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रामगढ़ में कांग्रेस की हार के जिम्मेदार कौन? भंवर जितेंद्र सिंह या टीकाराम जूली

  • राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र ही अलवर कांग्रेस के कर्ताधर्ता है। कांग्रेस आलाकमान टिकट वितरण में भंवर जितेंद्र सिंह की बात को तवज्जो देता आया है।

Prem Narayan Meena लाइव हिन्दुस्तानSun, 24 Nov 2024 04:20 PM
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राजस्थान के अलवर में रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस का इमोशनल कार्ड नहीं चला है। दिवंगत विधायक जुबेर खान के बेटे आर्यन खान को हार का सामना करना पड़ा है। बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी कौन लेगा? भंवर जितेंद्र सिंह या नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र ही अलवर कांग्रेस के कर्ताधर्ता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भंवर जितेंद्र सिंह की छवि साफ सुथरी है। मिलनसार है। इसके बावजूद जीत नहीं दिलवा पाते है।

बता दें कांग्रेस आलाकमान टिकट वितरण में भंवर जितेंद्र सिंह की बात को तवज्जो देता आया है। मतलब यह है कि अलवर में वार्ड पंच से लेकर लोकसभा चुनाव के लिए टिकट उसी को मिलता है जिसे भंवर जितेंद्र पंसद करते है। इसके बावजूद कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। धुर विरोधियों का कहना है कि भंवर जितेंद्र सिंह को फ्री हैंड देना कांग्रेस को भारी पड़ सकता है।अलवर में कांग्रेस को लगातार मिल रही हार पर पार्टी का एक खेमा कांग्रेस महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह को जिम्मेदार ठहरा रहा हैं।

हालांकि, कांग्रेस के नेता खुलकर बयानबाजी नहीं कर रहे है। बता दें अलवर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की हैट्रिक लग चुकी है। दो बार भंवर जितेंद्र सिंह चुनाव हार चुके है। भंवर जितेंद्र सिंह के पंसद के मुंडावर विधायक ललित यादव को भी हार का सामना करना पड़ा है। पूर्व सांसद करण सिंह यादव ने भंवर जितेंद्र सिंह पर आरोप लगाते हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़ दी थी। करण सिंह अलवर से दो बार कांग्रेस पार्टी से सांसद रहे है। लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिलने पर करण सिंह यादव ने गंभीर आरोप लगाए थे।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भंवर जितेंद्र सिंह सिर्फ अपने कैंप के नेताओं को ही टिकट दिलवाते हैं। यहीं वजह है कि गुटबाजी के चलते कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ता है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान ने भंवर जितेंद्र सिंह के कहने पर ही अलवर ग्रामीण विधायक टीकाराम जूली को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया है। इसके बावजूद टीकाराम जूली रामगढ़ में दलित वोट कांग्रेस को नहीं दिलवा पाए है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एससी-एसटी वोटर बंट गए। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और भरतपुर सांसद संजना जाटव ने घर-घर जाकर वोट मांगे, लेकिन शत-प्रतिशत वोट नहीं मिल पाए। कांग्रेस पिछले चुनाव परिणाम के कारण अति आत्मविश्वास में रही। जुबेर खान के निधन के बाद सहानुभूति की लहर पर भरोसा किया।

पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन पर भंवर जितेंद्र सिंह ने एक्स पर लिखा- राजस्थान विधानसभा उपचुनाव के नतीजे हमारी अपेक्षाओं से मेल नहीं खाते, और यह हमारे लिए आत्ममंथन का समय है। भाजपा सरकार के 11 महीनों का कार्यकाल प्रदेश की जनता के लिए उम्मीदों से परे रहा, लेकिन शायद हम इस सच्चाई को प्रभावी तरीके से जन-जन तक पहुँचाने में असफल रहे। इस दौरान, हमने देखा कि भाजपा ने सत्ता का दुरुपयोग कर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर किया। रामगढ़ में सांप्रदायिक राजनीति का सहारा लेकर राजनीतिक लाभ कमाने की उनकी कोशिश ने सामाजिक सौहार्द को ठेस पहुँचाई, जो न केवल निंदनीय है, बल्कि लोकतंत्र की भावना के खिलाफ भी है।

सियासी जानकारों का कहना है कि रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में जीत से केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का कद बढ़ेगा। क्योंकि सांसद बनने के बाद यह पहला उपचुनाव था। आने वाले निकाय चुनावों में भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है। कांग्रेस के लिए यह हार चिंता का विषय है। दूसरी तरफ हार के बाद कांग्रेस प्रत्याशी आर्यन जुबेर खान ने कहा कि मैं आगे और मेहनत करूंगा। कांग्रेस नेतृत्व ने मुझ पर भरोसा जताया है। बहुत-बहुत आभार।

बता दें रामगढ़ उपचुनाव मेा भाजपा प्रत्याशी सुखवंत सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी आर्यन जुबेर खान को 13,636 वोटों से हराया। भाजपा को 1,08,811 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस को 95,175 मत हासिल हुए। 15वें राउंड तक दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर रही। कभी आर्यन तो कभी सुखवंत लीड लेते नजर आए। आखिरी पांच राउंड ने ही सुखवंत सिंह के जीत का सेहरा बांध दिया।

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