फिर राजनीतिक मुद्दा बनेगा एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा
एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा फिर से भाजपा के लिए एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। पहले जिन्ना की तस्वीर और अब एससी-एसटी आरक्षण न मिलने का मुद्दा चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक स्वरूप के...
फिर राजनीतिक मुद्दा बनेगा एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा -भाजपा ने कैंपस में जिन्ना की फोटो को लेकर बड़ा मुद्दा बनाया था
-एससी-एसटी को एएमयू में आरक्षण न मिलना बनता रहा है बड़ा मुद्दा
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अलीगढ़। वरिष्ठ संवाददाता। एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा एक बार फिर से भाजपा के लिए बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। पहले कभी कैंपस में जिन्ना की तस्वीर तो कभी एससी-एसटी को आरक्षण न मिलना मुद्दा बनता आया है।
यूपी व केन्द्र की राजनीति में एएमयू हमेशा से ही बड़ा मुद्दा रहा है। लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव। भाजपा सरकार के तमाम मंत्री, सांसद एएमयू को टारगेट करते रहे हैं। कभी आतंकी कनेक्शन को लेकर तो कभी अन्य मुद्दों को लेकर। मोहम्मद अली जिन्ना की यूनियन हाल में लगी तस्वीर के विवाद ने काफी तूल पकड़ा था। वहीं अब एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का बना रहना भी भाजपा के लिए नया मुद्दा बनकर उभरेगा। पूर्व में भाजपा के नेता सवाल खड़े करते आए हैं कि एएमयू में एससी-एसटी आरक्षण व्यवस्था क्यों लागू नहीं की जाती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाए जाने के साथ ही तीन जजों की बैंच का भी गठन किया है जो अल्पसंख्यक स्वरूप के मानदंडों को तय करेगी कि आखिर अल्पसंख्यक दर्जा क्यों दिया जाना चाहिए। उधर भाजपा के पदाधिकारी भी कह चुके हैं कि बेंच के सामने मजबूती से अल्पसंख्यक स्वरूप समाप्त करने के संबंध में पक्ष रखा जाएगा। अब देखना होगा कि आगामी चुनावों में यह मुद्दा किस कदर राजनीतिक रूप लेगा।
0-2016 में केन्द्र सरकार ने हलफनामा वापिस लेकर ही गरमा दी थी राजनीति
वर्ष 2016 में केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एएमयू के अल्पसंख्यक स्वरूप का हलफनामा वापिस ले लिया था। वहीं एएमयू में अब तक ओबीसी-दलित आरक्षण लागू नहीं किए जाने के सवाल पर कांग्रेस-एसपी-बीएसपी की राजनीति को भाजपा एक बार फिर से मुद्दा बनाएगी।
0-आर्टिकल 30 (1) के ख़िलाफ है फैसला
भाजपा एमएलसी मानवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने अधिकारों का असंवैधानिक प्रयोग किया है। यह सुप्रीम कोर्ट का एक तरफा निर्णय है। तथ्यों से इसका कोई वास्ता नहीं है। एएमयू पर आज के फैसले से संविधान की आत्मा की हत्या हुई है। यह आर्टिकल 30 (1) के ख़िलाफ़ है। एएमयू न तो अल्पसंख्यकों के द्वारा स्थापित है और न ही अल्पसंख्यकों के द्वारा प्रशासित है। यह फैसला देश की भावनाओं के विपरीत है। हम इसकी निंदा करते हैं।
0-वर्जन
एएमयू में एससी-एसटी को आरक्षण आखिर क्यों नहीं दिया जा सकता। अल्पसंख्यक दर्जा बहाल किए जाने के साथ ही इस पर भी फैसला लिया जाना चाहिए। एएमयू को ग्रांट केन्द्र सरकार देती है तो इसका संचालन भी सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार ही होना चाहिए।
-इंजी. राजीव शर्मा, महानगर अध्यक्ष, भाजपा
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