पंड्या ने आगे कहा कि 'अदालत ने शख्स को दोहरी मौत की सजा इसलिए दी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अगर हाई कोर्ट उसे एक अपराध में बरी भी कर दे, तो भी उसे दूसरे मामले में मौत की सजा मिल सके और वह बच ना सके।'
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में जान बचाकर भागे लोगों की दास्तां सुनकर रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं। हमले से बच निकलीं गुजरात के भावनगर की लीलाबेन ने बताया कि जब वह भाग रही थीं तब देखा कि एक आतंकवादी ने स्मित की छाती में गोली मार दी। वह दृश्य असहनीय था।
कश्मीर के पहलगाम में आंतंकवादियों की गोलियों की शिकार होने वालों में सूरत के शैलेश कलथिया भी शामिल थे। कलथिया की पत्नी ने बताया कि आतंकवादी उनके पति को गोली मारने के बाद हंस रहा था। वह तब तक वहां से नहीं गया जब तक कि उनके पति मर नहीं गए।
शीतल कलाथिया जो कि अब भी सदमे में हैं, उन्होंने इतने बड़े पर्यटन स्थल पर एक भी सुरक्षाबल के ना होने पर भी सवाल उठाया। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा केवल फिल्मों में ही होते हुए देखा था।
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों में से तीन लोग गुजरात के थे। गुरुवार को पैतृक स्थानों पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। मारे गए लोगों में भावनगर के यतीश परमार और उनके बेटे स्मित और सूरत के निवासी शैलेश कलथिया थे। सीएम भूपेंद्र पटेल ने मुआवजे की घोषणा की है।
बेटे ने आगे कहा कि हमें तो लगा कि हम गए,लेकिन किसी तरह बच गए। मम्मी और बहन ने हमें घोड़े से भेजा और ये लोग पैदल आए। मम्मी मेरी पापा को छोड़कर नहीं जा रही थी,फिर हम दोनों के लिए उन्हें जाना पड़ा। उन्होंने तीन बार कलमा पढ़ा और मुसलमान बोला।
मामला गुजरात के जाफराबाद का है। यहां के पिपावाव से लगभग 90 किलोमीटर समुद्र में अंदर की तरफ मछुआरों का एक समूह मछलियां पकड़ने गया था। मछलियां पकड़ने के दौरान एक मछुआरे को सीने में तेज दर्द हुआ तो बचाने के लिए आईसीजी के जवान पहुंच गए।
26 मृतकों की पूरी लिस्ट भी आ गई है, इसमें 3 लोग गुजरात के भी हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने पत्रकारों को बताया कि गुजरात प्रशासन शवों को वापस लाने के लिए केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार के संपर्क में है।
हादसा रविवार सुबह हुआ था जबकि शख्स ने शिकायत सोमवार को दर्ज कराई। इस मामले में शिकायत करने वाला, विटनेस और आरोपी खुद पिता ही है।
गुजरात हाईकोर्ट में यूसीसी पर पैनल के गठन को चुनौती दी गई है। गुजरात हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि इसमें अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को शामिल किया जाना चाहिए।