Hindi Newsराजस्थान न्यूज़Rajasthan politics: Gajendra Singh Shekhawat admitted bitterness towards Vasundhara Raje

Rajasthan politics: गजेंद्र सिंह शेखावत ने स्वीकारी वसुंधरा राजे से कड़वाहट की बात, जानिए क्या बोले 

राजस्थान में लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बयान से सियासी पारा गर्मा गया है। शेखावत ने कहा कि वसुंधरा राजे के साथ संबंध में बेहतर नहीं थे। बयान के मायने निकाले जा रहे है।

Prem Narayan Meena लाइव हिंदुस्तान, जयपुरSat, 30 March 2024 06:20 AM
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राजस्थान में लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बयान से सियासी पारा गर्मा गया है। शेखावत ने कहा कि वसुंधरा राजे के साथ उनके संबंध में बेहतर नहीं थे। इसके अलावा उन्होंने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से उनके और बाबू सिंह राठौड़ के रिश्तों में कड़वाहट की बात भी कबूली। शेखावत ने आगे कहा कि 2013 से 2018 तक प्रदेश में डबल इंजन की सरकार थी, लेकिन तब बाबू सिंह की मैडम से नहीं बनी और बाद में मेरी नहीं बनी थी। इसलिए यहां काम नहीं हो सका था। उसके बाद कांग्रेस की सरकार आ गई, जिसने केंद्र के काम रोक दिया था, लेकिन वर्तमान की डबल इंजन की सरकार में अब सब कुछ होगा। 

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा प्रदेश में बनी डबल इंजन की सरकार से केंद्र के मार्फत राज्य के काम होने लगे है। आप लोगों को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। हमारा जयपुर और दिल्ली दोनों पर काबू है। इसलिए शेरगढ़ की अब जो भी मांगे बाबू सिंह ने रखी हैं, उसे पूरी की जाएगी। शेरगढ़ के विकास के लिए बाबू सिंह यहां दिन-रात पसीना बहाएंगे और मेरा खून बहेगा। बता दें शेरगढ़ विधायक बाबू सिंह राठौड़ वसुंधरा राजे कैंप के माने जाते है। प्रत्याशी घोषित होने के बाद शेखावत का शेरगढ़ में विरोध भी हुआ था। हालांकि, बाद में सीएम भजनलाल शर्मा ने दोनों नेताओं संग जयपुर में बैठक की थी, जिसके बाद से ही बाबू सिंह गजेंद्र सिंह शेखावत की तारीफ में कसीदें पढ़ने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान में गजेंद्र सिंह शेखावत को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का धुर विरोधी माना जाता है। सियासी जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के समय सीएम फेस का मुद्दा शेखावत ने जोर शोर से उठाया था। शेखावत का कहना है कि चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री का फैसला संसदीय बोर्ड की मीटिंग में होगा। दरअसल, शेखावत सीएम फेस का मुद्दा उठाकर वसुंधरा राजे का विरोध कर रहे थे। जबकि वसुंधरा राजे कैंप लगातार राजे के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कर रहा था। चुनाव में बीजेपी को बहुमत मिल गया औऱ भजनलाल शर्मा के हाथ राज्य की कमान सौंपी गई। सियासी जानकारों का कहना है कि राजस्थान  में दो गुट माने जाते है। वसुंधरा विरोधी कैंप लगातार निशाने पर रहता है। 

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