जिले की 576 ग्राम पंचायत में लगेंगे वर्षा मापी यंत्र
Amroha News - अमरोहा, संवाददाता। जिले के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। किसानों को अब गांव के आसपास के मौसम की सटीक जानकारी मिल सकेगी। हर ग्राम पंचायत स्तर पर वर्ष

जिले के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। किसानों को अब गांव के आसपास के मौसम की सटीक जानकारी मिल सकेगी। हर ग्राम पंचायत स्तर पर वर्षामापी यंत्र लगेंगे। साथ ही गजरौला व जोया में स्वचालित मौसम स्टेशन बनाए जाएंगे। यह कार्य स्काईमेट वेदर सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया है। कंपनी की ओर से सर्वे का कार्य शुरू करा दिया गया है। इससे जिले के तीन लाख किसानों को फायदा होगा। किसानों को मौसम में बदलाव, हवा की दिशा और क्षेत्र में कितनी बारिश हुई, इसकी जानकारी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। ऐसे में ऑटोमेटिक वर्षामापी यंत्र और ऑटोमेटिक मौसम स्टेशन स्थापित होने से किसानों की राह आसान होगी।
इसका असर फसल उत्पादन पर भी पड़ेगा। इसके लिए इसमें सेंसर शेल्टर, वर्षामापी, डेटा-लॉगर/नेटवर्क समेत अन्य उपकरण लगाए जाएंगे। इसमें सभी बिंदुओं पर दैनिक रिपोर्ट भी प्राप्त हो सकेगी। ऑटोमेटिक वर्षामापी यंत्र और ऑटोमेटिक मौसम स्टेशन के संचालन की जिम्मेदारी पंचायत सहायकों के हाथों में होगी। बता दें कि जिले में मौसम संबंधित जानकारी के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में लखनऊ, कानपुर जैसे शहरों से मौसम की जानकारी पर किसानों को निर्भर रहना पड़ता था। मौसम की सही जानकारी नहीं मिलने से किसानों को इसका नुकसान भी उठाना पड़ता है। वजह समय से न तो फसलों की सिंचाई हो पाती है और न बुआई। ऐसे में जिले की सभी ग्राम पंचायतों में ऑटोमेटिक वर्षामापी यंत्र और ऑटोमेटिक मौसम स्टेशन स्थापित होने से किसानों की राह आसान होगी। इसका असर फसल उत्पादन पर भी पड़ेगा। जिले की 576 ग्राम पंचायतों में स्वचालित वर्षामापी यंत्र स्थापित किए जाएंगे। चिह्नित पंचायतों में मौसम सूचना नेटवर्क भी लगेगा। उप कृषि निदेशक डा. रामप्रवेश सिंह के मुताबिक केंद्र सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्किंग एंड डाटा सिस्टम (विंड्स) योजना लांच की है। इसके तहत किसानों को मौसम की सही जानकारी देने के लिए ब्लॉक स्तर पर ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन बनाए जाएंगे। पंचायत स्तर पर ऑटोमेटिक वर्षामापी यंत्र लगाए जाएंगे। जिले की सभी ग्राम पंचायत में वर्षा मापी यंत्र लगाए जाएंगे। गजरौला ब्लॉक और जोया ब्लाक में ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन बनाए जाएंगे। यह कार्य स्काईमेट वेदर सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया है। कंपनी की ओर से सर्वे का कार्य जिले में शुरू करा दिया गया है। जहां पर ऑटोमेटिक वर्षामापी यंत्र और मौसम स्टेशन स्थापित होने हैं। यह सुविधा होने से किसानों को बारिश, धूप व तापमान, आद्रता, हवा की गति जैसी तमाम जानकारियां मिल सकेंगी। इससे वह फसलों की बुवाई से लेकर सिंचाई तक कर सकेंगे। फसल क्षति का मुआवजा दिलाने में कारगर होगी यह कवायद कृषि अफसरों के मुताबिक ओलावृष्टि, बारिश एवं सूखे की स्थिति में फसल बीमा का लाभ क्रॉप सर्वे के आधार पर ही मिल पाता है। सिर्फ उन्हीं इलाकों को त्वरित सहायता मिलती है, जहां क्षति 30 प्रतिशत से अधिक हो। कई बार सर्वे पर सवाल खड़े हो जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। कंपनी के कर्मी गांवों में सर्वे कर रहे हैं। बताया कि वर्षामापी यंत्र और मौसम स्टेशन मौसम की निगरानी और पूर्वानुमान के लिए उपयोग होगी। उनसे बारिश, तेज हवा मापी जाएगी। यहां पर धान, गेहूं, आलू, सरसों, गन्ना की खेती किसान बड़े पैमाने पर करते हैं। मौसम की पूर्व जानकारी बनेगी मददगार मौसम की अगर पूर्व में जानकारी हो तो किसान सतर्क रहेंगे। नुकसान कम होगा। मौसम विज्ञान केंद्र एवं वर्षामापी यंत्र ऑटोमेटिक होंगे। जो जानकारी सर्वर पर भेजेंगे। मौसम वैज्ञानिक के विश्लेषण के बाद किसानों को सूचना मिलेगी। यहां प्रति घंटे की मौसम, नमी आदि की पूरी जानकारी अपडेट होती रहेगी। वर्षामापी यंत्र हर ग्राम पंचायत में पंचायत घरों की छत पर लगेंगे। जबकि मौसम स्टेशन जोया और गजरौला में लगेंगे। ऐसे काम करेगा एडब्ल्यूएस : स्वचालित मौसम केंद्र या ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (एडब्ल्यूएस) मुख्य रूप से तापमान, हवा की गति, दिशा, वर्षा, आर्द्रता, वायुमंडलीय दबाव इत्यादि को रिकॉर्ड करेगी। इसके लिए इसमें सेंसर शेल्टर, वर्षामापी, डेटा-लॉगर/नेटवर्क समेत अन्य उपकरण लगाए जाएंगे। इसमें सभी बिंदुओं पर दैनिक रिपोर्ट भी प्राप्त हो सकेगी। पंचायत सहायक की रहेगी देखरेख ऑटोमेटिक वर्षामापी यंत्र और ऑटोमेटिक मौसम स्टेशन के संचालन की जिम्मेदारी पंचायत सहायकों के हाथों में होगी। इसके लिए पंचायत सहायकों को ट्रेनिंग देने का कार्य भी किया जाएगा। जिले की 576 ग्राम पंचायतों में वर्षामापी यंत्र और दो ब्लॉकों में स्वचालित मौसम स्टेशन लगने से बारिश और मौसम का सटीक आकलन हो सकेगा। इससे किसानों को समय से जागरूक किया जा सकेगा। डा. रामप्रवेश, उप कृषि निदेश
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