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बोले हाथरस: यहां पर इस ‘दर्द’ की ऊपर वाले पर भी नहीं है ‘दवा’

शहर के कई इलाकों में दवा की दुकानों की भरमार है, लेकिन थोक कारोबारी नकली और ऑनलाइन दवा बिक्री से परेशान हैं। दवा का काम करने वालों से हिन्दुस्तान के बोले हाथरस कार्यक्रम के दौरान बात की गई तो पता चला कि दिनों दिन दवा का कारोबार गिरता जा रहा है।

Sunil Kumar हिन्दुस्तानWed, 12 Feb 2025 06:10 PM
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बोले हाथरस: यहां पर इस ‘दर्द’ की ऊपर वाले पर भी नहीं है ‘दवा’

निजी अस्पतालों के बाहर मौजूद मेडिकल स्टोरों पर दवा लेने की लाइन देखकर मरीजों के तीमारदारों के पसीने छूट जाते हैं। भीड़ से बचने के लिए कुछ लोग बाजार में बनी दुकानों से दवाएं लेते हैं। शहर में खोले गए जनऔषधीय केंद्रों पर दवाएं नहीं मिल पाती हैं, क्योंकि इनके यहां पर भी प्रकार की दवाएं नहीं मिलतीं। वर्तमान में आलम ये है कि यदि किसी को रात के वक्त दवाई की जरूरत हो तो उसे सुबह का इंतजार ही करना पड़ेगा, क्योंकि यहां 24 घंटे खुलने वाले मेडिकल स्टोर नहीं है। इस कारण काफी संख्या में मरीज परेशान रहते हैं। श्रीराम मेडीकल कॉम्पलैक्स में सभी दवा की दुकानें हैं। यह अलग बात है कि यहां पर आम आदमी दवा लेने नहीं पहुंचता।

सरक्यूलर रोड पर लगने वाले जाम होती परेशानी

सरक्यूलर रोड व बागला मार्ग चौराहे से लेकर अंदर मार्केट के बीच इतना जाम रहता है कि आते जाते लोगों के पसीने छुट जाते हैं। सवारियों के इंतजार में खड़े ऑटो और ई-रिक्शा भी जाम का कारण बनते हैं। उधर यहां के कारोबारियों की सबसे बड़ी समस्या इस बात की भी है कि अब दवाओं का ऑनलाइन मार्केट भी शुरू हो गया है, जिसके कारण इनकी बिक्री पर खासा असर पड़ा है।

बोले दवा कारोबारी

बाजार में आ रही नकली दवाओं से लोगों व्यापार की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। बड़े-बड़े चिकित्सक, अस्पताल भी दवाओं का स्वयं निर्माण कराने लगे हैं। उसका भी दवा व्यापार पर असर पड़ रहा है। ऑनलाइन बिक्री ने वैसे ही परेशान करके रखा है। इस तरह की गतिविधियों से दवा व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।

- दाऊदयाल शर्मा, दवा कारोबारी

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शहर में दवा विक्रेताओं की ऑनलाइन व्यापार से कमर तोड़कर रख दी है। उससे दवा कारोबार पूरी तरह से फ्लाप होने के कगार पर पहुंच गया है। दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को सरकार प्रतिबंधित करें। जिसके लिए दवा विक्रेता, व्यापारी, संगठन कई बार सरकार से विभिन्न मंचों के माध्यम से मांग कर चुके है। सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। उससे दवा विक्रेताओं में रोष है।

- रवेंद्रपाल सिंह, दवा कारोबारी

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जनपद में एक हजार से अधिक दवा की दुकानें हैं। आये दिन इस व्यापार में लोग आ रहे है। ऑनलाइन दवाओं की सप्लाई होने से इस व्यापार में मुनाफा कम हो रहा है। उससे दवा विक्रेताओं के सामने तमाम परेशानियां आ रही हैं। उसके अलावा सरकार से आये दिन नए-नए प्रतिबंध, दवाओं के नकली, फर्जी घोषित करना मुसीबत बन रहे हैं।

- शशांक गौड़, दवा कारोबारी

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इस मार्केट में आज तक सुविधा के नाम पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। न तो यहां पर भवन की मरम्मत की तरफ ध्यान गया। भवन जर्जर होने से हर वक्त ही यहां पर हादसे का खतरा रहता है। कई बार छत से प्लास्टर भी टूट कर गिर चुका है। इससे हर वकत परेशान रहते हैं। इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। ऐसे में काफी परेशानी हो रही है।

- विनोद कुमार गर्ग, दवा कारोबारी

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यह हाथरस का प्रमुख दवा बाजार है। दवा बाजार में कई चिकित्सकों की दुकानें भी हैं। कई बार मरीजों को लेकर आने वाले तीमारदार एवं परिजन भी इस जाम में फंस जाते हैं। यातायात व्यवस्था को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। इसके लिए सिर्फ इतना करने की जरूरत है कि यहां पर चौराहा तक खड़े होने वाले प्राइवेट और अवैध वाहनों को हटवाया जाये।

- रविकांत पाठक, दवा कारोबारी

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दवा बाजार में आये दिन जिस तरह की छापामार कार्रवाई होती है। उससे भी दवा विक्रेताओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। निरीक्षण में दुकान में कहीं न कहीं कोई कमी निकलने पर अधिकारी कार्रवाई करने की बात कहकर उत्पीड़न करते हैं। कार्रवाई से बचने के लिए दवा विक्रेता तरह-तरह के प्रयास करते है।

- प्रमोद गौड़, दवा कारोबारी

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दवा बाजार में पहले जैसी रौनक नहीं रही है। कई-कई दुकानों पर तो दिनभर दुकानदार खाली बैठे रहते हैं। ऑनलाइन बिक्री से व्यापार का बुरा हाल है। लोग ऑनलाइन खरीदारी के साथ-साथ दवाओं को भी मंगा रहे है। इसके अलावा फर्जी और अवैध दवाओं के बाजार में आने से विश्वसनीयता में कमी आ रही है।

- पवन वार्ष्णेय, दवा कारोबारी

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थोक-फुटकर बाजार में पेयजल सबसे बड़ी समस्या है। उससे बचाने के लिए दुकानदार अपने-अपने प्रतिष्ठान में पानी का कैम्पर मंगाकर रखते हैं। पूरी मार्केट में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। बाजार में रहने वाले दुकानदार भी घर से पानी लेकर आते हैं। नगर पालिका प्रशासन को चाहिए कि बाजार में पेयजल की व्यवस्था करायें।

- राजीव गौड़, दवा कारोबारी

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यह हाथरस का पुराना दवा मार्केट है। गांव देहात से भी बड़ी संख्या में मरीज इस बाजार में आते हैं, लेकिन यहां पर काफी समस्याएं हैं। भवन स्वामी की ओर से यहां पर कोई सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। अपने नियम तो लागू कर दिए जाते हैं, पुराने मार्केट में गिरते हुए प्लास्टर एवं जर्जर इमारतों की तरफ ध्यान नहीं।

- राजवीर पाठक, दवा कारोबारी

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चिकित्सकों की दुकानें भी बाजार में हैं। कई को तीमारदार गोदी में लेकर आते हैं। यहां जाम की बड़ी समस्या है। बाजार के बीचो-बीच आने वाले तिपहिया एवं चार पहिया वाहनों को रोक दें। तब बाजार में काफी हद तक जाम से निजात मिल सकती है। यातायात पुलिस को इस समस्या के निदान के लिए भी प्रयास करने चाहिए, ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके।

- योगेश चौहान, दवा कारोबारी

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यहां पर प्रमुख बाजारों में स्थित अस्पतालों में जिले भर से मरीज एवं तीमारदार आते हैं। यहां बरसात में नाले उफन जाने से कई फुट पानी भर जाता है। आज तक इस समस्या का समाधान पालिका से नहीं खोजा गया है। इस मार्केट में पार्किंग की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इससे यहां पर हर वक्त जाम की भी समस्या रहती है।

- कन्हैया लाल, दवा कारोबारी

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ऑनलाइन दवा बिक्री का व्यापारी विरोध कर रहे हैं। दवा संगठन सरकार, प्रशासन को अपनी मंशा बता चुके हैं। इसके विरोध में दवा व्यापारियों, विक्रेताओं ने सांकेतिक प्रदर्शन भी किया गया है। उसके बाद भी शासन-प्रशासन पर उनकी परेशानी, मांग पर ध्यान नहीं दे रहा है। उससे दिन पर दिन व्यापार ठंडा पड़ रहा है। कई-कई दिन बिना बिक्री के निकल जाते हैं।

- नीरज कुमार, दवा कारोबारी

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शहर में यातायात व्यवस्था ठीक नहीं है। रांग साइड आने वाले चार पहिया वाहन एवं ई रिक्शा से अक्सर लोग फंस जाते हैं। काफी देर तक जाम की स्थिति बन जाती है। इससे दुकानदारों को परेशानी होती है तो कई बार मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके लिए जरूरी है कि यहां पर यातायात व्यवस्था के नियंत्रण के लिए प्रयास किए जाएं।

- अंकुश कुमार, दवा कारोबारी

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दिनों दिन गिरावट की ओर बढ़ रहे दवा व्यापार को संभालने के प्रयास सरकार को करने चाहिए। उसके लिए सरकार को ऑनलाइन बिक्री को प्रतिबंधित करना चाहिए। साथ ही व्यापार में बढ़ रहे अधिकारियों के हस्तक्षेप को कम करना चाहिए। जिससे व्यापारी खुले मन से व्यापार कर सकें। ऑनलाइन बिक्री से दवा व्यापार खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है।

- राजवीर, दवा कारोबारी

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दवा व्यापार में सबसे बड़ी परेशानी चिकित्सकों के स्वयं इस काम को करने से होने लगी है। हास्पीटल में मेडिकल स्टोर की व्यवस्था होने से मरीज बाहर की दुकानों पर नहीं आते हैं। चिकित्सक भी मरीजों से अपने मेडिकल स्टोर से दवा लेने के लिए कहते है। उससे बाहर से दवा लेने के लिए मरीज, तीमारदार बहुत कम आते है।

- सुभाषचंद्र, दवा कारोबारी

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शहर के दवा बाजार में हर दिन परेशानी बढ़ रही है। ऑन लाइन व्यवस्था को पूरा कारोबार चौपट होता जा रहा है। इसके अलावा शहर में अन्य दवा बाजार खुल जाने से दवा कारोबार की स्थिति पहले जैसी नहीं रही। आये दिन व्यापार में दुश्वारियां बढ़ रही हैं। अलावा यहां पर पेयजल एवं शौचालय जैसी सुविधाओं पर जोर देना चाहिए।

- सागर कुमार, दवा कारोबारी

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दवा कारोबारियों के समक्ष दुकान किराया बढ़ने से दिक्कत उत्पन्न हो गई है। किराया बढ़ाने का भी एक अनुपात होता है। जिस तरह भवन स्वामी एक ही बार में कई गुना किराया बढ़ाने की बात कह देते हैं, उसको किराया बढ़ाने से पहले दवा मार्केट में सुविधाओं को बढ़ाने की तरफ ध्यान देना चाहिए। दूर से आने वाले मरीजों के लिए पानी की व्यव्सथा होनी चाहिए।

- दीनदयाल गोयल, दवा कारोबारी

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नगर पालिका की ओर से मार्केट के बाहर स्थित नाले की सफाई नहीं करायी जाती है। आज तक किसी ने भी बाजार में सुविधाएं बढ़ाने को ध्यान नहीं दिया। कारोबार चलाने के साथ में ग्राहकों की सुरक्षा के लिए दुकानदारों ने अपने स्तर पर जैसे-तैसे मरम्मत कर इन दुकानों को आकर्षक रूप दिया है।

-- कृष्णा वर्मा, दवा कारोबारी।

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वर्जन-

दवा का कारोबार काफी पुराना है, लेकिन वर्तमान में ऑनलाइन व्यवस्था के कारण यह कारोबार काफी प्रभावित हो रहा है। दुकानदार किसी तरह से कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा बिना लाइसेंस के दवा की दुकानें भी जिले में काफी चल रही है। इस ओर जिम्मेदारों को ध्यान देना चाहिए। ताकि ऐसे लोगों पर अंकुश लग सके।

- मोहित अग्रवाल, दवा कारोबारी।

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कहने को तो लोगों के दिमाग में दवा कारोबार काफी बड़ा है, लेकिन ऑनलाइन दवाओं की खरीद ने इस प्रभावित किया है। इस व्यवस्था पर अंकुश लगाए जाने के लिए कई बार आवाज भी उठाई गई है, लेकिन इसके बाद भी यह ऑनलाइन बाजार फल-फूल रहा है, इसका असर हमारे कारोबार पर पड़ रहा है।

- गोविंद सिंह, दवा कारोबारी।

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जिले में कुल दवा के चौदह सौ लाइसेंस पंजीकृत है, जिसमें एक हजार फुटकर व चार सौ थोक विक्रेताओं के है। फुटकर विक्रेताओं के यहां डी फार्मा डिग्री धारक का होना जरूरी है। उसी की देखरेख में दवाईयों की ब्रिकी होनी चाहिए। कहीं से भी बिना लाइसेंस के दवा बेचे जाने की शिकायत प्राप्त होने पर कार्रवाई की जाती है। लोगों से अपील है कि वो किसी भी मेडिकल स्टोर से दवा खरीदें तो उसका बिल अवश्य लें। जिससे कि वो नकली दवाईयों से बच सकेंगे। लोगों को जागरुक करने के लिए मेडिकल स्टोर संचालकों के साथ संवाद स्थापित किया जाता है।

राजकुमार शर्मा,औषधि निरीक्षक।

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