'सिर्फ एक बंदा काफी है' पर बैन से HC का इनकार, आसाराम ने दायर की थी याचिका
राजस्थान हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मनोज बाजपेयी की फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' पर रोक लगाने की मांग करते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया। फिल्म को 23 मई को OTT प्लैटफॉर्म पर रिलीज किया गया है।
राजस्थान हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मनोज बाजपेयी की फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' पर रोक लगाने की मांग करते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया। फिल्म को 23 मई को OTT प्लैटफॉर्म पर रिलीज किया गया है। नाबालिग से रेप के केस में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम बापू ने अपने अनुयायी ओमप्रकाश के साथ फिल्म के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी।
जिस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने अपने आदेश में कई अहम टिप्पणियां की हैं। आसाराम बापू को आईपीसी और कॉक्सो ऐक्ट के तहत ट्रायल कोर्ट ने दोषी करार दिया और राजस्थान हाई कोर्ट में इसके खिलाफ अपील पेंडिंग है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि फिल्म आसाराम बापू के आपराधिक ट्रायल पर आधारित है। उन्होंने जोर दिया कि यह गोपनीयता और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन करता है।
कोर्ट ने कहा कि फिल्म का ट्रेलर 8 मई को सामने आया था और 23 मई को ओटीटी प्लैटफॉर्म पर रिलीज किया गया। अंतरिम रोक के लिए अदालत ने जोर दिया कि ऐसे आदेश के लिए आवश्यक है कि केस मापदंडों को पूरा करे। ट्रेलर देखने के बाद अदालत ने कहा कि इसमें कुछ भी आसाराम से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि अंतरिम रोक के लिए पहली नजर में मामला नहीं बनता है।
अदालत ने इस बात का भी मूल्यांकन किया कि क्या याचिकाकर्ताओं ने अपूरणीय क्षति भी प्रदर्शित की है। मानहानि और प्रतिष्ठा को नुकसान की स्थिति में याचिकाकर्ता मुआवजे की मांग कर सकते थे, लेकिन कोर्ट को दिए गए तथ्यात्मक संदर्भ में कोई अपूरणीय क्षति नहीं मिली। विशेष रूप से अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि फिल्म का ट्रेलर सीधे आसाराम बापू से संबंधित नहीं है।