' दूसरों की कुर्सी पर क्यों बैठें?' वसुंधरा राजे कैंप के विधायक श्रीचंद कृपलानी का छलका दर्द
राजस्थान बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। वसुंधरा राजे कैंप के नेता अपनी अनदेखी से नाराज है। एक तरफ बीजेपी छोड़ने की अटकलें है तो दूसरी तरफ अपनी अनदेखी से नाराज हो रहे हैं। सबकुछ ठीक नहीं चल रहा।
राजस्थान बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। वसुंधरा राजे कैंप के नेता अपनी अनदेखी से नाराज है। एक तरफ प्रहलाद गुंजल के बीजेपी छोड़ने की अटकलें है तो दूसरी तरफ राजे कैंप के नेता सम्मान नहीं मिलने से नाराज दिखाई दे रहे है। दरअसल, मंगलवार को दक्षिणी राजस्थान को साधने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी मेवाड़ पहुंचे, जहां उन्होंने उदयपुर में एक निजी होटल में तीन जिलों की क्लस्टर बैठक ली। बैठक से पूर्व दो विधायकों की नाराजगी भी देखने को मिली।ओपेरा गार्डन में उदयपुर संभाग की क्लस्टर मीटिंग में सीएम के आने से पहले मंच पर तमाम विधायकों को बैठाया जा रहा था। इसी दौरान पूर्व मंत्री और निम्बाहेड़ा विधायक श्रीचंद कृपलानी और सलूम्बर विधायक अमृत लाल मीणा भी मंच पर पहुंचे। जब दोनों विधायकों ने देखा कि किसी कुर्सी पर उनका नाम नहीं है तो दोनों नाराज होकर मंच से नीचे उतर गए और दूर सामान्य कार्यकर्ताओं के बीच जाकर बैठ गए।
इस मीटिंग के आयोजन का जिम्मा देख रहे प्रमोद सामर समेत दोनों जिलाध्यक्ष उन्हें मनाने पहुंचे, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए। विधायक कृपलानी का कहना था कि जब मंच पर किसी कुर्सी पर उनका नाम ही नही है तो वे दूसरों की कुर्सी पर क्यों बैठेंगे? वहीं, दूसरी ओर सलूम्बर विधायक अमृत लाल मीणा भी उन्हें मनाने के लिए आए नेताओं पर बिफरते नजर आए। उन्होंने कहा कि क्या लोकसभा चुनाव में हमारी या हमारे क्षेत्र की जरूरत नहीं होगी? इसी बीच भूल को सुधारते हुए आयोजक मंडल ने तुरंत दो कुर्सियां मंगवाईं और दोनों विधायकों के नाम लिखकर मंच पर रख दी।
श्रीचंद कृपलानी और अमृत लाल मीणा दोनों नेता मंच पर आने को तैयार नहीं थे। ऐसे में प्रदेश महामंत्री और संभाग प्रभारी दामोदर अग्रवाल खुद मंच से उतर कर उनके पास पहुंचे और कृपलानी को मनाकर मंच पर ले गए। सलूम्बर विधायक इसके बाद भी करीब 15 मिनट तक मंच पर नहीं गए। मीणा को मनाने देहात जिलाध्यक्ष चंद्रगुप्त सिंह पहुंचे और उन्हें ससम्मान मंच पर स्थान दिया। बता दें श्रीचंद कृपलानी वसुंधरा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। राजे कैंप के नेता माने जाते है। इसलिए इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया।