Hindi Newsखेल न्यूज़अन्य खेलGukesh D shaves head and Beard at Tirumala temple after World Championship success

सिर मुंडवाकर तिरुमला मंदिर पहुंचे विश्व चैंपियन गुकेश डी, किए वेंकटेश्वर के दर्शन

  • गुकेश डी बहुत धार्मिक किस्म के शख्स हैं। वे किसी भी मुकाबले में उतरते हैं तो माथे पर टीका लगाते हैं। इसके साथ-साथ वे हाल ही में अपने परिवार के साथ आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुमाला मंदिर गए, जहां उन्होंने अपने सिर और दाढ़ी को शेव कराया।

Vikash Gaur लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 13 March 2025 12:08 PM
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सिर मुंडवाकर तिरुमला मंदिर पहुंचे विश्व चैंपियन गुकेश डी, किए वेंकटेश्वर के दर्शन

विश्व शतरंज चैंपियन गुकेश डी कितने धार्मिक किस्म के शख्स हैं, ये तो हम उनका चेहरा देखकर ही जान सकते हैं, क्योंकि वे किसी भी मुकाबले में उतरते हैं तो माथे पर टीका लगाते हैं। इसके साथ-साथ वे हाल ही में अपने परिवार के साथ आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुमाला मंदिर गए। अपने करियर में बड़ी छलांग लगाने वाले और खेल की दुनिया प्रसिद्धि प्राप्त करने के बाद गुकेश डी के अंदर आध्यात्मिकता कुछ ज्यादा हो गई है। वे इसके महत्व को भी समझते हैं और इसी वजह से वे वेंकटेश्वर के पवित्र मंदिर में आशीर्वाद लेने पहुंचे और इससे उन्होंने अपने सिर और दाढ़ी को शेव कराया।

बता दें कि हाल ही में गुकेश डी ने विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बनकर सुर्खियां बटोरीं। सिंगापुर में खिताबी मुकाबले में उन्होंने चीन के डिंग लिरेन को हराया। हाल ही में, गुकेश ने 10 अंक हासिल करने के बाद FIDE रैंकिंग में अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग नंबर 3 हासिल की, जिससे उनके अंकों की संख्या 2787 हो गई। अपनी इस मंदिर दर्शन के दौरान, 18 वर्षीय खिलाड़ी ने कड़ी मेहनत करने और विश्व शतरंज चैंपियनशिप में अपनी सफलता को आगे बढ़ाने के बारे में बात की। इस दौरान गुकेश ने कहा, "मुझे कड़ी मेहनत करते रहना है। 2025 में कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट हैं, इसलिए मैं उस पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। मैं सभी प्रारूपों में सुधार करना चाहता हूं और उम्मीद है कि भगवान की कृपा से कुछ समय बाद अच्छी चीजें होंगी।"

गुकेश डी हाल ही में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में भी शामिल हुए थे, जहां उन्होंने अपना विश्व चैंपियनशिप को अपने माता-पिता रजनीकांत और पद्मकुमारी को समर्पित किया। उन्होंने कहा था, "मुझे वाकई खुशी है कि मैं अपने माता-पिता के लिए ऐसा कर सका। वित्तीय पहलू से ज्यादा, मेरे पूरे करियर के दौरान, मुझे लगता है कि उन्होंने मुझे उन संघर्षों का एहसास नहीं होने दिया, जिनसे वे गुजर रहे थे, लेकिन वे बहुत सारे वित्तीय संघर्षों से गुजरे और मुझे याद है कि जब 2018, 2019 के आसपास की बात है, तो मैं छोटे टूर्नामेंट खेल रहा था, लेकिन वे विदेश भेजने की कोशिश कर रहे थे और कुछ लोगों की मदद से ये संभव हुआ।"

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