निबंध में उत्तम प्रथम, प्रतिमा को दूसरा स्थान
आजमगढ़ के गांधी शताब्दी स्मारक महाविद्यालय में कृषि विज्ञान केंद्र के तत्वावधान में फसल अवशेष प्रबंधन पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रतियोगिता में उत्तम माधवन और प्रतिमा यादव को पुरस्कार दिए गए।...
आजमगढ़, संवाददाता। गांधी शताब्दी स्मारक महाविद्यालय कोयलसा में बुधवार को कृषि विज्ञान केंद्र लेदौरा के तत्वावधान में मोबिलाइनेशन आफ कालेज स्टूडेंट कार्यक्रम हुआ। इस दौरान छात्रों को फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी दी गई। इसके साथ ही निंबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें उत्तम माधवन पहले स्थान पर रहे, जबकि प्रतिमा यादव को दूसरा स्थान मिला। प्रतियोगिता में शामिल छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। फसल अवशेष प्रबंधन पर निबंध प्रतियोगिता हुई। इसके साथ ही पेंटिंग प्रतियोगिता में मनीता प्रथम, खुशी चौरसिया द्वितीय अभिलाषा चौबे तीसरे स्थान पर रही। प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में जाह्नवी गुप्ता प्रथम, अर्पिता द्वितीय एवं संजीव कुमार यादव तृतीय स्थान पर रहे। नौ छात्रों को सांत्वना पुरस्कार से नवाजा गया। फसल अवशेष प्रतियोगिता में महाविद्यालय के 150 छात्रों ने प्रतिभाग किया। केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. एलसी वर्मा ने बताया कि किसान पराली को खेत में मिलाकर उर्वरा शक्ति बढ़ाएं। पराली में बिल्कुल भी आग न लगाएं। इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। खेत के आवश्यक पोषकतत्वों का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष हमारे खेत के लिए भोजन का काम करते हैं। कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. आरके मौर्य, डॉ. जयराम यादव, चंदन कुमार, डॉ. निकेश गुप्ता, अरुण कुमार यादव, डॉ. उपेंद्र विश्वकर्मा का प्रमुख योगदान रहा।
पराली जलाने से होता है ये नुकसान
सस्य वैज्ञानिक डॉ. शेर सिंह ने बताया गया कि एक टन पराली को खेत में मिलाने पर 5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 2.3 किलोग्राम फास्फोरस, 25 किलोग्राम पोटाश, 1.2 किलोग्राम गंधक खेत को मिलती है। इसके साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्व और सूक्ष्म जीव होते हैं, जो खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में काम आते हैं। वे भी बढ़ते हैं। वहीं, एक टन पराली में आग लगाने से तीन किलोग्राम सूक्ष्म कणों के भाग, 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड गैस, 1460 किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साइड गैस, 199 किलोग्राम राख, दो किलोग्राम सल्फर डाईऑक्साइड गैस अलावा विभिन्न तरह का प्रदूषण फैलता है, जो हमारे शरीर में आंखों और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है।
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