कौन हैं नरेश मीणा, अंगूठा काटकर किरोड़ी लाल का खून से किया था तिलक
- नरेश मीणा कभी किरोड़ी लाल मीणा के शागिर्द रहे हैं। समर्थकों के बीच वह छोटा किरोड़ी के नाम से जाने जाते है। नरेश का किरोड़ी लाल से पुराना जुड़ाव रहा है, और उन्होंने कई सामाजिक आंदोलनों में उनका समर्थन किया है।
राजस्थान में एसडीएम को थप्पड़ मारकर सुर्खियों में आए निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने 2003 में राजस्थान यूनिवर्सिटी में महासचिव पद जीतकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। नरेश मीणा कभी किरोड़ी लाल मीणा के शागिर्द रहे हैं। समर्थकों के बीच वह "छोटा किरोड़ी" के नाम से जाने जाते है। नरेश का किरोड़ी लाल से पुराना जुड़ाव रहा है, और उन्होंने कई सामाजिक आंदोलनों में उनका समर्थन किया है।
2017 में जयपुर में मीणा समाज की रैली के दौरान, नरेश ने अपने अंगूठे पर कट लगाकर किरोड़ी लाल का खून से तिलक किया था। इसके बाद से नरेश को अपने सियासी गुरु से कई मौकों पर टकराना पड़ा। दौसा में सत्याग्रह आंदोलन को विफल करने से लेकर उनके जेल जाने और उन पर हुए हमले तक, नरेश ने संघर्ष की राजनीति का सामना किया है। वैचारिक मतभेद के चलते नरेश किरोड़ी लाल से अलग रास्ते पर चल दिए। नरेश कांग्रेस समर्थक माने जाते है। जबकि किरोड़ी लाल बीजेपी की विचारधारा को मानते है।
उल्लेखनीय है कि नरेश मीणा बारां जिले के छबड़ा के रहने वाले है। नरेश मीणा ने विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस से बगावत करके छपड़ा से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, करीब 44 हजार वोट लेकर आए थे। पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़ने पर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। जब उन्होंने दौसा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो मार्च में कांग्रेस ने उन्हें वापस पार्टी में लिया था। लेकिन कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर देवली-उनियारा से निर्दलीय के तौर पर ताल ठोक दी।
कांग्रेस ने देवली उनियारा सीट से केसी मीणा को टिकट दे दिया। इसके बाद भी नरेश मीणा ने पार्टी के निर्णय के विपरीत जाते हुए निर्दलीय पर्चा भरा। इसके बाद कांग्रेस ने नरेश मीणा को निलंबित कर दिया। कांग्रेस से टिकट न मिलने पर नरेश मीणा अकेले ही चुनावी मैदान में कूद पड़े।