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स्वागत की करो तैयारी, MP के बाद अब राजस्थान की बारी; विदेश से आने वाले हैं चीते

इस योजना से जुड़े हुए एक व्यक्ति ने बताया कि चीतों को रखने के लिए जैसलमेर सबसे उपयुक्त जगह है लेकिन सुरक्षा और रक्षा बल व स्थानीय लोग इस परियोजना के समर्थन में नहीं हैं।

Devesh Mishra सचिन सैनी, जयपुरWed, 28 Feb 2024 06:35 PM
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सालों के इंतजार के बाद एक बार फिर राजस्थान में विदेश से चीता लाने की कवायद राज्य सरकार ने शुरू कर दी है। भारत में चीता परियोजना के तहत इससे पहले मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आठ चीते आए थे। इसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों का एक और बैच लाया गया था। इस परियोजना का उद्देश्य देश में चीतों की आबादी बढ़ाना है, जिन्हें 1952 में भारत में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

फिलहाल कूनो नेशनल पार्क में कुल 20 चीते हैं, इनमें 13 वयस्क और आठ शावक शामिल हैं। भारत में विदेश से चीता लाने की कहानी साल 2020 से शुरू होती है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की परमिशन दी। इसके बाद देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान (WWI) द्वारा गठित विशेषज्ञों की एक समिति ने तीन राज्यों का नाम बताया जहां चीतों को दोबारा बसाया जा सकता था। ये राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात थे।

विशेषज्ञों की समिति ने अध्ययन किया और पाया कि जैसलमेर में शाहगढ़ बल्ज और कोटा में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (MHTR) चीता लाने के लिए उपयुक्त जगह हैं। लेकिन कांग्रेस नेताओं और वन्यजीव विशेषज्ञों ने दावा किया कि राजनीतिक कारणों से राजस्थान में चीता के आगमन को रोका गया, नहीं तो ये दोनों क्षेत्र चीतों के लिए सबसे उपयुक्त जगह थे।

गौरतलब है कि दिसंबर 2023 में अग्नि नाम का एक चीता भटककर राजस्थान के बारां जिले में पहुंच गया था। बाद में उसे पकड़कर कूनो ले जाया गया। अब राजस्थान में नई सरकार के गठन के साथ ही राज्य में चीतों को दूसरे चरण के तहत लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा बताया कि हमने चीता को राज्य में लाने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत शुरू कर दिया है।

इस योजना से जुड़े हुए एक व्यक्ति ने बताया कि चीतों को रखने के लिए जैसलमेर सबसे उपयुक्त जगह है लेकिन सुरक्षा और रक्षा बल व स्थानीय लोग इस परियोजना के समर्थन में नहीं हैं। वहीं मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के पूर्व फील्ड डायरेक्टर सेवानिवृत्त आईएफएस मनोज पाराशर ने कहा, 'MHTR में एक 80 वर्ग किमी का बड़ा घेरा है। इसमें शिकार के लिए पर्याप्त जानवर भी हैं। घेरे में घास के मैदानी इलाके भी हैं। ऐसे में यह चीतों के लिए सुरक्षित है।' 

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