UP में कृषि भूमि पर बिना अनुमति नहीं बन सकेंगे अपार्टमेंट, अवैध निर्माण पर योगी सरकार सख्त
यूपी में कृषि भूमि पर बिना अनुमति अपार्टमेंट नहीं बन सकेंगे। शहरों में कृषि भूमि पर धड़ाधड़ आवासीय और व्यवसायिक अपार्टमेंट तेजी से बन रहे हैं। कृषि भूमि पर किसी भी प्रकार के निर्माण से पहले विकास प्राधिकरणों से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
यूपी में अवैध निर्माण पर योगी सरकार सख्त है। योगी सरकार ने शहरों में कृषि भूमि पर बिना अनुमति किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी है। शहरों में कृषि भूमि पर धड़ाधड़ आवासीय और व्यवसायिक अपार्टमेंट तेजी से बन रहे हैं। इसके चलते शहरों में अवैध निर्माण की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। प्रमुख सचिव आवास पी. गुरुप्रसाद ने शासनादेश जारी करते हुए कहा है कि कृषि भूमि पर किसी भी प्रकार के निर्माण से पहले विकास प्राधिकरणों से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। बिना अनुमति निर्माण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए।
प्रमुख सचिव आवास द्वारा शासनादेश को प्रदेश के सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को भेजते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता-2006 के अंतर्गत भूमि का उपयोग कृषि से अन्य घोषित करने से पहले विकास प्राधिकरणों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होगा। शासनादेश में कहा गया है कि इस संबंध में वर्ष 2022 में भी शासन स्तर से एक आदेश जारी किया गया था, लेकिन मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों द्वारा इसका कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है।
शासनादेश में कहा गया है कि विकास प्राधिकरण और विशेष विकास क्षेत्र के तहत स्थित भूमि का उपयोग कृषि से अलग घोषित करने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य होगा। इसका मकासद विकास प्राधिकरण और विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अंतर्गत तेजी से बढ़ रहे अवैध निर्माण पर रोक लगाना है। प्रमुख सचिव आवास ने शासनादेश में कहा है कि मंडलायुक्त और जिलाधिकारी कृषि भूमि से इतर निर्माण की अनुमति देने से पहले विकास प्राधिकरणों की एनओसी अनिवार्य रूप से देखेंगे। ऐसा न होने की स्थिति में अनुमति नहीं दी जाएगी।
कृषि भूमि पर अवैध निर्माण बढ़ा
प्रदेश के शहरी सीमा क्षेत्रों से सटे गांवों में कृषि भूमि पर आवासीय और व्यवसायिक अपार्टमेंट बनाकर बेचने का धंधा तेजी से बढ़ा है। निकाय सीमा से अधिक विकास प्राधिकरण सीमा होती है। बिल्डर किसानों से जोड़तोड़ कर उनके कम कीमत पर कृषि भूमि प्राप्त कर लेते हैं और उस पर निर्माण शुरू कराने से पहले मंडलायुक्त व डीएम के यहां से धारा चार कराते हुए अनुमति प्राप्त कर लेते हैं। इससे विकास प्राधिकरणों को योजना लाने के लिए भूमि नहीं मिल पाती है। इसीलिए यह व्यवस्था अनिवार्य की गई है। इससे अवैध निर्माण पर भी काफी हद तक रोक लगेगी।