मिलावट पर राजस्थान हाईकोर्ट हुआ सख्त, सरकार को किया सावधान; ये निर्देश दिए
राजस्थान हाईकोर्ट ने खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट पर सख्त टिप्पणी की है। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश अनूपकुमार ढंड ने खाने-पीने की चीजों में मिलावट पर स्वत: संज्ञान लिया है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट पर सख्त टिप्पणी की है। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने खाने-पीने की चीजों में मिलावट पर स्वत: संज्ञान लिया है। उन्होंने राजस्थान सरकार को सख्त कानून बनाने के आदेश दिए है।हाईकोर्ट ने खाने-पीने की चीजों में मिलावट पर चिंता जताई। हाईकोर्ट ने कहा कि हम रोजमर्रा के कामों में इतना बिजी रहते हैं कि खाने के बारे में जानने के लिए हम समय ही नहीं देते। हमें यह भी पता नहीं है कि हम जो खा रहे हैं, वह सुरक्षित है कि नहीं।
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। मिलावट की वजह से किडनी, ह्रदय और लीवर आदि अंगों पर प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। मिलावट और घटिया खाना समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है। कैंसर के रोगी बढ़ रहे हैं। इसके बाद व्यापारी कम लागत पर अधिक मुनाफा कमाने के लिए सस्ती और घटिया चीजें मिलाकर खाद्य पदार्थ बेच रहे हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2006 इसे रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है। क्योंकि, यह कानून असंगठित क्षेत्र और हॉकर्स आदि पर लागू नहीं होता है। यह सिर्फ प्रोसेसिंग पर लागू होता है। सैंपल जांच के लिए लैब भी कम हैं। तकनीक के अभाव में खाद्य प्राधिकारी उचित निगरानी नहीं रख पाते हैं। केंद्र सरकार इस मामले में सजग है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2020 में खाद्य सुरक्षा मानक बिल तैयार भी किया। उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। नागरिकों का जीवन रक्षा करना सरकार का दायित्व है। यह विषय समवर्ती सूची में होने के कारण केंद्र और राज्य सरकार प्रभावी कानून बनाकर मिलावट रोकने के लिए कदम उठाएं। कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार 20% खाद्य पदार्थ मिलावटी या असुरक्षित गुणवत्ता के बिक रहे हैं। खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के सर्वे के अनुसार 70% दूध में पानी मिला होता है। दूध में डिटर्जेंट मिला होने के प्रमाण भी हैं।
राज्य सरकार शुद्ध के लिए युद्ध अभियान को त्योहार या शादी के सीजन तक सीमित नहीं रखें। मिलावट पर नियंत्रण और मॉनिटरिंग के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य और कलक्टरों की अध्यक्षता में जिला स्तर पर कमेटियां बनाई जाए। केंद्र और राज्य सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2006 को पुख्ता बनाने के लिए कदम उठाए। राज्य खाद्य सुरक्षा प्राधिकारी मिलावट को लेकर हाई रिस्क एरिया और समय चिह्नित करें। लैब को पर्याप्त एक्युपमेंट और संसाधन उपलब्ध कराएं। केंद्र और राज्य सरकार की वेबसाइट पर खाद्य सुरक्षा अधिकार सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के नंबर और टोल फ्री नंबर जारी किए जाएं।
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