क्या हैं बीपीवीएम के जीत के मायने, क्या आने वाले समय में भील प्रदेश की मांग और प्रबल होगी
डूंगरपुर में सभी चार कॉलेजों में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा (बीपीवीएम) के पैनल ने जीत दर्ज की है। यह पहली बार भी नहीं हुआ है, लगातार पांचवीं बार बीपीवीएम ने यह कर दिखाया है।
प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य उदयपुर संभाग में छात्रसंघ चुनावों पर नजर डाली जाए तो सबसे बड़ा बदलाव डूंगरपुर जिले में देखने को मिला है। सभी राजनीतिक दलों के लिए यह एक संदेश भी है। डूंगरपुर में सभी चार कॉलेजों में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा (बीपीवीएम) के पैनल ने जीत दर्ज की है। यह पहली बार भी नहीं हुआ है, लगातार पांचवीं बार बीपीवीएम ने यह कर दिखाया है। गर्ल्स कॉलेज में भी बीपीवीएम ने जीत दर्ज की है। यहां से एबीवीपी व एनएसयूआई का सफाया हो गया है।
डूंगरपुर भाजपा, कांग्रेस को संदेश
यही वजह है कि पिछले विधानसभा चुनावों में डूंगरपुर में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने दो सीटें जीती थीं। बीपीवीएम और बीटीपी की विचारधारा समान है। डूंगरपुर जिले के लिए भाजपा और कांग्रेस के लिए यह बड़ा संदेश है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में बीटीपी डूंगरपुर की चारों सीटों पर पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी। इसके नजदीक ही आदिवासी बाहुल्य बांसवाड़ा जिले में इसका असर देखने को मिला है।
दो आदिवासी समाज के मंत्री, फिर भी हारी एनएसयूआई
प्रदेश में कांग्रेस सरकार के जल संसाधन मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया और जनजाति राज्यमंत्री अर्जुन बामनिया के गृह जिले बांसवाड़ा में छात्र संघ चुनाव में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा भारी पड़ा। यहां (बीपीवीएम) जिले का सबसे बड़ा छात्र संगठन बनकर उभरा है। छात्र राजनीति के सबसे बड़े कॉलेज, गोविंद गुरु कॉलेज से लेकर सज्जनगढ़, कुशलगढ़, गनोड़ा संस्कृत कॉलेज, छोटी सरवन में बीपीवीएम ने जीत हासिल की है।
इन जगहों से मिली कुछ राहत
गोविंद गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी के केंद्रीय चुनाव और इंजीनियरिंग कॉलेज में ABVP तथा हरिदेव जोशी कन्या महाविद्यालय और गांगड़तलाई कॉलेज में एसटी-एससी छात्र संगठन व एनएसयूआई गठबंधन ने जीत दर्ज की है। जिले में कांग्रेस के समर्थन वाले एसटी-एससी छात्र संगठन और एनएसयूआई गठबंधन को अपेक्षा के अनुरूप परिणाम मिले नहीं मिले हैं। युवा राजनीति में आए इस बदलाव ने बांसवाड़ा और डूंगरपुर में खुद की मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस और भाजपा की राजनीति के लिए ये बड़ा झटका है।
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