बोले आजमगढ़ : जाम-गंदगी और हटे दुर्गंध तो फैले कोराबारी सुगंध
Azamgarh News - आजमगढ़ के कपड़ा व्यापारियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जाम, नालियों की गंदगी, और जीएसटी के कारण व्यापार प्रभावित हो रहा है। पार्किंग की कमी और ऑनलाइन खरीदारी भी बिक्री को कम कर रही है।...

आजमगढ़ शहर में मुख्य चौक से तकिया तक एक किलोमीटर की परिधि में कपड़े की छोटी-बड़ी तीन सौ से अधिक दुकानें हैं। यहां फुटकर और थोक कारोबार होता है। सबसे घनी आबादी वाले इस इलाके में वैसे हर कदम पर समस्याएं हैं लेकिन हर दिन का जाम, नालियों की गंदगी और उसकी बदबू ने कपड़ा व्यापारियों का जीना दुश्वार कर रखा है। इसका असर कारोबार पर भी दिखने लगा है। तारों का जाल भी मुसीबत है। व्यापारियों का कहना है कि मार्केट से समस्याएं दूर होने पर ही कारोबारी सुगंध फैलेगी। आसिफगंज में ‘हिन्दुस्तान के साथ बातचीत में कपड़ा व्यवसायी राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि चौक, आसिफगंज, पुरानी कोतवाली में कपड़े की कई दुकानें और शोरूम हैं। इन इलाकों में काफी घनी आबादी है। सड़क के दोनों तरफ पुराने समय की नालियां हैं। इस इलाके में कई ऐसी दुकानें हैं, जहां दुकानदार ग्राहकों को अंदर नहीं ले जा सकते। छोटी दुकानों में अंदर माल भरा है। ग्राहकों को दुकान के बाहर से सामान खरीदना पड़ता है। उन दुकानों के नीचे नालियों की प्रतिदिन सफाई न हो पाने से बदबू फैलती रहती है। ग्राहकों को थोड़ी देर भी खड़ा होना मुश्किल हो जाता है। इसका सबसे बुरा असर दुकानदारी पर पड़ रहा है। नगरपालिका के सफाईकर्मी सड़कों की सफाई प्रतिदिन करते हैं, लेकिन नालियों की सफाई वर्षों से नहीं हुई है।
चारों तरफ तारों का जाल
बलराम तुलस्यान ने बताया कि आसिफगंज के व्यस्त बाजार में दुकानों का बिजली का लोड बहुत ज्यादा है। बिजली विभाग ने अंडरग्राउंड केबिल बिछवाए लेकिन यह व्यवस्था सफल नहीं हो सकी। आए दिन ओवरलोड के चलते शॉट सर्किट हो रही थी। अंडर ग्राउंड केबिल जल जा रहे थे। हर दिन की इस दिक्कत को देखते हुए ओवरहेड मोटा केबल लगवाया गया। इससे एक बार फिर तारों का जाल फैल गया है। वह दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा है। कई जगह दुकानदारों ने दुकान के ऊपर गोदाम बना रखा है। ऐसे में शार्ट सर्किट से हादसे की आशंका रहती है।
सिर दर्द बने पुराने स्टॉक
व्यापारी गिरिराज सिंहल ने बताया कि कुछ कपड़ों के स्टॉक नहीं बिके हैं। उन्हें किनारे रखा गया है। ज्यादा पुराना होने के कारण वे आउट ऑफ फैशन हो गए हैं। उन्हें अभी दुकान से हटाया नहीं गया है। कुछ कपड़ों को गोदाम में रखवा दिया गया है। जीएसटी के अधिकारी बिलिंग और नए स्टॉक को देखर संतुष्ट हो जाते हैं, लेकिन पुराने स्टॉक पूछताछ करने लगते हैं। उन कपड़ों का बिल मांगते हैं। तब दुकानदारों को काफी परेशानी होती है। जीएसटी अधिकारी एक नहीं सुनते हैं। कई बार उन पर पेनाल्टी लगा दी जाती है। इस समस्या का निदान जरूरी है।
जाम से छिटक रहे ग्राहक
गोपालकृष्ण अग्रवाल ने बताया कि इस इलाके में सुबह आठ बजे से रात दस बजे तक नो एंट्री रहती है। इस कारण चार पहिया वाहन बाजार में नहीं आ सकते। नो एंट्री के बाद भी इस इलाके में हमेशा जाम लगा रहता है। उसी समय कारोबार का वक्त होता है। चार पहिया वाहनों पर रोक और जाम से धंधा प्रभावित हो रहा है। ग्राहक जाम देख इधर नहीं आना चाहते। कारोबार पर असर देखकर अब व्यापारी भी शहर से बाहर सिधारी इलाके में दुकानें खोलने लगे हैं।
पार्किंग समस्या का चाहिए समाधान
कपड़ा शोरूम के संचालक सौरभ डालमिया ने बताया कि यहां पर सबसे बड़ी समस्या पार्किंग की है। कपड़ों की दुकानें और शोरूम व्यस्त मार्गों पर हैं। इन दुकानों तक पहुंचना ग्राहकों के लिए पहाड़ चढ़ने के बराबर होता है। लोग परेशान होते हैं। व्यापारियों को भी काफी नुकसान होता है। शोरूम खाली पड़े रहते हैं। ब्रांडेड गारमेंट्स के ज्यादातर ग्राहक वाहनों की पार्किंग न होने के चलते इधर के शोरूम में नहीं आना चाहते। इसके अलावा कई ब्रांडेड कंपनियों का माल ट्रांसपोर्ट के बजाय कूरियर से भेजा जाता है। कूरियर कंपनियों की गाड़ियां जाम के चलते दुकानों के पास नहीं आ पातीं। गाड़ियां जहां खड़ी होती हैं, वहां से माल ठेले से अपने खर्च पर मंगाना पड़ता है।
ठगे जाने पर भी मंगाते ऑनलाइन
व्यापारी जमाल भाई ने बताया कि ज्यादातर लोग अब कपड़ों की ऑनलाइन खरीदारी करने लगे हैं। इसका असर बिक्री पर हो रहा है। दिनभर में 400 से 500 रुपये की बिक्री बड़ी मुश्किल से हो रही है। लाखों रुपये लगाकर किराये की दुकान में कपड़ा का कारोबार शुरू किया था। अब लागत निकाल पाना मुश्किल लग रहा है। उन्होंने कहा कि लोग ऑनलाइन कपड़े खरीद लेते हैं लेकिन उनकी गुणवत्ता ठीक नहीं होती। डिलेवरी के बाद कमी पता चलने पर लोगों को कपड़े वापस करने के लिए परेशान होना पड़ता है। वहीं, दुकानों और शोरूम में लोग कपड़ों की गुणवत्ता जांच सकते हैं। सामने सही साइज भी समझी जा सकती है।
ट्रांसपोर्ट से माल आना मुश्किल
संचित गर्ग ने बताया कि दिल्ली, नोएडा, सूरत, कानपुर जैसे महानगरों से माल आता है। कंपनी वाले ट्रांसपोर्ट के जरिए कपड़ों की डिलेवरी करते हैं। आजमगढ़ में बेलइसा में ट्रांसपोर्टरों के यहां से शहर के बीच तक सामान आने में फजीहत हो जाती है। उतनी दूर से ठेला से ही माल आ पाता है। एक तो बेलइसा ओेवरब्रिज से आने में ठेला वालों के पसीने छूट जाते हैं। इसके बाद शहर में प्रवेश करते ही जगह-जगह जाम के नाम पर ट्रैफिक पुलिस ठेलों को रोक देती है। बड़ी मुश्किल से ठेलों को चौक की तरफ प्रवेश मिल पाता है। जब रोड खाली रहती है, तब कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन जब त्योहारों के समय सामान दुकान तक मंगा पाना मुश्किल हो जाता है।
दुकानों के बाहर बाइक का चालान
शमी अग्रवाल ने बताया कि उनकी दुकान बहुत व्यस्त जगह पर है। कहीं भी वाहन खड़ा करने की जगह नहीं है। ग्राहकों को दुकान के सामने बाइक खड़ी करनी पड़ती है। पुलिसकर्मी उन बाइकों का चालान कर देते हैं। कम से कम 500 रुपये का ऑनलाइन चालान काटा जाता है। चालान का मैसेज आने के बाद ग्राहक दुकानदारों को ही कोसने लगते हैं। शमी ने बताया कि उनके जैसे आसिफगंज के तमाम दुकानदारों को यह समस्या झेलनी पड़ती है। कोई ग्राहक आता है तो हमेशा धुकधुकी लगी रहती है कि कहीं कोई पुलिस वाला तो नहीं आ रहा है। कई बार प्रशासन के सामने भी यह समस्या रखी गई। सहानुभूतिपूर्वक कार्रवाई का भरोसा मिलता है पर बाद में स्थिति जस की तस हो जाती है।
छोटे दुकानदारों पर ज्यादा असर
विजयप्रकाश श्रीवास्तव और ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि कपड़ा बाजार में मंदी है। इसका असर छोटे दुकानदारों पर ज्यादा है। ऑनलाइन कारोबार ने भी परेशान किया है। कई दुकानदारों ने बैंक से लोन लेकर दुकान खोली है। बाजार का हाल कैसा भी हो, उन्हें बैंक की किस्त समय पर भरनी होती है। दो-चार दिन भी देर हो जाए तो बैंकों से कॉल आने लगती है। इसके अलावा जीएसटी देना ही है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र के छोटे दुकानदार कपड़े उधार ले जाते हैं। मार्केट में मंदी की बात कहकर जल्द भुगतान नहीं करते। मोहम्मद अरशद गली के बाहर चौकी लगाकर कपड़ा बेचते हैं। बोले, मंदी के चलते दो जून की रोटी का जुगाड़ कर पाना मुश्किल है।
जीएसटी से महंगे हुए कपड़े
पारितोष रूंगटा ने बताया कि जीएसटी आने के बाद कपड़ों की कीमतों में पांच फीसदी इजाफा हो गया है। पहले वैट के दायरे में कपड़ा नहीं था। फैब्रिक, सूटिंग, शर्टिंग में पहले इनकम टैक्स देना पड़ता था, सेल्स टैक्स नहीं लगता था। बड़े लोग अपनी पसंद का कपड़ा किसी भी कीमत पर खरीद लेंगे लेकिन मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए नए कपड़े खरीदना मुश्किल हो गया है। लोग अपने बजट के अनुसार कम गुणवत्ता का कपड़ा खरीदने का विकल्प तलाशते हैं।
व्यापारियों की पीड़ा:
कपड़ा मार्केट के आसपास पार्किंग नहीं है। इस वजह से व्यापार प्रभावित होता है।
-सौरभ डालमिया
रेडिमेड कपड़ों की ऑनलाइन खरीदारी व्यापारियों के सामने बड़ी चुनौती है। ग्राहक कम आते हैं।
-जमाल भाई
युवाओं का झुकाव रेडिमेड कपड़ों की ओर बढ़ता जा रहा है। कम लोग ही कपड़े सिलवा रहे हैं।
-मोहम्मद अरशद
यातायात पुलिस चौक पर माल लदे वाहन रोक देती है। गोदाम तक माल पहुंचाना महंगा पड़ता है।
-संदीप गर्ग
पुलिस दुकान के सामने बाइक नहीं खड़ी करने देती। चालान कर देती है। इससे नुकसान होता है।
-शमी अग्रवाल
जाम नाली की दुर्गंध के बीच दुकानदारी करनी पड़ती है। ग्राहक जल्द आना नहीं चाहते।
-राजकुमार अग्रवाल
जीएसटी के साथ बैंक का ब्याज चुकता करना पड़ता है। माल उधार जाने से पूंजी फंस जाती है।
-विजय प्रकाश श्रीवास्तव
कोरोना काल के बाद से धंधा मंदा है। कोई और धंधा नहीं कर सकते हैं। मजबूरी में लगे हैं।
-ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव
वैट के समय सेल्स टैक्स की छूट थी। अब पांच फीसदी जीएसटी का ग्राहकों पर काफी असर पड़ रहा है।
-पारितोष रूंगटा
महाकुंभ के चलते दो महीने व्यवसाय ठप रहा। अप्रैल में लगन के समय कारोबार अच्छा होने की उम्मीद है।
-गोपाल कृष्ण अग्रवाल
शोरूम के सामने बिजली के तारों का जाल है। इससे कभी भी घटना हो सकती है।
-बलराम तुलस्यान
शोरूम के सामने ग्राहकों की बाइकों का चालान हो जाता है। इससे वे दोबारा नहीं आना चाहते।
-गिरिराज सिंघल
सुझाव :
दस-पंद्रह साल पुराना माल स्टाक में पड़ा रह गया है। ऐसे मामलों में जीएसटी अधिकारी परेशान न करें।
व्यापारियों के शोरूम के सामने लटक रहे बिजली के तारों को हटाया जाए जिससे अनहोनी की आशंका न रहे।
जाम से मुक्ति के लिए बाजार में कड़ाई के साथ वनवे का पालन कराया जाए ताकि ग्राहक आसानी से शोरूम तक पहुंच सकें।
जाम नालियों को साफ कराया जाए। नगर पालिकास्वच्छता पर जोर दे ताकि स्वच्छ वातावरण में कारोबार हो सके।
ग्राहकों की बाइक का पुलिस चालान न करे। माल लदे वाहनों को रोका न जाए। पार्किंग सुविधा मिले।
शिकायतें :
कपड़ों की बिक्री पर पांच फीसदी जीएसटी ग्राहकों के लिए सिरदर्द है। बिक्री के बाद ग्राहक पर ही जीएसटी का भार पड़ता है।
चौक क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट की बेहतर सेवा न होने से माल मंगाने में परेशानी होती है। पुलिस अलग से परेशान करती है।
शहर में अंडरग्राउंड केबिल से बिजली सप्लाई नहीं होती है। लटकते तारों से हादसे की आशंका बनी रहती है।
कपड़े सिलवाकर पहनने वालों की संख्या कम होती जा रही है। ब्रांडेड कपड़ों के शौकीन ही शोरूम में आते हैं।
शोरूम के सामने नालियां जाम हैं। मामूली बारिश में उनके ओवरफ्लो होने से पानी दुकानों में घुस जाता है।
बोले जिम्मेदार :
नालियों की जल्द होगी सफाई
कपड़ा मार्केट में नालियों की जल्द सफाई कराई जाएगी। इसके लिए सफाई नायक और सफाई कर्मचारियों को निर्देशित किया जाएगा। कपड़ा कारोबारियों की समस्याएं दूर की जाएंगी।
विवेक त्रिपाठी, ईओ, नगरपालिका
तार हटाने का प्रस्ताव भेजेंगे
शहर के घनी आबादी वाले इलाकों में पुराने तारों को बदलकर नया केबिल लगवाया जा रहा है। शहर के कई इलाकों में काम होने हैं। कपड़ा बाजार के लिए भी प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा।
- रवि अग्रवाल, अधिशासी अभियंता, बिजली विभाग, फोटो 18
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