'कुर्सी मुझे नहीं छोड़ रही है...' गहलोत के बयान से सचिन पायलट ने साधी चुप्पी; मजबूरी या रणनीति
राजस्थान में मतगणना से पहले सीएम गहलोत के कुर्सी नहीे छोड़ने वाले बयान पर सचिन पायलट कैंप ने चुपी साध ली है. किसी नेता का रिएक्शन नहीं आया है। जानकार इसके अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कुर्सी नहीं छोड़ने वाले बयान से कांग्रेस में सीएम फेस को लेकर राजस्थान की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।दरअसल, सीएम गहलोत ने इशारों में संकेत दे दिए है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट होती है तो मुख्यमंत्री वहीं होंगे। मतगणना से ठीक पहले दिए बयान से उनके धुर विरोधी माने जाने वाले सचिन पायलट कैंप में हलचल तेज हो गई है। हालांकि, 12 घंटे बीत जाने के बाद भी पायलट कैंप के किसी नेता बयान नहीं आया है। माना जा रहा है कि पायलट कैंप ने मुख्यमंत्री के बयान पर जानबूझकर चुप्पी साधी है। सियासी जानकार गहलोत के बयान के मायने निकाल रहे हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि यदि कांग्रेस की सरकार रिपीट होती है तो सीएम कौन होगा। लेकिन जिस तरह से सीएम अशोक गहलोत ने तेलंगाना में बयान दे दिया है, जिससे उनके सीएम बनने के संकेत है।
सचिन पायलट कैंप ने साधी चुप्पी
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में सीएम गहलोत और पायलट के बीच लंबे समय से अदावत रही है। गहलोत सरकार के पूरे पांच साल के कार्यकाल में पायलट कैंप की तरफ सेस सीएम बदलने की मांग उठती रही है। पायलट कैंप ने खुलकर गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी। साल 2020 में हुई बगावत के बाद भी शांति नहीं रही। पायलट कैंप की नित नई मांगों से सियासी पारा गर्मात रहा। लेकिन चुनाव से करीब दो महीने पहले कांग्रेस आलाकमान ने दोनों नेताओं के बीच सुलह करा दी। इससे पार्टी का बड़ी सफलता मिली है। इस बार भले ही दिखावे के तौर पर सही, दोनों नेताओं ने मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा है। पायलट कैंप के सभी विधायकों को टिकट मिले है।
अहम माना जा रहा है गहलोत का बयान
सियासी जानकारों का कहना है कि सीएम गहलोत के बयान से ऐसा लगता है कि चौथी बार भी मुख्यमंत्री बनने के मूड में है। इससे पहले भी गहलोत दिल्ली और जयपुर में कई बार यह कह चुके हैं कि 'मुख्यमंत्री की कुर्सी मुझे नहीं छोड़ रही है और आगे भी लगता है कि यह कुर्सी मुझे नहीं छोड़ेगी। इस बयानों के माध्यम से तब भी गहलोत ने यही संकेत दिए थे कि वह चौथी बार मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं । राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सीएम गहलोत ने पहली बार ऐसा बयान नहीं दिया है। इसमें चौंकाने वाला कुछ भी नहीं है। गहलोत अक्सर ऐसे बयान देते रहे हैं। लेकिन मतगणना से पहले दिया बयान काफी अहम माना जा रहा है। क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस रिपीट होती है तो मुख्यमंत्री को लेकर गहलोत और पायलट कैंप आमने-सामने हो सकते हैं। हालांकि, इस बार ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान काफी सख्त निर्णय ले सकता है। बता दें चुनाव से पहले गहलोत के मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। ऐसा माना जा रहा है कि सचिन पायलट के दबाव में कांग्रेस आलाकमान ने ऐसा किया है। जबकि आमतौर पर मुख्यमंत्री ही चेहरा होता आया है। सचिन पायलट कह चुके हैं कि चुनाव के बाद विधायक औऱ कांग्रेस आलाकमान तय करेगा मुख्यमंत्री कौन होगा।