बोले अलीगढ़: झोलाछापों पर हो कार्रवाई
निजी डॉक्टर स्वास्थ्य सेवा का एक अहम हिस्सा हैं। सरकारी अस्पतालों पर बोझ कम करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन अपनी स्वतंत्र प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
प्राइवेट डॉक्टर स्वास्थ्य सेवा में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनकी परेशानियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को नियमों को सरल बनाकर, सुरक्षा सुनिश्चित कर और चिकित्सा क्षेत्र में पारदर्शिता लाकर इनकी समस्याओं को कम करने की दिशा में काम करना चाहिए। समाज को भी डॉक्टरों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए। जिससे वह निडर होकर मरीजों की सेवा कर सकें।
एक डॉक्टर को धरती पर भगवान का रूप माना जाता है। वह किसी भी परिस्थिति में हमेशा अपने मरीज के साथ खड़ा रहता है। उसका उपचार कर जीवनदान देता है। लेकिन, आज के इस युग में डॉक्टर कई समस्याएं झेल रहे हैं। जिसके कारण उन पर काफी दबाव रहता है। भय के माहौल में डॉक्टरों को कार्य करना पड़ता है। निजी क्लिनिक या अस्पताल खोलना एक महंगा फैसला होता है। मेडिकल उपकरण, स्थान, स्टाफ की सैलरी और अन्य प्रशासनिक खर्चों के कारण डॉक्टरों को भारी निवेश करना पड़ता है। खासकर छोटे शहरों और कस्बों में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को आर्थिक रूप से स्थिर होने में काफी समय लग जाता है।
हिन्दुस्तान समाचार पत्र के अभियान बोले अलीगढ़ के तहत शनिवार को टीम ने शहर के प्राइवेट डॉक्टरों से संवाद किया। इस दौरान शहर के प्रमुख डॉक्टरों ने अपनी परेशानियां बताईं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में झोलाछाप डॉक्टरों के कारण उनका पेशा खराब होता जा रहा है। महंगी और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी डॉक्टर को एक लुटेरे की निगाह से देखा जाता है। फर्जी और बिना पंजीकरण चल रहे हॉस्पिटल इसका कारण हैं। यहां बिना प्रशिक्षित स्टाफ मरीजों का निजी फायदे के लिए इलाज करते हैं और अंत में मरीज दम तोड़ देता है। उस झोलाछाप के इलाज की तुलना प्रशिक्षित डॉक्टरों से की जाती है। जो बिल्कुल गलत है। डॉक्टरों के बताया कि जिले में 200 से अधिक झोलाछाप लोग हैं जो बिना डिग्री के लोगों का इलाज कर रहे हैं और उनसे ठगी कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि उन पर कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि निजी डॉक्टरों को सरकार की विभिन्न नीतियों और नियम-कायदों का पालन करना पड़ता है। क्लिनिक खोलने के लिए लाइसेंस प्राप्त करना, स्वास्थ्य विभाग की जांच प्रक्रिया और मेडिकल काउंसिल के मानकों का पालन करना जरूरी होता है। हाल के वर्षों में डॉक्टरों पर बढ़ते सरकारी प्रतिबंध और कड़े नियम उनकी प्रैक्टिस को प्रभावित कर रहे हैं।
झोलाछाप पर कार्रवाई की मांग
डॉक्टरों ने बताया कि वर्तमान में जिले में करीब 200 से अधिक झोलाछाप डॉक्टर हैं। ग्रामीण इलाकों में इनका साम्राज्य काफी फैला हुआ है। शहर में रामघाट रोड, अनूपशहर रोड, मेडिकल रोड के आसपास बिना पंजीकरण और झोलाछाप द्वारा इलाज किया जा रहा है। बिना प्रशिक्षण के मरीज को वेंटीलेटर तक की सुविधा दे दी जाती है। आरोप लगाया कि प्रशासन और पुलिस की सांठगांठ से यह धंधा चल रहा है। सवाल उठाए कि आखिर इन पर कार्रवाई कब होगी।
काम करने को चाहिए भयमुक्त माहौल
निजी डॉक्टरों को कानूनी मामलों का भी सामना करना पड़ता है। चिकित्सा लापरवाही के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। जिससे डॉक्टरों पर मुकदमे का खतरा बना रहता है। कई बार मरीजों के परिजन डॉक्टरों पर गलत आरोप लगाकर उन्हें मानसिक तनाव में डाल देते हैं। ऐसे में चिकित्सकों की मांग है कि काम करने के लिए भयमुक्त माहौल होना चाहिए।
सुरक्षा और सामाजिक दबाव
कई बार मरीजों के इलाज में देरी या अनहोनी की स्थिति में डॉक्टरों को हिंसा और दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ता है। निजी क्लीनिक में पर्याप्त सुरक्षा नहीं होने के कारण डॉक्टर असुरक्षित महसूस करते हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया और ऑनलाइन रेटिंग्स के कारण डॉक्टरों पर एक अलग तरह का दबाव रहता है।
बोले जिम्मेदार
डॉक्टरों की समस्याओं को लेकर सरकार काफी गंभीर है। सुरक्षा की समस्या को लेकर प्रशासन से संपर्क कर सकते हैं। बिना लाइसेंस के चिकित्सा करने वालों को लेकर विभाग सख्त है। अभियान चलाकर इन पर कार्रवाई की जा रही हैं। ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। महिला डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए जाएंगे। हेल्पलाइन नंबर, सुरक्षा गार्ड आदि पर कार्य चल रहा है। समस्याओं के निदान के लिए कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।
-डॉ नीरज त्यागी, सीएमओ
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डॉक्टरों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। किसी भी हमले या दुर्व्यवहार की स्थिति में तत्काल कार्रवाई की जाएगी। अस्पतालों और क्लीनिकों के आसपास पुलिस गश्त बढ़ाई जाएगी। जरूरत पड़ने पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी। झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान जारी है। महिला डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए पेट्रोलिंग बढ़ाई जाएगी। हेल्पलाइन नंबर जारी करने पर विचार किया जा रहा है। किसी भी समस्या में पुलिस से तत्काल संपर्क कर सकते हैं।
-मृगांक शेखर पाठक, एसपी सिटी
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