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बसपा के वोट बैंक में आसपा की सेंधमारी, यूपी में पांव पसारती जा रही चंद्रशेखर की पार्टी

  • बसपा सुप्रीमो मायावती पश्चिमी यूपी से आती हैं और वह जाटव बिरादरी से हैं। इसीलिए कहा जाता था कि जाटव वोट बैंक एक साथ होकर बसपा के साथ जाता है, लेकिन अब चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) इसमें सेंधमारी करती हुए दिख रही है।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, लखनऊ। शैलेंद्र श्रीवास्‍तवSun, 24 Nov 2024 06:10 AM
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UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में दलित वोट बैंक पर एकछत्र पैठ का दावा करने वाली बहुजन समाज पार्टी का यह तिलिस्म विधानसभा उपचुनाव का परिणाम आने के बाद टूटता हुआ दिखाई दे रहा है। बसपा सुप्रीमो मायावती पश्चिमी यूपी से आती हैं और वह जाटव बिरादरी से हैं। इसीलिए कहा जाता था कि जाटव वोट बैंक एक साथ होकर बसपा के साथ जाता है, लेकिन अब चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) इसमें सेंधमारी करती हुए नजर आ रही है। पश्चिमी यूपी की मीरापुरा और कुंदरकी सीट का उपचुनाव परिणाम देखें तो यह अपने आप काफी हद तक साफ होता हुआ दिखा। इन दोनों सीटों पर आजाद समाज पार्टी ने बसपा से बेहतर प्रदर्शन किया है। इतना ही नहीं पूर्वी यूपी में भी वह पांव पसारते हुए दिखाई दे रही है।

अच्छी हो रही आजाद समाज की सेहत

बसपा और आजाद समाज पार्टी अपने दम पर विधानसभा उपचुनाव लड़ी। मीरापुर और कुंदरकी में बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया। उसे यह उम्मीद थी कि दलित वोट बैंक के साथ मुस्लिमों के आने से उसे फायदा होगा, लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद यह भ्रम टूटता दिखा। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहने वाली बसपा पांचवें पायदान पर खिसक पर पहुंच गई। इससे बेहतर प्रदर्शन आजाद समाज पार्टी ने किया। इन दोनों सीटों पर वह बसपा से अधिक वोट पाकर तीसरे स्थान पर रही। यह साफ संकेत है कि पश्चिमी यूपी में बसपा का दलितों के बीच आधार खिसक रहा है और आजाद समाज पार्टी की सेहत ठीक हो रही है। आजाद समाज पार्टी को मिले वोट बैंक से यह भी कहा जा सकता है कि दलितों के मन अब बदल रहे हैं।

दावे का टूट रहा भ्रम

उत्तर प्रदेश में दलित वोट बैंक के सहारे चार बार सत्ता में रहने वाली बसपा का वोट बैंक खिसक रहा है। विधानसभा आम चुनाव 2022 और विधानसभा उपचुनाव 2024 के चुनाव परिणाम को देखा जाए तो दलित वोट बैंक अपने साथ होने का दावा करने वाली बसपा का यह भ्रम भी टूटता हुआ दिखाई दिया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 22.23 फीसदी वोट पाने वाली बसपा को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 12.88 फीसदी मत मिले। इससे दलित वोट बैंक में बिखराव होने का अनुमान लगाया जा सकता है। नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम भी साफ संकेत दे रहे हैं कि दलित अब सिर्फ बसपा का ही नहीं रहा। वह अपने हितों के लिए दूसरी और आक्रामक दलित राजनीति करने वाले चंद्रशेखर की ओर भी देख रहा है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में नगीना सीट पर आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर ने चुनाव जीतकर यह साफ कर दिया था कि दलितों के बीच उनकी पैठ बन रही है।

बसपा वर्ष 2022 में कहां उपचुनाव में स्थिति

विधानसभा मिले मत स्थान मत

मीरापुर 23797 तीसरे 3248 पांचवें

कुंदरकी 42742 तीसरे 1036 पांचवें

गाजियाबाद 32691 तीसरे 10736 तीसरे

खैर 65302 दूसरे 13365 तीसरे

करहल 15701 तीसरे 8409 तीसरे

सीसामऊ 2937 चौथे 1419 तीसरे

फूलपुर 33036 तीसरे 20342 तीसरे

कटेहरी 58482 तीसरे 41647 तीसरे

मझावां 52990 तीसरे 34927 तीसरे

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