गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल और भागीरथ चौधरी बनेंगे मंत्री? पीएम मोदी ने चाय पर बुलाया
राजस्थान से गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल और अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी को मंत्री बनाया जा सकता है। तीनों सांसद पीएम आवास पहुंचे है। माना जा रहा है कि इस बार भूपेंद्र यादव मंत्री नहीं बनेंगे।
नरेंद्र मोदी रविवार शाम को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। राजस्थान से अर्जुन राम मेघवाल के पास फोन आया है। पीएम मोदी ने चाय पर बुलाया है। इसके अलावा जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत और अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी को पीएम आवास बुलाया गया है। बता दें इस बार वे सबसे बड़ी मंत्रिपरिषद के साथ शपथ ले सकते हैं। इसमें लगभग 60 मंत्रियों के शामिल होने की संभावना है, सबसे ज्यादा जगह बिहार को मिल सकती है। नई मंत्रिपरिषद में किन नामों को जगह मिलेगी, इसका इंतजार है। नरेंद्र मोदी रविवार शाम 7:15 बजे लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस बार भाजपा के पास अपना बहुमत नहीं है और वह गठबंधन के बहुमत के साथ सरकार बना रही है, इसलिए इस बार सरकार में सहयोगी दलों की संख्या तो ज्यादा होगी ही, मंत्रिपरिषद का आकार भी पिछली दोनों बार की तुलना में ज्यादा बड़ा होगा।
मोदी के शपथग्रहण समारोह में सात राष्ट्राध्यक्षों श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू, सेशेल्स के उपराष्ट्रपति अहमद अफीक, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ, नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड एवं भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे को विशिष्ट अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है।
बीजेपी से जुड़े सूत्रों के अनुसार अर्जुन राम मेघवाल का मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। हालांकि, माना यह भी जा रहा है कि इस बार राजस्थान से 2 ही मंत्री बनाए जा सकते है। जातीय समीकरणों के हिसाब से मेघवाल दलित है। जबकि गजेंद्र सिंह शेखावत राजपूत है। जानकारों का कहना है कि राजस्थान से 3 मंत्री बनाए जा सकते है। अलवर सांसद भूपेंद्र यादव फिलहाल पिछड़ते हुए दिखाई दे रहे है। माना जा रहा है कि राव इंद्रजीत सिंह को मंत्री बनाया जाता है तो फिर यादव नहीं बन पाएंगे।
साथ ही पहली बार सांसद बनीं महिमा कुमारी और मन्ना लाल रावत तथा दूसरी बार जीते भागीरथ चौधरी भी नए चेहरों के तौर पर मंत्रिपरिषद की दौड़ में शामिल हैं।भाजपा के लिए मंत्रिपरिषद के गठन में राजस्थान का जातिगत समीकरण साधना सबसे बड़ी चुनौती होगा। हाल के लोकसभा चुनाव में जातिगत समीकरण बिगड़ना भी भाजपा की 11 सीटों पर हार की एक वजह बना। ऐसे में भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व अब ऐसे नामों पर विचार कर रहा है, जो राज्य में जातीय संतुलन बनाए रखे।