Hindi Newsराजस्थान न्यूज़Rajasthan Election: Even PM Modi will not be able to stop Vasundhara Raje from becoming CM if BJP comes to power in Rajasthan

Rajasthan Election: वसुंधरा राजे का रास्ता पीएम मोदी भी नहीं रोक पाएंगे? RSS ने बदली रणनीति

राजस्थान विधानसभा चुनाव भले ही वसुंधरा राजे के चेहरे पर नहीं लड़े हो, लेकिन बीजेपी सत्ता में आती है तो पीएम मोदी भी पूर्व सीएम राजे का रास्ता नहीं रोक पाएंगे। ऐनवक्त पर आऱएसएस ने रणनीति बदल दी।

Prem Narayan Meena लाइव हिंदुस्तान, जयपुरThu, 30 Nov 2023 01:14 AM
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राजस्थान विधानसभा चुनाव भले ही वसुंधरा राजे के चेहरे पर नहीं लड़े हो, लेकिन बीजेपी सत्ता में आती है तो पीएम मोदी भी पूर्व सीएम राजे का रास्ता नहीं रोक पाएंगे। बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व वसुंधरा राजे के जगह किसी अन्य को बैठाना चाहेगा तो पार्टी में विद्रोह हो सकता है। सियासी जानाकरों का कहना है कि  राजस्थान विधानसभा चुनाव भले ही वसुंधरा राजे के चेहरे पर नहीं लड़े हो, लेकिन बीजेपी सत्ता में आती है तो पीएम मोदी भी पूर्व सीएम राजे का रास्ता नहीं रोक पाएंगे। ऐनवक्त पर आऱएसएस ने रणनीति बदल दी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 199 में से 65 बीजेपी प्रत्याशी वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक है। बीजेपी आलाकमान के लिए इतनी बड़ी संख्या में विधायकों को अनदेखी करना मुश्किल हो सकता है। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे ने इस बार सिर्फ अपने समर्थकों के विधानसभा क्षेत्र में ही प्रचार किया है। बता दें, तिजारा से बीजेपी प्रत्याशी महंत बालकनाथ और बहरोड़ से जसंवत यादव वसुंधरा राजे की पैरवी कर चुके हैं। 

आरएसएस ने बदली रणनीति 

सूत्रों के अनुसार पार्टी में संभावित विद्रोह को रोकने के लिए आरएसएस ने ऐनवक्त पर रणनीति बदली है। आरएसएस को राजस्थान में वसुंधरा राजे के मुकाबले कोई दमदार चेहरा नहीं मिला है। घुमा फिराकर बता वसुंधरा राजे पर आकर ही समाप्त हो गई है। मतलब साफ है मुख्यमंत्री के तौर पर आरएसएस की पहली पसंद के वसुंधरा राजे ही उभरी है। सूत्रों के अनुसार आरएसएस की मंशा पहले रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव औऱ दीया कुमारी पर दांव खेलने की थी। रेलमंत्री को पार्टी ने बतौर ब्राह्मण चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट भी किया था। लेकिन वसुंधरा राजे की तुलना में मजबूत साबित नहीं हो पाए है। पार्टी का एक धड़ा दीया कुमारी का विरोध कर रहा है। वसुँधरा राजे समर्थकों के दीया कुमारी मंजूर नहीं है। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे को सीएम फेस घोषित नहीं करने की पीछे रणनीति आरएसएस की ही थी। लेकिन पिछले 6 महीने के दौरान वसुंधरा राजे ने जबर्दस्त वापसी की है। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी में सत्ता में आती है तो वसुंधरा राजे का सीएम बनना लगभग तय माना जा रहा है। 

इस बार बदलेगा रिवाज?

राजस्थान में 25 नवंबर को वोटिंग हुई। 3 दिसंबर को परिणाम आएंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार भी राज बदलेगा। रिवाज नहीं बदलेगा। यानी हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन का जो ट्रेंड है। वह बरकरार रहने की संभावना है। राजस्थान में 1993 से हर पांच साल बाद सत्ता बदलती रही है। इस बार सीएम गहलोत ने रिवाज को तोड़ने के लिए हरसंभव कोशिश की है। सामाजिक कल्याण से जुड़ी योजनाओं के माध्यम में सत्ता में वापसी की बात कह रहे हैं। सीएम गहलोत का कहना है कि इस बार उनकी सरकार रिपीट होगी। जबकि बीजेपी का कहना है कि ट्रेंड बरकार रहेगा। 

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