भजनलाल शर्मा या सचिन पायलट.. उपचुनाव रिजल्ट से चलेगा पता किसमें कितना है दम?
- राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भले ही बीजेपी की एक सीट हो लेकिन, सरकार से ज्यादा सीएम भजनलाल शर्मा की साख दांव पर लगी हुई है। यदि बीजेपी 7 सीटों हार जाती है तो प्रदेश में भजनलाल शर्मा को हटाने की मांग तेजी से उठ सकती है।
राजस्थान विधानसभा की 7 सीटों पर होने जा रहे उप चुनाव में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। सीएम का हार-जीत से सियासी वजूद तय होगा। प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद पहली बार 7 सीटों पर उप चुनाव हो रहे है। ऐसे में उपचुनाव के रिजल्ट से भजनलाल सरकार के कामकाज का आंकलन होगा बल्कि यह भी पता चलेगा कि सीएम भजनलाल शर्मा में कितना दम है?
सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी के पास खोने के लिए बहुत ज्यादा नहीं है। क्योंकि 7 में एक सीट सलूंबर बीजेपी की थी। जबकि 6 सीटों पर कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों का कब्जा था। लेकिन, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भले ही बीजेपी की एक सीट हो लेकिन, सरकार से ज्यादा सीएम भजनलाल शर्मा की साख दांव पर लगी हुई है। यदि बीजेपी 7 सीटों हार जाती है तो प्रदेश में भजनलाल शर्मा को पद से हटाने की मांग तेजी से उठ सकती। मुख्यमंत्री विरोधी खेमा सक्रिय हो जाएगा। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो सकता है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव की 7 सीटों में सबसे हाॅट सीट दौसा और देवली-उनियारा है। दोनों सीटों पर सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। दौसा पायलट की कर्मभूमि है। पायलट फैमिली का गढ़ माना जाता है। ऐसे में दौसा उप चुनाव में कांग्रेस जीत जाती है तो सचिन पायलट का सियासी कद बढ़ेगा। कांग्रेस आलकमान ने दौसा में पायलट के कहने पर ही दीन दयाल बैरवा का टिकट दिया है।
दौसा में गुर्जर वोटर हार-जीत में निर्णायक भूमिका अदा कर सकते है। दूसरी तरफ दौसा उप चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता किरोड़ी लाल मीणा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। दौसा से किरोड़ी लाल के भाई जगमोहन मीणा को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है। किरोड़ी के कहने पर ही जगमोहन को टिकट मिला है। ऐसे में किरोड़ी लाल मीणा का सियासी वजूद उपचुनाव के परिणाम पर टिका हुई है।