Hindi Newsराजस्थान न्यूज़Rajasthan By Election Why is the reputation of Sachin Pilot and Kirori Lal Meena at stake in Dausa by election

दौसा उपचुनाव: सचिन पायलट और किरोड़ी लाल मीणा की प्रतिष्ठा क्यों लगी है दांव पर

  • दौसा पायलट परिवार का गढ़ रहा है। कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट की पसंद से टिकट देता रहा है। भले ही पायलट उप चुनाव से दूर हो, लेकिन टिकट पायलट की पसंद-नापसंद से ही मिलेगा।

Prem Narayan Meena लाइव हिन्दुस्तानMon, 21 Oct 2024 07:24 AM
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राजस्थान में दौसा सीट पायलट परिवार का गढ़ मानी जाती है। यहीं वजह है कि कांग्रेस आलाकमान पायलट के कहने पर ही पार्टी का टिकट देता रहा है। विधानसभा चुनाव 2023 में पायलट के खास मुरारी लाल मीणा को टिकट दिया गया। मुरारी लाल के पहले विधायक औऱ फिर लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद एक बार इस सीट पर उपचुनाव हो रहे है। बीजेपी ने यहां से बीजेपी के नेता किरोड़ी लाल के भाई जगमोहन मीणा को टिकट दिया है। यह लगभग तय माना जा रहा है कि दौसा उप चुनाव में टिकट सचिन पायलट की पंसद की आधार पर ही मिलेगा।

चुनाव आयोग के अनुसार 2, 46012 मतदाता है। गुर्जर, मीणा और एससी मतदाता बाहुल्य दौसा सीट पर बीजेपी के लिए सचिन पायलट बड़ी चुनौती से कम नहीं है। बता दें कि वर्तमान सांसद मुरारीलाल मीना के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दिया था, जिसके चलते दौसा विधानसभा सीट खाली हो गई थी।

पूर्वी राजस्थान का दौसा विधानसभा गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है।ऐसे में यहां जातिगत राजनीति होती है, इसीलिए राजनीतिक पार्टियां भी जातिगत आधार पर ही टिकट देती हैं। कांग्रेस चाहती है कि इस बार सामान्य वर्ग के किसी मजबूत नेता को टिकट दें, लेकिन सामान्य वर्ग को टिकट देने के चलते कांग्रेस अपने वोट बैंक को भी पक्ष में रखना चाहती है।

दौसा कांग्रेस का परंपरागत रूप से गढ़ रहा है। सचिन पायलट के पिता स्वर्गीय राजेश पायलट यहां से पांच बार चुनाव जीते है। खुद सचिन पायलट और उनकी मा रमा पायलट ने दौसा से सांसद रह चुके है। ऐसे में सियासी जानकार इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा मानकर चल रहे है। दूसरी तरफ, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी ने किरोड़ी लाल मीणा के भाई को टिकट देकर एक तीर से दो निशाने साध लिए है। पहला यह है कि किरोड़ी लाल अब पांच साल तक मुंह पर उंगली रखी रहेगी। जबकि दूसरी यह मानी जा रहा है कि मीणा वोटर्स में सेंध लगाने की कोशिश की है।

सियासी जानकारों का कहना है कि दौसा विधानसभा उपचुनाव पूरी जातिवाद पर टिका है। बीजेपी ने जगमोहन मीणा को टिकट केर जातिवाद का कार्ड खेला है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि यह चुनाव मीणा बनाम अन्य जातियों के बीच जैसा हो सकता है। जानकारों का कहना है कि दौसा की राजनीति में सिर्फ जातिवाद की राजनीति की हवा घुल गई है। यहां पार्टियों का कोई वर्चस्व नहीं है। दौसा के किसी भी चुनाव में टिकट वितरण के बाद पार्टियां विलुप्त हो जाती है और जातिवाद हावी होता है।

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