पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह खुद को सराफ समझ बैठते हैं, वसुंधरा राजे के निशाने पर कौन?
- राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने इशारों में अपने सियासी विरोधियों पर जमकर निशाना साधा है। राजे ने कहा-कई लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह अपने आप को सराफ समझ बैठते है।
राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने इशारों में अपने सियासी विरोधियों पर जमकर निशाना साधा है। राजे ने कहा-कई लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह अपने आप को सराफ समझ बैठते है। दरअसल, सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर के अभिनंदन समारोह में पहुंची राजे ने कहा कि ओम माथुर चाहे कितनी ही बुलंदियों पर पहुंचे। इनके पैर सदा ज़मीन पर रहे हैं। इसीलिए इनके चाहने वाले भी असंख्य हैं। वरना कई लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है, वह अपने आप को सराफ समझ बैठते हैं। सियासी जानाकर राजे के बयान के अलग-अलग सियासी मायने निकाल रहे है। राजनीतिक विश्लेषक राजे का इशारा सीएम भजनलाल शर्मा की ओर मान रहे है। क्योंकि भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक बने है। पहला चुनाव जीतने के बाद ही मुख्यमंत्री बन बैठे। इसे लेकर वसुंधरा राजे के मन में टीस है।
राजे ने कहा कि माथुर से ऐसे लोगों को सीख लेना चाहिए कि चाहत बेशक आसमां छूने की रखो, पर पांव हमेशा ज़मीं पर रखो। राजे ने उन्हें सिक्किम का गवर्नर बनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी का आभार भी व्यक्त किया। राजे ने कहा कि पीएम के करीबी माथुर ऊपर से गरम, भीतर से नरम हैं। जिन्होंने छत्तीसगढ़ में कमल खिलाकर असंभव को संभव किया।
राजे ने कहा कि विपक्षी कुछ भी कहें गवर्नर रबर स्टांप नहीं होता है। फिर जैसा घुड़सवार होगा घोड़ा वैसे ही दौड़ेगा। माथुर कुशल घुड़सवार हैं। जिन्हें लगाम खींचना और चाबुक चलाना अच्छे से आता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि राज्यपाल किसी भी विधेयक को रोक सकता है। वह मंत्री परिषद की सलाह से काम तो करता हैं, लेकिन अनुच्छेद 166(2) के अनुसार उसका निर्णय ही अंतिम है।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 356 में राज्यपाल की सिफ़ारिश पर किसी भी बहुमत की सरकार को हटा कर उस प्रदेश में सरकार के सारे अधिकार राज्यपाल को मिल जाते हैं। इसलिए राज्यपाल शक्ति रहित नहीं, शक्ति सहित होता है। संविधान बनाते वक्त यह तय हुआ कि देश में जैसे राष्ट्रपति हैं, वैसे ही राज्य को गवर्न करने के लिए गवर्नर होंगे। इसलिए राज्य में गवर्नर ही सबसे शक्तिशाली होता है।