इंसानों को खिलाई जा रही पशुओं वाली नमकीन, यूपी में शुरू हुई जांच की मुहिम
- मुनाफाखोर इस नमकीन को दोबारा बाजार में उतारकर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। जिम्मेदार वो बड़ी कंपनियों वाले हैं, जो एक्सपायर नमकीन का चूरा बनाने के बजाय उसे वैसे ही नीलाम कर देते हैं। इसे लेकर हाईकोर्ट गंभीर है।
जिस नमकीन को पशुओं के आहार के लिए प्रयोग किया जाना था, उसे लोगों को खिलाया जा रहा है। यह वो नमकीन है, जो प्रयोग में लाए जाने की अपनी मियाद (एक्सपायर) पूरी कर चुकी है। मुनाफाखोर इस नमकीन को दोबारा बाजार में उतारकर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। जिम्मेदार वो बड़ी कंपनियों वाले भी हैं, जो एक्सपायर नमकीन का चूरा बनाने के बजाय उसे वैसे ही नीलाम कर देते हैं। इसे लेकर हाईकोर्ट गंभीर है। राज्य सरकार ने अब इस मामले में प्रदेशव्यापी जांच शुरू करा दी है। प्रदेशभर में सेंपल लेने का अभियान शुरू किया गया है।
यूपी में हल्दी के बाद अब नमकीन की जांच की जांच की मुहिम शुरू की गई है। दरअसल बाजार में हजारों की संख्या में बड़ी-छोटी संख्या कंपनियां भांति-भांति के नमकीन बेच रही हैं। नामचीन कंपनियों की पैकिंग पर नमकीन की प्रयोग करने लायक उम्र तीन से छह माह अंकित होती है। जबकि तमाम छोटे दुकानदार एक्सपायरी डेट नहीं डालते। मगर कभी स्वाद में बदलाव या तेल की महक से नमकीन के खराब होने का अंदाजा लग जाता है। जहां तक बड़ी कंपनियों का सवाल है तो वे मियाद खत्म होने के बाद अपनी नमकीन के पैकेट मार्केट से हटा लेते हैं। उसे नीलाम कर दिया जाता है।
कस्बों और ग्रामीण बाजारों में बिक्री अधिक
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों की मानें तो सभी कंपनियों को एक्सपायर नमकीन को क्रश करके नीलाम करने के आदेश है। इसे पशु आहार बनाने में प्रयोग किया जाता है। मगर तमाम कंपनी वाले इस आदेश को न मानकर उसे ज्यों का त्यों नीलाम कर देते हैं। जो लोग उसे खरीदते हैं, वे उसमें कुछ और नमकीन व मसाले मिलाकर दोबारा से पैक करके फिर बाजार में उतार देते हैं। ऐसे नमकीन को खासतौर से कस्बाई और ग्रामीण बाजारों में बेचा जाता है। अब विभाग ने इस मामले में जांच का तीन दिनी अभियान शुरू किया है। सभी जिलों से नमकीन के सेंपल लिए जा रहे हैं। उन्हें जांच के लिए लैब को भेजा जाएगा।
हाईकोर्ट सख्त, प्रमुख सचिव को देना है एफीडेविट
खराब नमकीन के इस मामले को लेकर हाईकोर्ट गंभीर है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव से इस मामले में एफीडेविट के जरिए जवाब मांगा है। 20 सितंबर को इस मामले में अगली सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद विभाग ने प्रदेशव्यापारी जांच का अभियान शुरू किया है।