SOG ने हाईकोर्ट में यू-टर्न ले लिया, गजेंद्र सिंह शेखावत को क्लीन चिट मिलने पर अशोक गहलोत
इस केस के जांच अधिकारी (IO) को भी हटा दिया गया एवं भाजपा सरकार द्वारा नामित सरकारी वकीलों ने भी केन्द्रीय मंत्री का ही पक्ष लिया। इस सबके बावजूद हाईकोर्ट ने मंत्रीजी की याचिका के अनुरूप FIR को रद्द नहीं किया है।
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा है कि संजीवनी प्रकरण को लेकर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत द्वारा दायर एक मुकदमे में हाईकोर्ट का फैसला वर्तमान में अदालत के सामने SOG द्वारा रखे गए तथ्यों के आधार पर आया है। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद SOG ने हाईकोर्ट में यू-टर्न ले लिया। इस केस के जांच अधिकारी (IO) को भी हटा दिया गया एवं भाजपा सरकार द्वारा नामित सरकारी वकीलों ने भी केन्द्रीय मंत्री का ही पक्ष लिया। इस सबके बावजूद हाईकोर्ट ने मंत्रीजी की याचिका के अनुरूप FIR को रद्द नहीं किया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की इजाजत लेकर आगे कार्रवाई की जा सकती है। SOG द्वारा 12 अप्रेल 2023 को राजकीय अधिवक्ता को लिखे गए पत्र क्रमांक SOG/SFIU/INV/2023/220 में इस केस की तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजी जिसके पेज नंबर 7 पर केन्द्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र शेखावत एवं उनके परिजनों की अपराध में संलिप्तता होने की बात लिखी और आरोपी माना। इस रिपोर्ट में लिखा गया कि जिन कंपनियों की संलिप्तता संजीवनी घोटाले में है उनसे श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का सीधा संबंध है।
इस केस के सैकड़ों पीड़ितों ने मुझसे मुलाकात की तब मैंने SOG से इस मामले की जानकारी मांगी। तब SOG ने गृहमंत्री के रूप में मुझे इन तथ्यों एवं इस प्रकरण की प्रगति से अवगत करवाया। मेरा श्री गजेन्द्र शेखावत के प्रति कोई व्यक्ति द्वेष नहीं था। SOG की इस ब्रीफिंग के आधार पर ही मैंने मीडिया के सामने श्री शेखावत एवं उनके परिजनों पर लगे आरोपों की जानकारी सामने रखी। श्री शेखावत ने कल भी अपने बयानों में अपनी स्वर्गीय माताजी पर लगे आरोपों का जिक्र किया। मेरा उनकी स्वर्गीय माताजी के प्रति पूरा सम्मान है परन्तु राज्य के गृहमंत्री के रूप में मेरे सामने लाए गए तथ्यों को पीड़ितों एवं जनता के सामने रखा जाना मेरा कर्तव्य था।
अब राज्य में सरकार बदलने के बाद SOG पर भाजपा सरकार ने दबाव बनाया जिसके कारण SOG ने कोर्ट में यू-टर्न लिया और इन्हें आरोपी नहीं माना है। मेरी मांग है कि निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटार्यड न्यायाधीश की अध्यक्षता में SIT बनाकर इस प्रकरण की जांच की जाए जिससे पता चले कि कांग्रेस शासन में SOG द्वारा गलत जांच की गई या अभी दबाव में SOG ने गलत रिपोर्ट तैयार की है। कांग्रेस सरकार के समय इस केस में SOG ने फॉरेंसिक ऑडिट तक करवाकर भी जांच की थी। मेरा उद्देश्य लाखों पीड़ितों के साथ न्याय सुनिश्चित कर उनके जीवन की मेहनत की कमाई वापस उनको दिलवाने का है।