अलवर में आज भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, सुरक्षा के कड़े इंतजाम; ये है मान्यता
राजस्थान के अलवर में आज भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी। प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए है। राजगढ़ में रथयात्रा के 7 दिन बाद अलवर में रथयात्रा निकाली जाती है। तैयारी पूरी।
राजस्थान के अलवर में आज भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी। अलवर जगन्नाथ मंदिर के महंत धर्मेंद्र शर्मा़ के मुताबिक राजशाही समय में अलवर का राज्य राजगढ़ क्षेत्र से चला करता था, जिसके चलते वहां भगवान जगन्नाथ के मुख्य मंदिर से रथ यात्रा राजा के सानिध्य में निकाली जाती थी। राजगढ़ में पुरी की तर्ज पर रथ यात्रा निकालने की परंपरा है। जिस दिन पूरी में रथ यात्रा निकलती हैं, उसी दिन राजगढ़ में भी रथ यात्रा निकाली जाती हैं। शर्मा ने बताया कि अलवर शहर की स्थापना होने पर यहां भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकालनी शुरू हुई। उस समय तत्कालीन राजाओं का मानना था कि एक ही समय दो जगहों पर रथ यात्रा में शामिल होना सभी के लिए नामुमकिन है।
इसके चलते राजाओं ने अलवर शहर में 7 दिन बाद भडलिया नवमी को रथ यात्रा निकालने की घोषणा की। तभी से यह अलवर की परंपरा बन गई, जिसे हर साल निभाया जा रहा है। उस समय राजा के खर्चे पर ही रथयात्रा निकली जाती थीं। राजाओं का मानना था कि राजगढ़ की तरह ही अलवर में भी भगवान जगन्नाथ मेले को स्टेट मेले के रूप में भव्य तरीके से मनाया जाए। अलवर में निकलने वाली रथयात्रा में राजा भी शामिल होते थे। यहां तक कि अलवर रियासत के राजाओं ने अपने पसंदीदा इंद्र विमान को भी जगन्नाथ जी की रथ यात्रा के लिए समर्पित कर दिया। मंदिर से चल प्रतिमा जो चंदन की लकड़ी से निर्मित है। उस प्रतिमा को रथ में विराजित कर शहर के मुख्य मार्ग से होकर रूप हरि मंदिर तक लेकर जाया जाता है।
रथ यात्रा के रवाना होने से पहले पुलिस की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। राजशाही जमाने से निकल जा रही रथ यात्रा आज के समय में भी राजगढ़ में पूरे धूमधाम व लवाजमें के साथ निकाली जाती है। यहां गंगा बाग मंदिर परिसर में भगवान जगन्नाथ जानकी जी को ब्याहने के लिए पहुंचते हैं। भगवान जगन्नाथ विवाह के बाद गंगा बाग मंदिर से जगन्नाथ मंदिर पहुंचते हैं। इसके बाद अलवर शहर में रथ यात्रा निकाली जाती है।