वसुंधरा राजे के 'दर्द' से गरमाई सियासत, बड़ा सवाल कौन काट रहा है उंगली?
राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के उंगली काटने वाले बयान के बाद प्रदेश की सियासत गर्मा गई है। लंबे समय से चुप्पी साधे वसुंधरा राजे समर्थक एक्टिव हो गए है। बीजेपी के नेता राजे के बयान से बच रहे है।
राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के उंगली काटने वाले बयान के बाद प्रदेश की सियासत गर्मा गई है। लंबे समय से चुप्पी साधे वसुंधरा राजे समर्थक एक्टिव हो गए है। पूर्व विधायक देवी सिंह भाटी ने राजेंद्र राठौड़ पर निशाना साधकर शुरुआत भी कर दी है। उल्लेखनीय है कि उदयपुर में एक कार्यक्रम में राजे ने कहा, "आज लोग उसी उंगली को पहले काट देते हैं, जिसे पकड़ कर वो चलना सीखते हैं। " अब सियासी गलियारों में चर्चा की आखिर वसुंधरा राजे का इशारा किनकी तरफ है ? कौन हैं वो नेता जिन्हें वसुधरा राजे ने आगे बढ़ाया, लेकिन वे आज उनके ही खिलाफ खड़े हो गए हैं ? वसुंधरा राजे का क्या होगा अगला कदम ? बीजेपी के नेता वसुंधरा राजे के बयान से बचते हुए नजर आ रहे है। प्रदेश महामंत्री श्रवण सिंह बगड़ी ने कहा कि चुनाव में सभी ने मिल कर चुनाव लड़ा, किसी की कोई कमी नहीं रही, वसुंधरा राजे ने किस संदर्भ में क्या कहा, उस पर उन्हें ज्यादा पता नहीं है, लेकिन भाजपा एकजुट है और सभी मिल कर चुनाव में जुटे थे।
लंबे समय बाद तोड़ी चुप्पी
वसुंधरा राजे ने लंबे समय बाद चुप्पी तोड़ी है। विधानसभा चुनाव में सीएम फेस घोषित नहीं करने के बाद से ही राजे और उनके समर्थक खामोश थे। लेकिन अब बयान आने के बाद सियासत गर्मा गई है। बता दें राजे विधानसभा चुनाव के बाद से ज्यादा सक्रीय नहीं दिखाई दीं। लोकसभा चुनाव में भी वो सिर्फ बेटे दुष्यंत के लोकसभा क्षेत्र झालावाड़ तक ही सिमित रहींष स्टार प्रचारकों की सूची में नाम शामिल होने के बाद भी राजे ने झालावाड़ नहीं छोड़ा। पिछले 6 महीने से राजे का कोई भी राजनीतिक ब्यान सामने नहीं आया था, लेकिन रविवार को 6 महीने के लंबे अंतराल के बाद राजे ने न केवल चुप्पी तोड़ी, बल्कि उनके संरक्षण में राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाने वालों को जम कर निशाने पर लिया।
कहीं ये नेता तो नहीं काट रहे हैं उंगली?
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि आज लोग उसकी की अंगुली काटने का प्रयास करते हैं, जिसे पकड़कर वो चलना सीखते है। सियासी जानकारों का कहना है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी कभी वसुंधरा राजे के नजदीकियों में हुआ करते थे। इन्हीं नजदीकियों के चलते पहली बार विधायक बनने पर ही बिरला वसुंधरा सरकार में संसदीय सचिव बनने में सफल रहे। जल्द ही बिरला ने दिल्ली में बेहतर संबंधों के आधार पर अपना अलग वजूद बना लिया और 2023 में वसुंधरा के मुकाबले मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में गिने जाने लगे। राजेंद्र राठौड़ का राजनीतक जीवन भाजपा में आने से पहले ही शुरू हो चुका था, लेकिन वसुंधरा राजे के कभी वे बेहद विश्वासपात्र रहे हैं। वसुंधरा के सीएम रहते उन्हें नंबर 2 माना जाता था। राठौड़ उनके कट्टर विरोधियों में हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी भी वसुंधरा राजे के नजदीकी रहे हैं। उन्हे भी लोकसभा का टिकट पहली बार राजे के सहयोग से ही मिला। वसुंधरा सरकार में अफसर रहे अर्जुनराम मेघवाल 2009 में पहली बार सांसद बने थे, तब वे वसुंधऱा राजे के साथ थे, लेकिन बीकानेर की लोकल पॉलिटिक्स ने उन्हे राजे से दूर कर दिया। इसी तरह केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी भी वसुंधरा के नजदीकी रहे हैं। इन नामों के आलावा भी कई ऐसे नेता हैं, जो आज भजनलाल सरकार में मंत्री है, जिनके राजनीतिक सफर में राजे की भूमिका रही है।