भोजपुरी फिल्म में घाटे की भरपाई के लिए 120 करोड़ की ठगी, लंदन में रची गई साजिश
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के खाते से एकेटीयू के 120 करोड़ रुपये निकालने जाने की साजिश लंदन में बैठे मास्टरमाइंड देवांग देसाई ने रची थी। इसके बाद लंदन, दुबई, हैदराबाद और लखनऊ में गिरोह के लोगों की कई मीटिंग हुई।
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Cyber Fraud: एकेटीयू के 120 करोड़ रुपए साइबर ठगी के जरिए ट्रांसफर करवाए जाने के मामले में हैरान करने वाली बातें सामने आ रही हैं। अब पता चला है कि यह ठगी भोजपुरी फिल्म फ्लाप होने के चलते हुए भारी भरकम घाटे की भरपाई के लिए की गई थी। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के खाते से डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के 120 करोड़ रुपये निकालने जाने की साजिश लंदन में बैठे मास्टरमाइंड देवांग देसाई ने रची थी। इसके बाद लंदन, दुबई, हैदराबाद और लखनऊ में गिरोह के लोगों की कई मीटिंग हुई। देवांग लंदन से ही पूरा गिरोह ऑपरेट कर रहा था। मास्टरमाइंड व्हाट्सऐप वीडियो काल पर गिरोह के सदस्य और सरगना बात कर दिन-प्रति दिन योजना तैयार करके बातचीत करते थे।
गुरुवार को जालसाजी के मामले में जेल भेजे गए चांद बाबू से पूछताछ में साइबर थाना पुलिस को कई अहम जानकारियां मिली हैं। साइबर थाने के इंस्पेक्टर ब्रजेश कुमार यादव और उनकी टीम देवांग देसाई और दुबई में बैठे कपिल बोसाया के संबंध में दूतावास से संपर्क कर रहे हैं। इसके साथ ही लुक आउट नोटिस जारी कराने की दिशा में भी कार्रवाई शुरू कर दी है।
इंदिरानगर में चांद बाबू से हुई थी पहली मीटिंग
चांदबाबू ने बताया कि मई 2024 में उसकी राजेश बाबू से पहली मीटिंग इंदिरानगर में हुई थी। राजेश बाबू के कहने पर उसने यहां टीम तैयार की थी। इसके बाद उसने राजेश बाबू से अनुराग श्रीवास्तव की मीटिंग हजरतगंज में एक चाय की दुकान पर कराई थी। फिर अनुराग को शैलेश और गिरीश चंद्र के साथ बैंक में रेकी करने के लिए भेजा गया था कि कौन अफसर कहां बैठता है। उसे पूरी बात राजेश बाबू ने समझाई थी। चूंकि राजेश बाबू फिल्म प्रोड्यूसर था इस लिए उसे एक्टिंग की जानकारी थी। उसने अनुराग को एक एक्जीक्यूटिव की तरह प्रशिक्षित किया था। रुपये निकालने जाने के बाद सभी दिल्ली भागे थे। दिल्ली से चांद और कपिल बोसाया हैदाराबाद गया। वहां से दोनों दुबई भाग निकले थे। बाकी के लोग अन्य शहरों और कुछ नेपाल भागे थे। अबतक राजेश बाबू समेत गिरोह के 10 लोग जेल भेजे जा चुके हैं।
घाटा पूरा करने के लिए बनाई थी योजना
बुधवार को जेल भेजे गए चांद बाबू ने बताया कि उन्नाव का रहने वाले राजेश बाबू ने कोविड के समय भोजपुरी फिल्म बनाई थी। उसमें करीब 10 करोड़ रुपये की लागत लग गई थी। फिल्म कोविड के कारण चली नहीं थी। राजेश बाबू के मित्र और प्रॉपर्टी डीलर शैलेश रघुवंशी का विधानसभा मार्ग स्थित यूनियन बैंक आफ इंडिया में आना जाना था। उसे वहां से पता चला था कि एकेटीयू की 120 करोड़ रुपये की एफडी पूरी होने वाली है। इसके बाद उसने इसकी जानकारी अपने घनिष्ट मित्र लंदन में बैठे देवांग देसाई को दी। देवांग देसाई ने दुबई में रह रहे करीबी कपिल बोसाया से बात की। फिर वीडियो काल पर पूरा प्लान तैयार हुआ। राजेश ने चांद बाबू के माध्यम से यूपी में अनुराग श्रीवास्तव, अमेठी दस्तगीर आलम, बस्ती के रहने वाले कृष्णकांत, मान सरोजवर योजना में रहने वाले गिरीश चंद्र समेत अन्य को तैयार किया। गुजरात के जोशी देवेंद्र प्रसाद प्रभाशंकर, अहमदाबाद के पटेल उदय को देवांग देसाई ने जोड़ा था। सबके काम बांटे थे। अनुराग श्रीवास्तव को फर्जी मैनेजर बनाकर एकेटीयू की बिट में और फिर फाइनेंस कंट्रोलर बनाकर बैंक भेजा गया था। रुपये निकालने में उसकी अहम भूमिका था।
इंदिरानगर में चांद बाबू से हुई थी पहली मीटिंग
चांदबाबू ने बताया कि मई 2024 में उसकी राजेश बाबू से पहली मीटिंग इंदिरानगर में हुई थी। राजेश बाबू के कहने पर उसने यहां टीम तैयार की थी। इसके बाद उसने राजेश बाबू से अनुराग श्रीवास्तव की मीटिंग हजरतगंज में एक चाय की दुकान पर कराई थी। फिर अनुराग को शैलेश और गिरीश चंद्र के साथ बैंक में रेकी करने के लिए भेजा गया था कि कौन अफसर कहां बैठता है। उसे पूरी बात राजेश बाबू ने समझाई थी। चूंकि राजेश बाबू फिल्म प्रोड्यूसर था इस लिए उसे एक्टिंग की जानकारी थी। उसने अनुराग को एक एक्जीक्यूटिव की तरह प्रशिक्षित किया था। रुपये निकालने जाने के बाद सभी दिल्ली भागे थे। दिल्ली से चांद और कपिल बोसाया हैदाराबाद गया। वहां से दोनों दुबई भाग निकले थे। बाकी के लोग अन्य शहरों और कुछ नेपाल भागे थे। अबतक राजेश बाबू समेत गिरोह के 10 लोग जेल भेजे जा चुके हैं।