ने बताया कि जल्द ही इन मनरेगा श्रमिकों को 20 दिन का और रोजगार उपलब्ध करा दिया जायेगा, जिससे इन्हें भी सौ दिन का रोजगार मिलने का लक्ष्य पूरा हो सके। उन्होंने कहा कि अब तक जिले में 40 हजार से अधिक श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कर दिया गया है। उपायुक्त श्रम रोजगार ने कहा कि कहा कि जनवरी माह में कड़ाके की पड़ रही ठंड और शीत लहर के चलते मनरेगा के श्रमिकों की संख्या करीब 15 प्रतिशत तक कम हुई है। ग्राम प्रधान और पंचायत सहायकों द्वारा मनरेगा श्रमिकों को फोन करके कामों पर बुलाया जाता हैं। फरवरी माह में ठंड में कम होने पर मनरेगा श्रमिकों की संख्या बढ़ने के आसार हैं।
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