बोले अलीगढ़: नौरंगाबाद में टूटी सड़कें और नालियां चोक

  • शहर के नौरंगाबाद वार्ड में समस्याओं का अंबार है। वार्ड के गोपी मिल कंपाउंड और उसके आसपास की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। नाले-नालियां चोक पड़ी हैं। टूटी-फूटी सड़कें लोगों को दर्द दे रही हैं। जिसके कारण लोग गिर जाते हैं।

Sunil Kumar हिन्दुस्तानMon, 17 Feb 2025 06:36 PM
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बोले अलीगढ़: नौरंगाबाद में टूटी सड़कें और नालियां चोक

35 हजार से अधिक की जनसंख्या वाले वार्ड नंबर नौ नौरंगाबाद में समस्याओं की झड़ी लगी हुई है। इस वार्ड की वोटर आबादी करीब 10 हजार है। पुराना वार्ड होने के कारण यहां पाइपलाइन में करीब एक दर्जन से अधिक लीकेज हैं। सड़कें जर्जर हालत में पड़ी हैं। मंदिरों के बाहर कूड़ा और गंदगी का अंबार लगा रहता है। नाले-नालियों की काफी समय से सफाई नहीं हुई है। जिसके कारण नाले-नालियां चोक पड़ी हैं। हिन्दुस्तान समाचार पत्र के अभियान बोले अलीगढ़ के तहत रविवार को गोपीमिल कंपाउंड में स्थानीय लोगों से टीम ने संवाद किया। इस दौरान स्थानीय लोगों ने अपनी समस्याएं बताई।

लोगों ने बताया कि गोपी मिल कंपाउंड में स्थित गोपेश्वर मंदिर के पास कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। जिससे श्रद्धालुओं को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए आने वाले भक्तों को दुर्गंध और गंदगी का सामना करना पड़ता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सफाई कर्मी नियमित रूप से यहां सफाई नहीं करते, जिससे यह इलाका बीमारियों का केंद्र बनता जा रहा है। छावनी रोड पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। जगह-जगह गड्ढे और उखड़ी हुई सड़क लोगों के लिए दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ा रही है। बारिश के दिनों में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। राहगीरों और वाहन चालकों को इस रास्ते पर चलते समय दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इलाके में कई हैंडपंप खराब पड़े हैं, जिससे पीने के पानी की भारी समस्या उत्पन्न हो गई है। स्थानीय निवासी प्रशासन से जल्द से जल्द इन हैंडपंपों की मरम्मत कराने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। स्थानीय लोगों ने नगर निगम से बार-बार सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने, सड़क मरम्मत कराने और खराब हैंडपंपों को ठीक कराने की मांग की है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो लोग आंदोलन करने को मजबूर हो सकते हैं।

नंबर गेम

-10 हजार की वोटर आबादी नौरंगाबाद वार्ड की।

-35 हजार से अधिक की जनसंख्या वार्ड नंबर 9 में।

-40 से अधिक स्ट्रीट लाइट की जरूरत अभी वार्ड में।

प्रमुख इलाके

छर्रा अड्डा, छावनी, नौरंगाबाद, राठी नगर, गोपीमिल कंपाउंड, बीदास कंपाउंड आदि।

समस्या

-बीदास कंपाउंड स्थित गोपेश्वर मंदिर के पास कूड़ा और गंदगी।

-नौरंगाबाद वार्ड में नाले-नालियों की काफी समय से सफाई नहीं हुई।

-बारिश के दिनों में जलभराव की समस्या है।

-लीकेज के कारण घरों में दूषित जलापूर्ति हो रही है।

-छर्रा अड्डा पुल रोड का काफी बुरा हाल है।

-इलाके में स्ट्रीट लाइटों का अभाव है।

-पूरे वार्ड में हैंडपंपों का काफी अभाव है। ज्यादातर हैंडपंप खराब पड़े हैं।

सुझाव

-गोपेश्वर मंदिर के पास बने कूड़ा प्वाइंट को समाप्त किया जाए।

-नाले-नालियों की साफ-सफाई कराई जाए।

-वार्ड में 40 से अधिक स्ट्रीट लाइटों का लगाया जाए।

-वार्ड में 10 सड़कों के नवनिर्माण की मांग की थी। इनके लिए बजट पास किया जाए।

-खराब हैंडपंपों को रिबोर कराएं। वहीं नए हैंडपंप लगाए जाएं।

-एक दर्जन से अधिक लीकेज को खत्म कराया जाए।

बोले जिम्मेदार

सीएम ग्रिड योजना के तहत नौरंगाबाद से लेकर बोनेर तक की रोड चयनित हुई है। जल्द ही फोरलेन सड़क का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। अन्य समस्याओं का भी जल्द निस्तारण कराया जाएगा।

प्रशांत सिंघल, महापौर

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जोनल अधिकारियों को वार्डों की मूलभूत समस्याओं को दूर करने की जिम्मेदारी दी गई है। समय-समय पर पार्षदों से संवाद भी किया जा रहा है। पेयजल, सफाई, निर्माण संबंधित कार्यों को लेकर प्रस्ताव मांगे गए हैं।

विनोद कुमार, नगर आयुक्त

बोले श्रमिक

श्रमिक दिन-रात मेहनत करते हैं। लेकिन वेतन समय पर नहीं मिलता। महंगाई बढ़ रही है, पर मजदूरी वही की वही है। सरकार को श्रमिकों की ओर ध्यान देना चाहिए। न्यूनतम वेतन में इजाफा करना चाहिए।

शंकर लाल, संगठन मंत्री, भारतीय मजदूर संघ

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श्रमिकों को काम मिलना मुश्किल हो गया है। पहले रोज़गार मिलता था। लेकिन अब ठेकेदार मनमानी करते हैं और मजदूरी भी कम देते हैं। महंगाई के चलते श्रमिक पहले ही परेशान हैं।

सुशील कुमार

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अलीगढ़ में कई फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं। जिससे हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। श्रमिकों को वैकल्पिक रोजगार के अवसर मिलने चाहिए। न्यूनतम वेतन बढ़ाया जाना चाहिए। जिससे मजदूरों को राहत मिले।

सतीश जादौन, जिलाध्यक्ष, भारतीय मजदूर संघ

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हमारी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिलता। ठेकेदार और फैक्ट्री मालिक सारा मुनाफा कमा लेते हैं। लेकिन मजदूर को बहुत कम पैसा दिया जाता है। न्यूनतम वेतन के नाम पर ठगी की जा रही है।

अजय अग्रवाल

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ईंट भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों को बहुत दिक्कत होती है। गर्मी में काम करना मुश्किल होता है। लेकिन कोई सुविधा नहीं दी जाती। मजदूरी भी काफी कम है। इस पर ध्यान देना चाहिए।

जगदीश शर्मा

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श्रमिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं और बीमा की सुविधा मिलनी चाहिए। कई बार काम करते समय चोट लग जाती है, लेकिन कोई मदद नहीं मिलती। ऐसे में श्रमिक परेशान रहता है।

ओम प्रकाश शर्मा

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हमारे काम में जोखिम ज्यादा है, लेकिन सुरक्षा के कोई उपाय नहीं किए जाते। सरकार को हमारे हक में कुछ करना चाहिए। न्यूनतम वेतन 10 हजार रुपये है। पर 5 से 6 हजार रुपये ही मिल पाते हैं।

धर्मवीर सिंह

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दुकानों में काम करने वालों को बहुत कम सैलरी मिलती है। छुट्टियां भी नहीं दी जातीं। सरकार को सख्त नियम बनाने चाहिए। जिससे मजदूरों का उत्थान हो सके। आर्थिक स्थिति सुधारने पर ध्यान देना चाहिए।

रामबाबू शर्मा

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हमारी कला खत्म होती जा रही है। सस्ते मशीन वाले सामान की वजह से हाथ से बने सामान की मांग कम हो गई है। महंगाई के इस दौर में खर्चा चलाना भी मुश्किल हो गया है।

दिनेश पाठक

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फैक्ट्रियों में श्रमिकों के साथ भेदभाव होता है। बड़े अफसरों को सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन हमें मूलभूत अधिकार भी नहीं दिए जाते। इसको लेकर सख्त नियम बनाने की जरूरत है।

मोहित

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महंगाई के कारण आमदनी बहुत कम हो गई है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, लेकिन सवारी का किराया बढ़ाने नहीं दिया जाता। स्थानीय स्तर पर श्रमिकों के कार्ड बनाकर रोडवेज और ई-बस में किराया कम किया जाए।

गिरीश

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मजदूरी कम मिलती है और समय पर पैसा नहीं दिया जाता। ठेकेदारों के भरोसे रहना पड़ता है, जो कई बार पैसा मार लेते हैं। ऐसे में श्रमिकों पर आर्थिक संकट मंडरा जाता है। आपातकाल में उधार लेना पड़ता है।

रवि

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श्रमिकों को कोई भी सरकारी सहायता नहीं मिलती हैं। ताकि हम अपना छोटा-मोटा रोजगार चला सकें। स्वास्थ्य व बीमा की कोई भी सेवा हमें नहीं मिलती है। परिवार की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है।

सूरजभान

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ड्राइवर और हेल्पर के लिए कोई सुविधा नहीं है। उन्हें लंबे घंटे काम करना पड़ता है। थकान के बावजूद आराम नहीं मिलता। कार्य के घंटे तय होने के बाद भी ज्यादा काम लिया जाता है।

आनंद पाठक

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श्रमिकों को ओवरटाइम करना पड़ता है, लेकिन उसका पैसा नहीं दिया जाता। समय पर वेतन और सुविधाएं मिलनी चाहिए। बीमा, पीएफ जैसी सुविधाओं से वंचित रखा जाता है। सरकार को सख्ती करनी होगी।

पूरन सिंह

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हम काम करने को तैयार हैं, लेकिन नए रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे। सरकार को नई फैक्ट्रियां खोलनी चाहिए ताकि हमें काम मिले। न्यूनतम वेतन सुनिश्चित किया जाए। कम पैसा देकर ज्यादा पर साइन कराए जाते हैं।

रामचंद्र

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