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क्रीमीलेयर के बाद आरक्षण के श्रेय को लेकर जंग, मायावती ने कांग्रेस पर बोला बड़ा हमला

कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा दिए गए बयान का उल्‍लेख करते हुए मायावती ने कहा कि उन्‍होंने बाबा साहेब को नहीं बल्कि पं नेहरू और गांधीजी को आरक्षण का श्रेय दिया गया है जिसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है।

Ajay Singh लाइव हिन्दुस्तानSun, 11 Aug 2024 09:02 AM
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SC-ST Reservation: अनुसूचित जाति-जनजाति के आरक्षण में क्रीमीलेयर को लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सियासत गर्म है। कल बसपा प्रमुख मायावती ने इस पर प्रेस कांफ्रेन्‍स कर मोदी सरकार पर सुप्रीम कोर्ट में ठीक से पैरवी न करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इस मामले में सिर्फ आश्‍वासन से काम नहीं चलने वाला। उन्‍होंने केंद्र सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाकर इस पर आरक्षण संशोधन विधेयक लाने की मांग की थी। अब उन्‍होंने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है। शनिवार को इस मुद्दे पर कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा दिए गए बयान का उल्‍लेख करते हुए मायावती ने कहा कि उन्‍होंने बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर को नहीं बल्कि पं नेहरू व गाँधीजी को आरक्षण का श्रेय दिया गया है जिसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है।

सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म 'एक्‍स' पर एक पोस्‍ट में मायावती ने लिखा- ' कल बीएसपी की प्रेस कान्फ्रेंस के बाद कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दिये बयान की जानकारी मिली, जिससे ST-ST के समक्ष कांग्रेस पार्टी के बयान में बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर को नहीं बल्कि पं नेहरू व गाँधीजी को आरक्षण का श्रेय दिया गया है जिसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं।' उन्‍होंने आगे लिखा- ‘जबकि वास्तव में आरक्षण का पूरा श्रेय बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को ही जाता है जिनको किस तरह से कांग्रेस के लोगों ने संविधान सभा में जाने से रोकने का षड़यन्त्र रचा तथा उनको चुनाव में भी हराने का काम किया। कानून मंत्री पद से भी इस्तीफा देने को विवश किया।’

मायावती ने लिखा- 'कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह कहा कि देश में SC व ST वर्गों के उपवर्गीकरण के सम्बन्ध में पार्टी के स्टैण्ड का खुलासा करने के पहले इनकी पार्टी NGOs व वकीलों आदि से विचार-विमर्श करेगी, जिससे स्पष्ट है कि कांग्रेस उपवर्गीकरण (sub-classification) के पक्ष में है।' चौथे ट्वीट में उन्‍होंने लिखा- 'कांग्रेस द्वारा क्रीमीलेयर के बारे में भी गोलमोल बातें की गई है। कांग्रेस के 99 सांसद होने के बाद भी सत्रावसान होने तक संसद में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को निष्प्रभावी बनाने के लिए कोई भी आवाज नहीं उठाई गई जबकि इस पार्टी ने संविधान व आरक्षण को बचाने के नाम पर ये सीटें जीती हैं।'

क्‍या बोले थे मल्लिकार्जुन खरगे

शनिवार को कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि राजनीतिक आरक्षण के साथ ही शिक्षा और रोजगार का आरक्षण का मुद्दा जरूरी था लेकिन अब एससी-एसटी के लोगों के क्रीमीलेयर को आरक्षण से बाहर निकालना उनके ऊपर एक बड़ा प्रहार है।

उन्‍होंने 'एक्‍स' पर लिखा- 'पिछले दिनों Supreme Court का 7-Judge Bench का फ़ैसला आया, जिसमें उन्होंने SC-ST वर्ग के लोगों के लिए Sub-Categorisation का बात की। इस फ़ैसले में SC-ST वर्ग के आरक्षण में Creamy Layer की भी बात की गई। भारत में Scheduled Caste के लोगों को सबसे पहले आरक्षण बाबासाहेब डॉ अंबेडकर के Poona Pact के माध्यम से मिला। बाद में पंडित नेहरू और महात्मा गांधी जी के योगदान से इसे संविधान में मान्यता देकर, नौकरी और Educational Institutions में भी लागू किया गया था। परंतु 70 सालों के बाद भी सरकारी नौकरियों में जब SC व ST समुदायों के लोगों की भर्तियाँ देखते है, तो पाते है कि अभी भी जो vacancies है वो नहीं भरी जा रही है, अधिकतर पद ख़ाली है। जिसका अर्थ है कि इन वर्ग के लोग, सम्मिलित रूप से मिलकर भी इन पदों को नहीं भर पा रहे। ये अभी भी सामान्य वर्ग के लोगों के साथ Compete नहीं कर सकते। और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आरक्षण का आधार किसी समुदाय या व्यक्ति की आर्थिक तरक़्क़ी - Economic Development नहीं था। बल्कि यह समाज में हज़ारों सालों से फैली अस्पृश्यता, Untouchability- छूआछूत को मिटाना - ख़त्म करना है । और यह समाज से अभी भी ख़त्म नहीं हुआ है। कई उदाहरण रोज़ हमारे सामने आते हैं।

इसलिए SC- ST समुदाय में creamy layer के बारे में बात करना ही ग़लत है । कांग्रेस पार्टी इसके ख़िलाफ़ है। एक तरफ़ सरकार धीरे धीरे सरकारी PSU बेचकर नौकरियां ख़त्म कर रही है। ऊपर से, भाजपा की दलित-आदिवासी मानसिकता, आरक्षण पर निरंतर प्रहार कर रही है। सरकार चाहती तो इस मुद्दे को इसी सत्र में संविधान संशोधन लाकर सुलझा सकती थी। मोदी सरकार 2-3 घंटे के अंदर नई बिल ले आती है तो ये भी संभव था। Judgement के अन्य विषयों की बारीकी के ऊपर निर्णय करने के लिए हम अलग अलग लोगों से - intellectual, experts, NGOs के साथ consultations कर रहे हैं।

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