पेरिस ओलंपिक के 'फ्लॉप शो' पर एक्शन मोड में सरकार, TOPS से आधे खिलाड़ियों का कट सकता है पत्ता
- पेरिस ओलंपिक में भारत ने केवल 6 मेडल अपने नाम किए। पेरिस के 'फ्लॉप शो' के बाद भारत सरकार टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) को लेकर सख्त कदम उठा सकती है।
भारत का पेरिस ओलंपिक 2024 में प्रदर्शन उम्मीदों के बिलकुल विपरीत रहा था। टोक्यो में भारत ने जहां एक गोल्ड समेत 7 मेडल जीते तो वहीं पेरिस में संख्या घटकर 6 रह गई। पेरिस में भारत के खाते में पांच ब्रॉन्ज और एक सिल्वर मेडल आया। पेरिस ओलंपिक के 'फ्लॉप शो' के बाद भारत सरकार एक्शन मोड में है। सरकार टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) को लेकर सख्त कदम उठा सकती है, जिसके तहत खिलाड़ियों को आर्थिक तौर पर पूरा सहयोग मिलता है।
एमओसी में इस कदम पर चर्चा
इंडिया एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, खिलाड़ियों के लिए टॉप्स का हिस्सा बनना अब आसान नहीं होगा, क्योंकि सरकार स्कीम में 'कटौती करने पर विचार कर रही है। मिशन ओलंपिक सेल (एमओसी) में इस कदम पर चर्चा चल रही है। एमओसी में पूर्व एथलीट, कोच, सरकारी अधिकारी और प्रशासक शामिल हैं। पैनल के दो सदस्यों ने बताया कि आने वाले हफ्तों में नए चयन मापदंडों पर फैसला लिया जा सकता है। हालांकि, फंडिंग घटाने पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।
300 एथलीट को टॉप्स से मदद
फिलहाल, 300 एथलीट को टॉप्स के तहत वित्तीय सहायता मिलती है। एमओसी के एक अधिकारी ने कहा कि अगर सिलेक्शन नियम सख्त हो जाएंगे तो खिलाड़ियों की संख्या आधी हो सकती है। सुझाव दिया गया कि खिलाड़ियों को स्कीम का हिस्सा तभी बनाए जाए, जब वे मेडल के लिए दमदार चुनौती पेश कर पाएं। हालाकि, एमओसी में शामिल कुछ सदस्य सुझावों से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि नए दिशानिर्देशों के परिणामस्वरूप कई एथलीट स्कीम से बाहर हो जाएंगे।
खिलाड़ियों की जवाबदेही तय होगी
इसके अलावा, 2028 ओलंपिक चक्र के लिए जिन नए खिलाड़ियों को स्कीम में शामिल किया जाएगा, उनकी जवाबदेही भी तय होगी। दरअसल, कई एथलीट के खर्चों को लेकर स्पष्टता नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि कई एथलीटों ने अभी तक अपने बिल जमा नहीं किए हैं और लगभग 10 करोड़ रुपये तक के खर्च का निपटारा नहीं हुआ है। एक अधिकारी ने कहा, "कई एथलीट जो रिटायर हो चुके हैं, उन्होंने भी अपने खर्च का विवरण जमा नहीं किया है। हमें उनकी नीयत पर कोई शक नहीं है। प्रस्तावों की सावधानीपूर्वक जांच के बाद ही पैसे मंजूर किए गए थे लेकिन खर्च का निपटारा किया जाना चाहिए।"
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