Hindi Newsराजस्थान न्यूज़Japanese girl is teaching Kalbeliya dance the story of becoming Madhu from despair is interesting

जापानी युवती सिखा रही कालबेलिया डांस, मायूसी से मधु बनने की स्टोरी है दिलचस्प

राजस्थान के जैसलमेर जिले में जापान की युवती प्रदेश की संस्कृति को प्रमोट कर रही है। जापान की मायूमी को राजस्थान लोक संस्कृति से गहरे प्रेम है। इसके बाद अपना नाम मधु कर लिया है। डांस सिखा रही है।

Prem Narayan Meena लाइव हिंदुस्तान, जयपुरSat, 10 Feb 2024 07:16 AM
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Jaisalmer News:राजस्थान के जैसलमेर जिले में जापान की युवती प्रदेश की संस्कृति को प्रमोट कर रही है। जापान की मायूमी को राजस्थान लोक संस्कृति से गहरे प्रेम है। इसके बाद अपना नाम मधु कर लिया है। राजस्थान को दूसरा घर मानती है। मधु बताती हैं कि जब पहली बार राजस्थान आई तो उसके बाद हिंदुस्तान व विशेषकर राजस्थान के रंग में ही रंग गईं. उन्हें हिंदुस्तान बहुत अच्छा लगा और राजस्थान तो उसका दूसरा घर है। उन्हें राजस्थान का पहनावा, भोजन, नृत्य, लोक संगीत इतने पसंद आए कि वह उन्हें इन सबको अपनाने की ललक पैदा हो गई. जैसलमेर में रहकर वो अब राजस्थान की होकर रह गई हैं। जापान की मायूमी यानी मधु कालबेलिया नृत्य व राजपूती घूमर नृत्य की जानकार हैं। वह कई राजस्थानी लोक गीत भी गाती हैं।

भारतीय दुतावास पर भी प्रस्तुति 

मधु ने बताया कि वह जापान के टोक्यो में कई लोगों को राजस्थान के पारंपरिक लोक गीत व नृत्य सिखाने के साथ-साथ यहां की लोक संस्कृति से उन्हें रूबरू करवा रही हैं। मधु ने कई बार जापान में स्थित भारतीय दूतावास के विभिन्न आयोजनों में भी परफॉर्मेंस दी हैं। राजस्थान की संस्कृति को पसंद करने वाले लोगों के विभिन्न आयोजनों में भी उसने हिस्सा लिया हैं।  मधु के मुताबिक करीब 11 साल पहले उसने एक फिल्म देखी थी. इस फिल्म में उसने कालबेलिया नृत्य देखा। तब से उसे कालबेलिया नृत्य को सीखने की जिज्ञासा पैदा हुई। इसके बाद उसने पहली बार सोशल मीडिया पर राजस्थान की मशहूर कलाकार जोधपुर की आशा सपेरा को कालबेलिया नृत्य करते हुए देखा तो वह उनसे काफी प्रभावित हुईं। कहीं से उनका नम्बर पता कर उनसे संपर्क किया और उनसे कालबेलिया नृत्य सीखने की बात कही. जिसके बाद आशा सपेरा ने उन्हें यह नृत्य सिखाया।

आशा सपेरा ने सिखाया नृत्य 

मधु ने बताया कि वह आशा सपेरा को अपना गुरु मानती हैं। जब भी वह राजस्थान आती थीं तो यहां के विभिन्न नृत्य व लोक गीतों के वीडियो बनाकर जापान लेकर जाती थीं और खुद वहां इनका अभ्यास करती थीं। जब 2015 में खुद पूरी तरह से ये विद्या सीख गईं तो उसके बाद जापान के टोक्यो में कई लोगों को राजस्थानी लोक गीत व नृत्य सीखा रही हैं। जापान में प्रत्येक रविवार को वह अपनी क्लास के स्टूडेंट्स को राजस्थानी नृत्य के साथ-साथ राजस्थानी लोक गीतों के लिरिक्स भी पढ़ना व गायन करना सिखाती हैं। उनका अर्थ भी जानने का प्रयास करती हैं। वर्तमान में उनके क्लास में 20 स्टूडेंट्स लोक नृत्य व गीतों से रूबरू हो रहे हैं।

जापान की होने के बावजूद भी मधु अच्छी खासी हिंदी बोलती हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थानी नृत्य व लोक गीत उसका शौक है, ना कि पेशा। इस लोक कला से इतना लगाव हो गया है कि जब भी वह किसी को राजस्थानी लोक गीत गाते हुए या लोक वाद्य यंत्र बजाते हुए देखती हैं तो उसकी धुन पर अपने आप ही उनके पैर थिरकने लगते हैं। जयपुर में रिफ फिल्म क्लब की ओर से आयोजित राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दसवें संस्करण में जापान की मायूमी यानी मधु ने राजपूती घूमर नृत्य की प्रस्तुति दी थी।

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