भरतपुर में महल के लिए जंग ? विश्वेंद्र सिंह और दिव्या सिंह में खींची तलवारें; इनसाइड स्टोरी
राजस्थान में भरतपुर राजघराने के सदस्य विश्वेंद्र सिंह और उनके बेटे व पत्नी के बीच विवाद इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। विश्वेंद्र सिंह ने अपने बेटे और पत्नी पर मारपीट के आरोप लगाया है।
राजस्थान में भरतपुर राजघराने के सदस्य विश्वेंद्र सिंह और उनके बेटे व पत्नी के बीच विवाद इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। विश्वेंद्र सिंह ने अपने बेटे और पत्नी पर मारपीट करने और खाना नहीं देने का आरोप लगाया है। हालांकि, प्रेस वार्ता कर इन आरोपों को खंडन किया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि दबंग और असरदार जाट नेता विश्वेंद्र सिंह इतने बेबस क्यों हो गए है? बता दें विश्वेंद्र सिंह भरतपुर के शाही परिवार के सदस्य हैं. वह राजस्थान के मंत्री भी रहे हैं। मगर अब उनके पास रहने की जगह नही है। इसकी वजह वो अपनी पत्नी और बेटे को मानते हैं और कोर्ट से अपने लिए न्याय मांग रहे हैं।
विश्वेन्द्र सिंह ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए पत्नी और बेटे के मोती महल के बेचने वाले आरोप पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि मोती महल, जो सम्पूर्ण भरतपुर जिले की ऐतिहासिक विरासत है। उसको बेचने के जो आरोप मेरी पत्नी और बेटा मेरे ऊपर लगाए जा रहे हैं, वह सरासर झूठे और निराधार हैं। इस ऐतिहासिक विरासत को बेचने की, मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता। मोती महल जो राजपरिवार एवं भरतपुर जिले की पहचान है, उस ऐतिहासिक विरासत की एक इंच जमीन भी मेरी आखिरी सांस तक बेचने नहीं दूंगा।
दिव्या सिंह और अनिरुद्ध सिंह ने विश्वेन्द्र सिंह पर आरोप लगाया कि उन्होंने सारी प्रॉपर्टी बेच दी है। उन्होंने डॉक्यूमेंट पर हमारे फर्जी सिग्नेचर भी कराए हैं। एक मोती महल है, जिसे बेचना चाहते थे और उसे बचाने के लिए यह पूरा मामला बना है। मोती महल महारानी दिव्या सिंह के नाम है और उनके नाम से पट्टा भी है। उन्होंने कहा कि महाराजा विश्वेंद्र सिंह को हमने लोगों से मिलने से नहीं रोका है। उनके सोशल मीडिया एकाउंट पर जाकर के देख सकते हैं। वह लोगों से मुलाकात करते हैं और उन्होंने जो मारपीट के आरोप लगाए हैं, उस वह समय गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, ऐसे में उनके साथ कैसे मारपीट हो सकती है? अगर मारपीट होती, तो पुलिस में भी मामला दर्ज होता। वह खुद ही 3 साल में महल नहीं आए। हम लोगों की पर्सनल लाइफ है। हम लोगों के फाइनेंस सक्सेज से दिक्कत है, तो हम कुछ नहीं कर सकते।
पूर्व मंत्री के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, "यह एसडीएम पर दबाव डालने की रणनीति के अलावा और कुछ नहीं है। मेरी मां और मुझे एसडीएम कोर्ट और माननीय न्यायाधीश पर इस मामले को तत्परता और निष्पक्षता से निपटाने का भरोसा है। यह मामला नया नहीं है। यह 6 मार्च 2024 से चलता आ रहा है। विश्वेंद्र सिंह ने इससे पहले अपनी पत्नी पूर्व सांसद दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ अनुमंडल पदाधिकारी न्यायाधिकरण में आवेदन दिया था। अपने आवेदन में उन्होंने कहा, मुझे अपना घर (मोती महल) छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है। मैं खानाबदोश की जिंदगी जी रहा हूं। कभी मुझे सरकारी आवास में रहना पड़ता है तो कभी होटल में। मुझे एक कमरे में कैद कर दिया गया है जब मैं भरतपुर आता हूं तो मुझे घर में घुसने भी नहीं दिया जाता। अब घर पर पत्नी और बेटे के साथ रहना संभव नहीं है। ' पूर्व मंत्री ने पत्नी और बेटे से प्रति माह 5 लाख रुपये की मांग की है।